KhatuShyamJi: सरहद पार भी गूंजते हैं बाबा श्याम के जयकारे, पाकिस्तान के इन तीन शहरों में श्याम मंदिर
Khatushyamji News, खाटूश्यामजी। राजस्थान के सीकर जिले के खाटूधाम में बाबा श्याम का फाल्गुन लक्खी मेला परवान पर है। दस मार्च से शुरू यह मेला होली तक चलेगा। बता दें कि बाबा श्याम की महिमा अपरम्पार है और इस बात का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि दुश्मन देश पाकिस्तान में भी खाटूश्यामजी (Baba Shyam In Pakistan) विराजमान है। पाकिस्तान के हैदराबाद, कराची और पसनी में खाटूश्यामजी के मंदिर हैं। तीनों ही जगहों मेले भी भरते हैं।
कराची के रणछोड़ शहर में स्थित श्याम मंदिर के पुजारी प्रदीप एडिवाल, हैदराबाद में श्याम मंदिर के पुजारी आशानंद श्याम और पसनी में श्याम मंदिर के पुजारी किशोर हैं। खास बात यह है कि पाकिस्तान स्थित श्याम मंदिरों के मेले के दौरान रथयात्रा भी निकाली जाती है।
खुदाबख्श सजाते हैं बाबा श्याम का रथ
खाटूश्यामजी। सीकर जिले में इस समय बाबा श्याम का फाल्गुन लक्खी मेला परवान है। खाटू की ओर जाने वाले हर रास्ते से श्याम भक्त मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं। एकादशी का बाबा श्याम सजे-धजे रथ में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। खास बात यह है कि खाटूश्यामजी का यह रथ पिछले 97 साल से मुस्लिम खुदाबक्श सजाते आ रहे हैं। श्याम रथ (Baba Shyam Ka Rath) का लाइसेंस भी खुदाबक्श के नाम से बना हुआ है।
Khatu Mela: 350 साल से खाटू के शिखर पर इसलिए लहराता है सिर्फ सूरजगढ़ का निशान
राजस्थान के सीकर जिले में एक छोटा सा कस्बा है खाटू। आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से ही भले ही यह कस्बा छोटा हो, मगर यहां से दुनियाभर के लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है। आस्था की डोर के सहारे लाखों श्याम दीवाने खाटू खींचे चले आते हैं और हारे के सहारे बाबा श्याम के दरबार में धोक लगाकर निहाल हो उठते हैं।
Khatu Mela History in Hindi
खाटूश्यामजी के फाल्गुन लक्खी मेले में तो आस्था का सैलाब उमड़ता है। महज दस दिन में ही श्याम भक्तों का आंकड़ा बीस लाख के पार पहुंच जाता है। खाटू मेले में आने वाले अधिकांश श्याम भक्तों हाथों में बाबा श्याम का निशान होता है। यूं तो बाबा श्याम को भक्त सालभर निशान चढ़ाते रहते हैं, मगर फाल्गुन लक्खी मेले में एक साथ लाखों निशान चढ़ाए जाते हैं। ऐसे में हर किसी के मन में यह सवाल उठता होगा कि आखिर इतने सारे निशान का क्या किया जाता होगा?
निशान से बनाए जाते हैं श्याम दुप्पटें
दरअसल, खाटूधाम में चढ़ाए जाने वाले प्रत्येक निशान (Khatu Nishan) को सहेज कर रखा जाता है। इसके लिए श्री श्याम मंदिर समिति खाटूश्यामजी की ओर से बाकायदा व्यवस्था की हुई है। सभी निशान को मंदिर परिसर के पास ही सुरक्षित स्थान पर रखा जाता है और फाल्गुन लक्खी मेले (Khatu Falgun Lakhi Mela) की समाप्ति के बाद इन निशान से श्याम दुप्पटे बनाए जाते हैं, जो सालभर तक खाटूश्यामजी आने वाले श्याम भक्तों को भेंट किए जाते हैं।
खाटू के शिखर पर लहराता है सूरजगढ़ का निशान
खाटूश्यामजी। यूं तो बाबा श्याम के दरबार में लाखों निशान चढ़ाए जाते हैं, मगर इन सबमें राजस्थान के झुंझुनूं जिले के सूरजगढ़ का निशान बेहद खास है। वजह यह है कि सूरजगढ़ का ही निशान (Surajgarh Nishan) बाबा श्याम के शिखर पर लगाया जाता है, जो सालभर लहराता है। किदवंती है कि करीब 350 साल पहले बाबा श्याम के मंदिर में निशान चढ़ाने आए श्याम भक्तों में होड़ मच गई थी कि उनका निशान बाबा श्याम के शिखर पर लगे।
फिर सहमति बनी कि जो श्याम भक्त बंद मंदिर का ताला मोरछड़ी से खोलेगा, उसी का निशान शिखर पर चढ़ेगा। सूरजगढ़ से निशान लेकर श्याम भक्त मंगलाराम मोरछड़ी से ताला खोलने में सफल रहे थे तब से खाटूश्यामजी मंदिर (Khatushyamji temple in Sikar) के शिखर पर सूरजगढ़ का ही निशान चढ़ता आ रहा है। मंगलाराम के निधन के बाद उनके परिवार व सूरजगढ़ के लोग इस परम्परा को निभा रहे हैं।