राजस्थान: मोहर्रम के उपलक्ष्य में प्रशासन ने मुसलमानों को उपलब्ध करवाई तलवारें, 50 से अधिक लोग घायल
अजमेर। मुहर्रम के महीने में चांद रात से ही धार्मिक रसुमात शुरू हो गई थी जो अब तक जारी है। आज ईमाम हुसैन के शहादत का दिन है। इस अवसर पर करबला का मंजर याद करने के लिए अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह के पास हाईदौस खेला गया। इस रस्म में मुस्लिम समाज के पुरूष भूखे-प्यासे नंगी तलवारों से खेलकर लहुलुहान हो जाते हैं। आज भी 50 से अधिक लोग इसमें घायल हो गए।
बताया जाता है कि इस्लाम को बचाने के लिए हजरत इमाम हुसैन ने यजीद से जंग की थी। इस जंग में हजरत इमाम हुसैन के खानदान के करीब 72 परिवार के सदस्य थे। जिन्होंने भूखे-प्यासे जंग की जिसमें उनका पूरा परिवार शहीद हो गया था। उन्हीं की याद में मुहर्रम मनाया जाता है और सभी रस्में अदा की जाती है। अजमेर ही एकमात्र ऐसा शहर है जहां पर हाईदौस की रस्म भी अदा की जाती है। मुस्लिम समाज के पुरूष हाथों में नंगी तलवारें लिए भूखे-प्यासे यह हकीकत मानकर तलवारों से खेलते हैं। इसमें कई लोग घायल भी हो जाते हैं। इसके लिए 100 तलवारें भी जिला प्रशासन की ओर से उपलब्ध करवाई जाती है। हाईदौस के दौरान पुलिस और प्रशासन के आलाधिकारी भी मौजूद रहते हैं साथ ही चिकित्सकों की टीम भी तैनात रहती है। इस बार हाईदौस खेलने में 50 से अधिक लोग घायल हुए जिन्हें तुरंत उपचार भी दिया गया।
खून
निकालकर
पेश
की
अकीदत
मोहर्रम
के
अवसर
पर
अजमेर
की
अरावली
पहाड़ी
स्थित
तारागढ़
पर
रहने
वाले
शिया
समुदाय
के
लोगों
ने
शुक्रवार
को
रक्तरंजित
मंजर
पेश
किया।
इमाम
हुसैन
की
याद
में
सभी
ने
खुद
को
लहुलुहान
कर
अपनी
अकीदत
का
नजराना
पेश
किया।
हर
बार
की
तरह
इस
बार
भी
तारागढ़
स्थित
मीरा
साहब
की
दरगाह
पर
दोपहर
में
मजलीस
हुई।
इसके
बाद
अलम
व
दुलदुल
शरीफ
की
सवारी
निकाली
गई
जो
हताई
चौक
होते
हुए
कर्बला
शरीफ
पर
सम्पन्न
हुई।
यहां
पर
मुस्लिम
समाज
के
युवकों
ने
खुद
को
ब्लेड
से
जख्मी
किया
और
इमाम
हुसैन
को
करबला
में
हुए
दर्द
को
याद
कर
अपनी
अकीदत
पेश
की।
बड़ी
संख्या
में
लोगों
ने
यह
रक्तरंजित
मंजर
पेश
किया।
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