"रामसेतु" के अस्तित्व पर सवाल कायम, कांग्रेस याद दिला रही है "मोदी सरकार" को "नरसिम्हा राव सरकार" का कार्यकाल
मोदी सरकार का कहना है कि भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु के पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं। कांग्रेस को मौका मिला गया है कि वह भगवान श्री राम और अयोध्या के राम मंदिर एजेंडे पर चलने वाली भाजपा पर कटाक्ष करे।
Ramsetu fact: रामसेतु के अस्तित्व को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने संसद में रामसेतु के अस्तित्व पर पुख्ता प्रमाण होने से इंकार किया, तो विपक्ष इस मामले में हमलावर हो गया है। भगवान श्रीराम के ननिहाल छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मामले में तकरार देखने मिल रही है।
कांग्रेस ने याद दिलाया नरसिम्हा राव की सरकार का दौर
छत्तीसगढ़ कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने अपने बयान में कहा कि कांग्रेस की नरसिम्हा राव की सरकार के समय 1993 में नासा के माध्यम से सेटेलाईट के कुछ तस्वीर लेकर उसका विश्लेषण किया था, जिसमें यह अनुमान लगा कि यह पुल मानव निर्मित है। यानि कांग्रेस की सरकार ने यह स्थापित करवाया कि सेतु बंधु रामेश्वरम में स्थिति श्रीराम सेतु का अस्तित्व हैं,लेकिन दुर्भाग्यजनक है कि आज भाजपा उसको नकार रही है।
कांग्रेस नेता शुक्ला ने आगे कहा कि भारत के दक्षिण पूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के बीच पौराणिक श्रीराम सेतु उपलब्ध है। लंका युद्ध के पूर्व भगवान श्रीराम ने अपनी वानर सेना और सेना के दो वीर नल-नील के सहयोग से सेतु बंधु रामेश्वरम पुल बनाया था, जिसके माध्यम से वानर सेना लंका पर चढ़ाई करने गयी थी। भगवान श्रीराम के सेतु बंधु रामेश्वरम के श्री राम सेतु को सेतु मानने से भाजपा ने नकार दिया है।
भाजपा ने किया पलटवार
इधर भगवान राम के प्रति भाजपा की आस्था पर सवाल उठाये जाने के बाद छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने तत्काल बयानी पलटवार करते हुए कहा है कि रामद्रोही कांग्रेस कालनेमि का रोल अदा कर रही है। कांग्रेस कपड़ों की तरह चरित्र बदलती रहती है। भ्रम हो जाता है कि इसका असल चरित्र क्या है। सम्पूर्ण विश्व जानता है कि कांग्रेस की केंद्र सरकार ने कोर्ट में दिए हलफनामे में रामसेतु का अस्तित्व नकार दिया था। भारत की सांस्कृतिक विरासत की पहचान भगवान राम को काल्पनिक बताने वाले कांग्रेसी अब राम राम जप रहे हैं। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला का मंदिर बनने से रोकने का षड्यंत्र रचने वाले कांग्रेसी अब चोला बदल रहे हैं।
भारत सरकार ने क्या कहा संसद में ?
दरअसल गुरुवार को केंद्र सरकार की तरफ से सरकार ने संसद में मंत्री जितेंद्र सिंह भाजपा सांसद कार्तिकेय शर्मा के कहा था कि भारत और श्रीलंका के बीच रामसेतु के पुख्ता साक्ष्य नहीं हैं। उन्होंने कहा था कि जिस स्थान पर पौराणिक रामसेतु होने का अनुमान लगाया जाता है, उस स्थान की सैटेलाइट तस्वीरें लिए जाने से छिछले पानी में आइलैंड और चूना पत्थर नजर आते हैं,लेकिन यह दावा नहीं कर सकते हैं कि वही रामसेतु के अवशेष हैं।
इसके साथ ही जितेंद्र सिंह ने संसद कहा था कि भारत का स्पेस डिपार्टमेंट इस कार्य में लगा हुआ है। रामसेतु के बारे में जो प्रश्न हैं, जिसपर मैं बताना चाहूंगा कि इसकी खोज को लेकर हमारी कुछ सीमाए हैं। कारण यह है कि इसका इतिहास 18 हजार वर्ष पुराना है और, अगर इतिहास में जाएं तो यह पुल लगभग 56 किलोमीटर लंबा था।
जानिये रामसेतु के बारे में
यह भी जानना जरुरी है कि भारत के दक्षिणपूर्व में रामेश्वरम और श्रीलंका के पूर्वोत्तर में मन्नार द्वीप के मध्य चूने की उथली चट्टानों की शृंखला है। इस पुल को भारत में रामसेतु और बाकी दुनिया में एडम्स ब्रिज के नाम से जानती है। इस पुल की लंबाई करीब 30 मील यानि 48 किलोमीटर है । यह पुल मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरू बीच को एक दूसरे से पृथक करता है।
इस क्षेत्र में समुद्र बहुत उथला है। जिसके कारण यहां बड़ी नावें और जहाज चलाने में बहुत दिक्कत पेश आती है। माना जाता है कि इस ढांचे पर चलकर लोग 15 शताब्दी तक रामेश्वरम से मन्नार द्वीप तक जाया करते थे, किन्तु तूफानों ने यहां समुद्र को थोड़ा और गहरा बना दिया, जिसके पश्चात यह पुल समुद्र में डूब गया। नासा ने 1993 में इस रामसेतु की सैटेलाइट तस्वीरें जारी करके इसे मानव निर्मित पुल बताया था।
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