छत्तीसगढ़ में बना साइलेंट जोन, जानिए किसकी हो रही हैं मौतें
क्या है साइलेंट जोन
हैदराबाद के पर्यावरणविद डा. अमरनाथ गिरी के अनुसार गर्मियों के दिनों में जब तालाब, झीलों और नदियों का जलस्तर घट जाता है तो पानी का बहाव थम जाता है। ऐसे में तालाब की ऊपरी सतह पर काई जमने लगती है। अगर गांवों, शहरों या कस्बों का कूड़ा भी नदी, तालाब या झील में फेंका जाता है, तो कूड़े की वजह से पानी की सतह पर काई जम जाती है और सतह पर एक काई के ठीक नीचे करीब एक से डेढ़ फुट कभी-कभी तीन से चार फुट के घेरे में ऑक्सीजन की मात्रा शून्य तक पहुंच जाती है। ऐसा होने पर जब मछलियां उस जोन में आती हैं, तो ऑक्सीजन नहीं मिलने पर मर जाती हैं।
संक्रमण
चूंकि नदियों, तालाबों के पानी में अकसर लोग नहाते व कपड़े धोते हैं। शहरों में तो यही पानी नलों में सप्लाई किया जाता है। भले ही वो पानी फिल्टर कर दिया जाता है, लेकिन मछलियां मरने के बाद उसमें कई प्रकार के कीटाणु फैल चुके होते हैं। ऐसा पानी किसी भी इंसान के लिये जानलेवा हो सकता है।
क्या हो रहा है बालोद में
छत्तीसगढ़ के बालोद जिलांतर्गत अरौद गांव के एक तालाब की मछलियां अपने आप मर रही हैं। सप्ताह भर में यहां पांच क्विंटल से अधिक मछलियां मर चुकी हैं। तालाब का पानी बदबूदार हो गया है और इसकी बदबू पूरे गांव में फैल चुकी है। ग्राम सरपंच को आशंका है कि किसी शरारती तत्व के द्वारा तालाब के पानी में कुछ मिला दिया गया होगा। सबसे ज्यादा परेशानी तालाब के पास रहने वालों को हो रही है। बता दें कि गांव में तीन तालाब हैं। दो पहले ही सूख चुके हैं और तीसरे का पानी प्रयोग के लायक नहीं बचा है। इस कारण ग्रामीणों को निस्तारी की समस्या का सामना करना पड़ा रहा है।
ग्राम पंचायत अध्यक्ष ने कहा दवा डालने से मरी मछलियां
ग्राम पंचायत अरौद के सरपंच संध्या कुंभकार का कहना है कि निस्तारी के लिए यही एकमात्र तालाब है। इस तालाब को लीज में दिया गया था। लीज समाप्त हो गई है। संभवत: किसी ने कुछ दवाई वगैरह डाल दी है जिसकी वजह से मछलियां मरने लगी हैं। तालाब से बदबूदार पानी को निकाला जा रहा है। बोर के माध्यम से तालाब में पानी भरा जा रहा है। पंचायत द्वारा नहर से पानी की मांग को लेकर शीघ्र आवेदन लगाया जाएगा।
बालोद-दुर्ग मार्ग पर स्थित ग्राम अरौद के रहवासी इन दिनों जबर्दस्त निस्तारी की समस्या से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि यहां तीन तालाब हैं। एक तालाब को रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य कराने के लिए खाली कराया गया था जिसके चलते यहां अभी पानी नहीं है। दूसरा तालाब भी सूख गया है।
मर गईं 500 किलो मछलियां
ग्रामीणों ने बताया कि अब तक पांच क्विंटल से अधिक मछलियां मर गई हैं। ग्रामीण पांच बोरी मरी हुई मछलियां अब तक यहां से निकाल कर फेंक चुके हैं। वहीं तालाब का पानी निकालने के लिए इसे तोड़ दिया गया है। इससे भी काफी मछलियां बहकर निकल गईं हैं। जैसे-जैसे पानी कम होता जा रहा है तालाब की बदबू बढ़ती जा रही है।
ग्रामीणों ने बताया कि पहले तालाब के आसपास जाने पर ही बदबू का अहसास होता था लेकिन यह पूरे गांव में फैल चुकी है। तालाब के आसपास रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो गया है। तालाब के बदबूदार पानी को बाहर निकाला जा रहा है। वहीं दूसरी ओर यहां बोर से पानी भी डाला जा रहा है लेकिन बोर से तालाब को भरा ही नहीं जा सकता। जितना पानी बोर से तालाब में भरता है उतना पानी निस्तारी के बाद खत्म भी हो जाता है।