ये पब्लिक के पप्पू का पावर है! नीतीश सरकार में खलबली
नई दिल्ली, 12 मई। ये पब्लिक के पप्पू का पावर है। नीतीश सरकार में खलबली मची हुई है। पूर्व सांसद पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद बिहार सरकार की नीयत पर सवाल उठने लगे हैं। सरकार में शामिल नेता इस गिरफ्तारी को गलत बता रहे हैं। जीतन राम मांझी, मुकेश सहनी के बाद भाजपा के विधान पार्षद रजनीश कुमार और जदयू के वरिष्ठ नेता मोनाजिर हसन ने पप्पू यादव की गिरफ्तारी का विरोध किया है।
पप्पू यादव ने जनता के हित में सवाल उठाया कि सांसद राजीव प्रताप रुडी के फंड से खरीदे गये 30 एम्बुलेंस क्यों बेकार पड़े हैं ? अभी जब कोरोना महामारी में एम्बुलेंस की घनघोर कमी है उस स्थिति में इनका इस्तेमाल नहीं होना क्या जरूरतमंद लोगों के साथ अन्याय नहीं है ? पप्पू यादव की पृष्ठभूमि या राजनीतिक धारा चाहे जो रही हो लेकिन उन्होंने जनता के दिल की बात उठायी है। इसलिए हर तरफ से उन्हें समर्थन मिल रहा है। जिस तरह से गिरफ्तारी हुई उससे पप्पू यादव के प्रति जनता की सहानुभूति और गहरी हो गयी। पप्पू यादव को 32 साल पुराने मामले में गिरफ्तार किया गया। उनकी पेशी के लिए रात के ग्यारह बजे कोर्ट खोला गया। कोर्ट के आदेश के बाद पप्पू यादव को जेल भेजा गया। जो भी एक्शन हुआ वह पप्पू यादव के खिलाफ हुआ। लेकिन आपदा के समय 30 एम्बुलेंस को परदे में रखने वाले भाजपा सांसद से क्यों नहीं कोई सवाल किया गया ? नीतीश सरकार का यह दोहरा रवैया अब आम पब्लिक को खटक रहा है।
कुछ तो खास है कि 25 साल में बने थे विधायक
पप्पू यादव 2020 का विधानसभा चुनाव हार गये तो बहुत लोगों ने उन्हें चुका हुआ चौहान मान लिया। जिस पप्पू यादव की मधेपुरा में तूती बोलती थी। उनका तीसरे स्थान पर पिछड़ जाना सचमुच हैरानी की बात थी। जो पप्पू यादव कभी लालू यादव को चुनौती दे कर जीतते थे, उनके खाते में सिर्फ 26 हजार 463 वोट का आना किसी अचंभे से कम नहीं था। लेकिन पप्पू यादव में कुछ तो ऐसा खास जरूर है जिसने उन्हें केवल 25 साल की उम्र में विधायक और 26 साल की उम्र में सांसद बना दिया था। ये खासियत है उनका जनता से जुड़ने का अंदाज। पप्पू यादव आपराधिक छवि के नेता माने जाते हैं। उनके खिलाफ दर्ज केस इस बात की तस्दीक करते हैं। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्होंने अपनी छवि को बदलने के लिए बहुत मेहनत की है। बाढ़ हो, सुखाड़ हो, इन्सेफेलाटिस हो, कोरोना हो या फिर जनता से जुड़ा कोई और मुद्दा हो, पप्पू यादव हर जगह नजर आये। उन्होंने जनसरोकार के सवाल पूछ-पूछ कर सरकार की नाक में दम कर दिया। लेकिन उनकी सक्रियता को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। लोकसभा और विधानसभा चुनाव हारने के बाद पप्पू यादव के विरोध को नक्कारखाने में तूती की आवाज समझा जाने लगा था। लेकिन एम्बुलेंस मामले और गिरफ्तारी के बाद पप्पू यादव की लोकप्रियता ने अचानक छलांग मार दी है।
पप्पू की लोकप्रियता से राजद में बेचैनी
नीतीश सरकार ने पप्पू यादव को गिरफ्तार कर उनकी राजनीति को फिर जिंदा कर दिया। अब हर तरफ यही चर्चा है कि पप्पू यादव को सबक सिखाने के लिए सरकार ने एक पुराने आपराधिक मामले को ढाल बनाया है। पप्पू यादव ने भाजपा सांसद की पोल खोल दी इसलिए नीतीश सरकार उनके पीछे पड़ गयी। लोगों की इस सोच ने पप्पू यादव की बिखरी हुई राजनीति को फिर से जमा दिया है। कोरोना महामारी में जब विपक्षी दल के नेता घरों में बैठे थे तो पप्पू यादव गांव-गांव घूम कर लोगों की मदद कर रहे थे। जो काम राजद और कांग्रेस का होना चाहिए था वह काम चुनाव हारने वाले पप्पू यादव कर रहे थे। पप्पू यादव की इस लोकप्रियता से राजद में बेचैनी है। कांग्रेस ने तो उनका समर्थन किया लेकिन लालू यादव और तेजस्वी ने उनकी गिरफ्तारी पर कुछ नहीं बोला। पप्पू यादव ने जेल जाने से पहले तेजस्वी से सड़क पर उतर कर लोगों की सेवा करने की अपील की थी। उन्होंने लालू यादव से भी सेवा के लिए एकजुट होने की गुजारिश की थी। कोरोना संकट में सहयोग के मुद्दे पर पप्पू यादव ने अग्रता हासिल कर ली है। अब अगर पप्पू यादव की अपील पर लालू यादव और तेजस्वी जनसेवा के लिए आगे आते हैं तो 75 विधायकों वाली पार्टी के लिए यह असहज स्थिति होगी। तेजस्वी को यह डर सता रहा है कि अगर पप्पू यादव का कद बढ़ गया तो उनकी राजनीति का क्या होगा ? पप्पू यादव कहते भी रहे हैं कि लालू यादव की विरासत के असली हकदार वही हैं। उनकी हुंकार से सरकार के साथ-साथ राजद में भी हड़कंप है।
बिहार सरकार की नीयत पर सवाल
क्या राजनीतिक बदले की भावना में पप्पू यादव के खिलाफ कार्रवाई की गयी है ? अपहरण के 32 साल पुराने मामले में मधेपुरा कोर्ट ने फरवरी 2020 में पप्पू यादव के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी किया था। लेकिन इस वांरट का तामिला नहीं हुआ। चौकीदार ने वांरट का कागज कहीं खो दिया था जिसकी वजह से पप्पू यादव को इसकी सूचना नहीं मिली। जब 2020 के विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव दिनरात चुनाव प्रचार करने लगे तो मीडिया की खबरों के आधार पर कोर्ट ने पुलिस को कारण बताओ नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पुलिस से पूछा कि गैरजमानती वारंट के बाद भी पप्पू यादव कैसे चुनाव प्रचार कर रहे हैं ? तब पुलिस ने वारंट खोने की बात बतायी और और उसकी दूसरी प्रति जारी करने का अनुरोध किया। कोर्ट से फिर गैरजमानती वारंट जारी हुआ। लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने पूर्व सांसद को गिरफ्तार नहीं किया। फिर पुलिस ने पप्पू यादव को फरार बता कर कुर्की जब्ती के आदेश के लिए कोर्ट से दरखवास्त की। कोर्ट ने दो महीना पहले ही यह आदेश दे दिया था। पप्पू यादव कोरोना काल में गांव-गांव शहर शहर घूमते रहे लेकिन पुलिस ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। अब जब भाजपा सांसद के खिलाफ एम्बुलेंस का विवाद गरमाया तो पुलिस अचानक सक्रिय हो गयी और वारंट पर अमल करते हुए पप्पू यादव को गिरफ्तार कर लिया। लेकिन इतने दिनों तक पुलिस क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठी रही ? जनता, सरकार से इस सवाल का जवाब मांग रही है।