पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले पड़ी कांग्रेस में दरार, नाराज़ नेताओं ने लिखी सोनिया गांधी को चिट्ठी
पंजाब कांग्रेस की पहली सूची जारी होने के बाद कई नेताओं और उनके समर्थकों में नाराज़गी देखी जा रही है। पहली सूची जारी होने के बाद कांग्रेस दोबारा से सियासी संग्राम शुरू हो चुका है।
चंडीगढ़,
18
जनवरी
2022।
पंजाब
कांग्रेस
की
पहली
सूची
जारी
होने
के
बाद
कई
नेताओं
और
उनके
समर्थकों
में
नाराज़गी
देखी
जा
रही
है।
पहली
सूची
जारी
होने
के
बाद
कांग्रेस
दोबारा
से
सियासी
संग्राम
शुरू
हो
चुका
है।
कांग्रेस
के
नेता
अपने
ही
पार्टी
के
नेताओं
को
आड़े
हाथों
लेने
से
नहीं
चूक
रहे
हैं।
अब
कांग्रेस
में
नया
विवाद
शुरू
हो
गया
है,
पार्टी
नेताओं
ने
नेताओं
ने
मंत्री
राणा
गुरजीत
सिंह
को
कांग्रेस
से
निकालने
की
मांग
कर
रहे
हैं।
राणा
गुजीत
को
पार्टी
से
निकालने
के
लिए
कांग्रेस
नेताओं
ने
सोनिया
गांधी
को
पत्र
भी
लिखा
है।
पत्र
लिखने
वाले
नेताओं
में
विधायक
नवतेज
चीमा,
बावा
हैनरी,
बलविंदर
धालीवाल
और
सुखपाल
खैहरा
ने
का
नाम
शामिल
है।
सोनिया
गांधी
को
लिखी
गई
चिट्ठी
उन्होंने
सभी
नेताओं
ने
कहा
है
कि
कपूरथला
से
मंत्री
राणा
गुरजीत
सिंह
को
टिकट
दी
जा
चुकी
है।
इसके
बावजूद
सुल्तानपुर
लोधी
से
वह
अपने
बेटे
को
निर्दलीय
चुनावी
मैदान
में
उतार
रहे
हैं,
जबकि
वहां
वहां
से
कांग्रेस
के
ही
विधायक
नवतेज
सिंह
चीमा
को
टिकट
दिया
गया
है।
राणा गुरजीत सिंह पर लगे आरोप
पंजाब कांग्रेस के चारों नेताओं ने कहा कि उन पर अवैध रेत माइनिंग में शामिल होने के आरोप लगे थे। 2018 में राणा गुरजीत सिंह को सरकार से इस्तीफा भी देना पड़ा था। इसके अलावा उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राणा गुरजीत सिंह दोआबा क्षेत्र में सुल्तानपुर लोधी, फगवाड़ा, भुलत्थ, जालंधर नॉर्थ, बंगा आदि में जगहों में टिकट दावेदारी में भी दखल दे रहे हैं। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ मंत्री राणा गुरजीत सिंह की अच्छी दोस्ती है। राणा गुरजीत पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू पर भी निराधार आरोप लगा चुके हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी की पहली सूची जारी होने के बाद से काफ़ी नेताओं में असंतोष पनप रहा है। कुछ नेताओं ने तो अपने कार्यकर्ताओं के साथ पार्टी के ख़िलाफ़ बग़ावती सुर एख्तियार करते हुए दूसरी पार्टी की सदस्यता भी ले ली है।
नेताओं और कार्यकर्ताओं में पनप रहा असंतोष
सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने ही श्री हरगोविंदपुर से विधायक बलविंदर सिंह लाडी को टिकट का आश्वासन देकर पार्टी में वापस बुलाया था। सीएम चन्नी के आश्वासन के बाद ही लाडी छह दिनों में ही भाजपा को छोड़कर वापस कांग्रेस में शामिल हुए थे। इसके बावजूद पहली सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया। खबर यह आ रही है कि अगर दूसरी सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया था तो वह निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनावी रण में उतर सकते हैं। वहीं सीएम चन्नी के क़रीब रिश्तेदार मोहिंदर सिंह केपी को भी टिकट नहीं दिया गया है। वह आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक थे और वहां से टिकट के दावेदार भी माने जा रहे थे। ग़ौरतलब है कि पिछले महीने दिसंबर में सुखविंदर सिंह कोटली बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए और पार्टी ने उन्हें आदमपुर से उम्मीदवार घोषित कर दिया। इन्ही सब वजहों से पंजाब कांग्रेस में असंतोष पनप रहा है।
कांग्रेस को भुगतना पड़ सकता है खामियाज़ा
पंजाब कांग्रेस ने कुछ दिन पहले 111 का चुनावी फ़ॉर्मूला निकाला था जिसमें यह कहा गया था कि सिद्धू, चन्नी और जाखड़ को लेकर पंजाब में कांग्रेस चुनावी रण में उतरी है। चुनाव जीतने के बाद विधायक दल की बैठक में फ़ैसला लिया जाएगा की कौन मुख्यमंत्री बनेगा। सियासी जानकारों की मानें तो कांग्रेस के वीडियो शेयर करने के बाद पंजाब में पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष देखने को मिल रहा है। कांग्रेस ने जो 111 का फ़ॉर्मूला बनाया था अब उसी तरह पार्टी तीन गुटों में बंट सकती है। क्योंकि चन्नी, सिदंधू और जाखड़ तीनों के समर्थक अपने-अपने नेताओं को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाना चाहते हैं। इसी वजह से सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई थी, लेकिन वीडियो के बाद तीनों गुटों में नाराज़गी देखी जा रही है। आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है।
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