पंजाब: क्या CM मान भी पूरा नहीं कर पाएंगे मुलाज़िमों को पक्का करने का वादा, कहां फंसा पेंच ?
पंजाब प्रचंड जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी पंजाब की जनता को ख़ुश रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है।
चंडीगढ़, 24 मार्च 2022। पंजाब में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी पंजाब की जनता को ख़ुश रखने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में चुनाव के दौरान किए गए घोषणाओं के साथ-साथ कई और फ़ैसले भी ले रही है। हाल ही में पंजाब की मान सरकार ने 35 हज़ार कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का भी ऐलान किया है। इस बाबत उन्होंने अगले विधानसभा सत्र से पहले प्रक्रिया शुरू करने के लिए मुख्य सचिव को ब्लू प्रिंट तैयार करने के लिए कहा है, ताकि इस फ़ैसले को सदन में पास करवाकर राज्यपाल की मंज़ूरी के बाद लागू किया जा सके। सियासी गलियारों में यह चर्चा ज़ोरों पर है कि भगवंत मान का कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का फ़ैसला क़ानूनी प्रक्रिया में उलझ सकता है।
35 हज़ार से ज्यादा हैं कच्चे मुलाज़िम
पंजाब में सरकारी विभागों में कॉन्ट्रैक्ट, डेली वेजेज़ और अन्य स्रोत पर काम कर रहे कुल मुलाजिमों की 35 हज़ार से ज्यादा हैं। कॉन्ट्रैक्ट और डेली वेजेज़ वाले मुलाज़िमों का डाटा विभागों के पास है। इसके अलावा दूसरे कच्चे कर्मचारी केंद्रीय परियोजनाओं के अन्तर्गत विभिन्न विभागों में काम कर रहे हैं जिन पर केंद्र सरकार के सेवा नियम ही लागू होते हैं। इनमें से कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे मुलाज़िमों की तादाद ज़्यादा है जिसकी जानकारी संबंधित ठेकेदारों के पास है। इन सब मुद्दों के बाद भी पंजाब में सरकारों की तरफ़ से कच्चे मुलाज़िमों को पक्का करने की घोषणाएं की जाती रही हैं और उन्हें पूरा करने की कोशिश भी हुई है लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिल पाई है।
पंजाब में पिछली सरकारों ने भी की थी कोशिश
पंजाब में पिछली सरकारों ने भी कच्चे मुलाज़िमों को पक्का करने की कोशिश की थी लेकिन कानूनी दांव-पेंच की वजह से अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। पिछली चन्नी सरकार ने भी कच्चे मुलाज़िमों को पक्का करने के लिए सदन में पारित करवा लिया था। लेकिन राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिल सकी थी। इससे पहले 2006 में कैप्टन सरकार भी कच्चे मुलाज़िमों को पक्का करने की कोशिश कर चुके थे लेकिन कामयाबी नहीं मिली थी। 2016 में पंजाब की बादल सरकार ने भी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए (पंजाब तदर्थ, अनुबंध, दैनिक वेतन, अस्थायी कार्य प्रभारित और आउटसोर्स) कर्मचारी कल्याण अधिनियम-2016 पारित कर इसे कानूनी दर्जा देने की कोशिश किया था लेकिन नाकाम रहे।
कॉन्ट्रैक्ट मुलाजिमों को पक्का नहीं किया जा सकता
पंजाब में कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के लिए अब तक जितनी भी कोशिशे की गईं हैं उसमें कामयाबी नहीं मिल पाई है। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले की वजह से पंजाब की सभी सरकारों के मंसूबे पर पानी फिरता चला आया है। आपको बता दें कि साल 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फ़ैसला दिया जो कि उमा देवी बनाम कर्नाटक सरकार के बीच था। इस फ़ैसले में कहा गया था कि कॉन्ट्रैक्ट मुलाजिमों को पक्का नहीं किया जा सकता क्योंकि कांट्रैक्ट पर रखे गए कर्मचारियों की नियुक्ति का मापदंड ही निर्धारित नहीं है। सुंप्रीम कोर्ट के मुताबिक उन मुलाजिमों को ही पक्का किया जा सकता है जिन्हें सारे मापदंडों के मुताबिक कॉन्ट्रैक्ट के ज़रिए पदों पर भर्ती किया गया है।
मुलाज़िमों नियमबद्ध तरीके से नियुक्त करना ज़रूरी
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक कॉन्टैक्ट के ज़रिए मुलाज़िमों नियमबद्ध तरीके से नियुक्त नहीं किया जाता है। इसलिए उन्हें पक्का नहीं किया जा सकता है। ग़ौरतलब है कि 2006 में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने कॉन्टैक्ट मुलाजिमों को नियमित करने की छूट दी थी लेकिन बाद में रोक लगा दी गई थी। पंजाब की चन्नी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अनदेखा करते हुए नया एक्ट लागू कर कच्चे मुलाजिमों को पक्का करने की पहल की थी लेकिन इस प्रस्ताव को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी थी। अब भगवंत मान भी कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जानकारों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला इसके आड़े आ सकता है।
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