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67 साल के इमरान खान की नाक में दम करने वाला कौन है 66 वर्षीय मौलाना फजुलर रहमान?

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इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री जिन्‍हें करीब तीन दशक बाद पिछले वर्ष देश की सत्‍ता मिली थी, अब उनकी कुर्सी मुश्किल में पड़ती जा रही है। 66 साल के एक मौलाना ने इमरान और उनकी की सरकार नींदे उड़ाकर रख दी हैं। जमीयत उलेमा-ए-इस्‍लाम के मुखिया मौलाना फजुलर रहमान की वजह से 67 साल के इमरान खान के माथे पर बल पड़ गए हैं। क्रिकेट के मैदान में अपनी बॉलिंग से दुश्‍मन के छक्‍के छुड़ाने वाने पूर्व क्रिकेटर इमरान खान को समझ नहीं आ रहा है कि मौलान का सामना कैसे किया जाए। शुक्रवार को रहमान की तरफ से सरकार को दो दिनों का अल्‍टीमेटम दिया गया था।अब सोमवार को यह देखना होगा कि जो आजादी मार्च इस्‍लामाबाद में जारी है, उससे निबटने के लिए पीएम कौन सा मास्‍टरस्‍ट्रोक खेलेंगे।

इमरान की तरह शरिया की वकालत करते मौलाना

इमरान की तरह शरिया की वकालत करते मौलाना

मौलाना फजलुर रहमान, इमरान की तरह तालिबान समर्थक राजनेता हैं और इमरान की ही तरह वह भी पाकिस्‍तान में शरिया लॉ को लागू करने की वकालत करते आए हैं। हालांकि बाद में उनकी विचारधारा बदली और उन्‍होंने कुछ धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ गठबंधन बनाया। आज वह विपक्ष के सबसे मजबूत नेता बन चुके हैं जो सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती में तब्‍दील होता जा रहा है। खैबर पख्‍तूनख्‍वां प्रांत के डेरा इस्‍माइल खान में जन्‍में मौलाना के पिता मुफ्ती महमूद इस प्रांत के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं।

 पहली बार 1988 में पहुंचे संसद

पहली बार 1988 में पहुंचे संसद

1980 में जब रहमान के पिता की मृत्‍यु हुई तो उन्‍होंने 27 साल की उम्र में पार्टी की कमान संभाल ली। 1988 में वह चुनाव जीतकर पहली बार पाकिस्‍तान की नेशनल एसेंबली में पहुंचे। इसी दौरान मौलाना ने अफगान तालिबान के साथ संपर्क बनाने भी शुरू कर दिए थे। दूसरी बार सन् 1990 में वह डेरा इस्‍माइल खान सीट से नेशनल एसेंबली चुनावों के लिए खड़े हुए लेकिन इस बार वह चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे। इसके बाद साल 1993 में जब फिर से चुनाव हुए और वह जीतकर फिर से सदन में पहुंचे। इस बार उन्‍हें पाकिस्‍तान संसद की विदेश समिति का चेयरमैन बनाया गया। चौथी बार वह 1997 में चुनाव के मौदन में उतरे लेकिन जीत नहीं सके।

बेनजीर का किया विरोध

बेनजीर का किया विरोध

मौलाना का धार्मिक कार्ड सबसे मजबूत रहा है। वह खुले तौर पर देश की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी चलाते हैं। कभी तालिबान के खिलाफ अमेरिकी अभियान को इस्लाम विरोधी बताकर वे जेहाद का ऐलान किया करते थे। साल 1988 में बेनजीर भुट्टो जब पाकिस्तान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं तो मौलाना ने एक महिला के देश की अगुवाई करने के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हालांकि बाद में बेनजीर भुट्टो से मिलने के बाद मौलाना ने अपना विरोध वापस ले लिया था।

जॉर्ज बुश के खिलाफ रैलियां

जॉर्ज बुश के खिलाफ रैलियां

सिर्फ इतना ही नहीं जिस समय परवेज मुशर्रफ पाकिस्‍तान पर शासन कर रहे थे तो उस समय भी मौलाना फजलुर रहमान का विरोध काफी तेज था। साल 2001 में अमेरिका में हुए 9/11 के हमले के बाद जब पाकिस्तान को मजबूरन तालिबान के खिलाफ अमेरिकी ऑपरेशन में साथ होना पड़ा तो मौलाना ने मुशर्रफ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्‍होंने जॉर्ज बुश के खिलाफ जेहाद का ऐलान कर पाकिस्तान के कई शहरों में तालिबान के पक्ष में रैलियां की। परवेज मुशर्रफ को उस समय मौलाना को नजरबंद तक करवाना पड़ गया था।

अमेरिकी राजदूत से बोले पीएम बनवा दो

अमेरिकी राजदूत से बोले पीएम बनवा दो

साल 2002 में मौलाना ने तीसरी बार आम चुनावों में जीत हासिल की। इस बार उन्‍हें उप-प्रधानमंत्री बनाए जाने की संभावनाएं काफी तेज हो गई थीं लेकिन ऐसा हो नहीं सका। साल 2004 से 2007 तक उन्‍होंने विपक्ष के नेता का रोल अदा किया। साल 2007 में जब एनी पीटरसन पाक में अमेरिकी राजदूत थीं तो मौलाना ने एक डिनर के बाद उनसे पाक का पीएम बनने के लिए समर्थन मांगा और साथ ही कहा कि वह एक बार अमेरिका का दौरा करना चाहते हैं।

इमरान की सीट जीत चुके हैं मौलाना

इमरान की सीट जीत चुके हैं मौलाना

साल 2008 में उन्‍होंने छठवीं बार आम चुनावों में जीत हासिल की। इस बार उन्‍होंने उस बानू सीट पर भी कब्‍जा किया था जो अब इमरान खान का क्षेत्र है। इसी वर्ष उन्‍होंने तालिबान से दूरी बनाकर खुद को उदारवादी नेता बता दिया। मई 2014 में तत्‍कालीन पीएम नवाज शरीफ ने उन्‍हें एक फेडरल मिनिस्‍टर का दर्जा दिया था। इसके साथ ही कश्‍मीर पर बनी एक स्‍पेशल कमेटी का चेयरमैन भी बनाया। इसके बाद अगस्‍त 2017 में जब शाहिद खाकन अब्‍बासी देश के पीएम बने तो उन्‍होंने यह दर्जा बरकरार रखा। साल 2018 में हुए चुनावों में वह अपनी सीट बरकरार नहीं रख पाए थे।

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English summary
Pakistan: 66 years old Maulana Fazlur Rehman may kill 67 years old Imran Khan's political career know all about him.
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