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हत्या के बाद शव के कपड़े उतारकर, बलात्कार करता था सुरेंद्र कोली

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नयी दिल्ली। नोएडा के सेक्टर 31 का कोठी नबंर नबंर डी-5 आज भी उन बेगुनाहों के हत्या का मूक गंवाह है जिन्हें एक नरपिशाच ने अपनी भूख का शिकार बनाया। मामला दिसंबर 2006 का है। बात भले पुरानी हो गई हो, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक अहम फैसले ने इसको एक बार फिर से ताजा कर दिया है। कोर्ट ने निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। आपको कोली के काली गाथा के कुछ पहलुओं को एक बार फिर से याद करवाते हैं।

'नरपिशाच' कोली

डी-5 बंगले में बतौर नौकर काम करने वाले 39 साल के सुरेंद्र कोली की नजर हमेशा कोठी के मेन गेट पर होती थी। जैसे-जैसे शाम ढलती उसकी गिद्ध जैसी नजरें शिकार की तलाश में जुट जाती। शाम ढलते ही इलाके में सन्‍नाटा छा जाता था, तब वो गेट के पास से निकलने वाली लड़कियों पर झप्पटा मारकर उन्हें बंगले के भीतर कर लेता और उनके मुंह में कपड़ा ठूस कर उनके साथ बलात्‍कार कर अपनी दरिंदगी को शांत करता।

इतने पर भी इस नरपिचाश का मन नहीं भरता। लड़कियों, छोटी-छोटी बच्चियों के साथ बलात्कार करने के बाद उनकी हत्‍या कर उनके शव के कपड़े उतार कर फिर से बलात्‍कार करता था। कोली की हैवानियत तब चरम पर पहुंच जाती थी, जब वो उन्‍हीं लड़कियों के शव के टुकड़े कर उन्‍हें खाता और बचे-कुचे टुकड़ों को बंगले के कंपाउंड में दफ्ना देता। ये बातें आपको विचलित कर रही होंगी, लेकिन ये सब सच है। खुद कोली ने नारको टेस्‍ट में इन बातों को कबूला था।

कैसे सामने आया निठारी का सच

देश का सबसे चर्चित निठारी कांड दुनिया के सामने शायद नहीं आ पाता अगर पायल रिक्शेवाले को बाहर इंतजार करने की बात कहकर पंढेर की कोठी के अंदर नहीं जाती। 7 मई 2006 को पायल नाम की लड़की पंढेर की कोठी में रिक्शे से आई थी। उसने रिक्शेवाले को कोठी के बाहर रोका और वापस आकर पैसे देने की बात कही थी। काफी देर बाद जब वह वापस नहीं लौटी तो रिक्शेवाला पैसे लेने के लिए कोठी का गेट खटखटाया।

इस पर उसे सुरेंद्र कोली ने बताया कि पायल काफी देर पहले जा चुकी है। रिक्शेवाले ने बताया कि वह कोठी के सामने ही था, पायल बाहर नहीं निकली। यह बात जब पायल के घरवालों तक पहुंची तो उन्होंने एफआईआर लिखवाई। जिसके बाद ये पूरा मामला सामने आया।

क्या है निठारी का सच

दिसंबर 2006 के अंतिम दिनों में नोएडा के डी-5 कोठी में सिलसिलेवार हो रहे हत्याकांडों का खुलासा नोएडा पुलिस ने किया। कोठी में आसपास के इलाकों से 2005 से गायब हो रहे बच्चों की लगातार हत्या की जा रही थी। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने कोठी मालिक मनिंदर सिंह पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को आरोपी बनाया। बाद में इस मामले में मनिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद कोर्ट से जमानत मिल गई, जबकि वह इस कांड का प्रमुख दोषी बनाया गया। जनवरी 2007 को उत्तर प्रदेश सरकार ने मामला सीबीआइ के हाथों में दे दिया।

इन बच्‍चि‍यों का हुआ था कत्ल

गायब होने के बाद इन बच्‍चि‍यों ज्योति, पुष्पा विश्वास, नंदा देवी, पायल, रचना, हर्ष, कु. निशा, रिम्पा हलधर, सतेंद्र, दीपाली, आरती, पायल, पिंकी सरकार, अंजली, सोनी, शेख रजा खान, बीना आदि का कत्‍ल कर दि‍या गया।

उम्रकैद में बदली फांसी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी सुरिंदर कोली की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया है। हम अदालत के फौसले पर कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं, लेकिन कोर्ट के फैसले से लोगों का मन आहत हुआ है। लोगों का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले ये पीड़ित परिवारों को हताशा हुई है।

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English summary
Nithari Killer Surinder Koli is a self-confessed cannibal found guilty 10 years ago of murdering young women and children at a bungalow near Delhi. Koli had confessed to having sex with dead victims and also eating some of their body parts.
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