गेस्ट हाउस कांड 1995: मायावती जिसे इस जन्म में कभी नहीं भुला सकती!
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 से पहले उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच महागठबंधन हो गया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को लखनऊ के ताज होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस महागठबंधन का ऐलान किया। दोनों पार्टियों ने 38-38 लोकसभा सीटों पर लड़ने का ऐलान किया है. दो सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए छोड़ी गई हैं, जबकि दो सीटें सहयोगी दलों के लिए रखी गई हैं। इस महागठबंधन के ऐलान के बाद आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटके लगने की चर्चाएं जोरों पर है.
यूपी के बारे में एक मशहूर कहावत है कि दिल्ली का रास्ता यहीं से निकलता है.।इसी वजह से साल 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा ने अभूतपूर्व प्रदर्शन किया था। भाजपा ने 71 सीटों पर अपने दम पर जीत हासिल की थी, जबकि उसकी सहयोगी अपना दल को दो सीटें मिली थीं। बहुजन समाज पार्टी को इस चुनाव में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ था। उसका यूपी में सूपड़ा साफ हो गया था। वहीं तब राज्य में सत्ता पर बैठी समाजवादी पार्टी भी 5 सीटों पर निपट गई थी. कांग्रेस सिर्फ सोनिया गांधी और राहुल गांधी की सीट ही इस सुनामी में बचा पाई थी। ऐसा प्रदर्शन भाजपा ने राम मंदिर आंदोलने के दौरान या बाद में हुए चुनाव में भी नहीं किया था।
समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी भले ही अपनी राजनीतिक मज़बूरियों के चलते एक साथ आई हो, लेकिन आज से करीब 23 साल पहले हुआ ऐसा हादसा जिसे कम से कम मायावती तो जिंदगी भर नहीं भूला सकती हैं. इस हादसे को गेस्ट हाउस कांड के नाम से भी जाना जाता है। मायावती का आरोप था कि मुलायम सिंह यादव के कहने पर उन पर ये जानलेवा हमला करवाया गया था. इसके बाद इन दोनों पार्टियों में हमेशा के लिए एक दूसरे के दरवाजे बंद हो गए थे.
भाजपा को रोकने के लिए 1993 में साथ आए
राम मंदिर आंदोलन के उभार के बाद भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर करने के लिए साल 1993 के विधानसभा चुनाव में बसपा के संस्थापक कांशीराम और जनता दल तोड़कर समाजवादी पार्टी की स्थापना करने वाले मुलायम सिंह यादव ने मिलकर गठबंधन बनाया. इसके बाद बसपा के समर्थन से मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने। लेकिन इस गठबंधन में दो साल में ही खटास पड़ गई और ये गठबंधन टूट गया।
क्या
था
गेस्ट
हाउस
कांड
गठबंधन
टूटने
के
एक
दिन
बाद
कांशीराम
के
कहने
पर
मायावती
ने
2
जून
2018
को
लखनऊ
के
वीआईपी
गेस्ट
हाउस
के
कॉमन
हॉल
में
बसपा
विधायकों
और
नेताओं
की
मीटिंग
आयोजित
की।
शाम
के
करीब
चार
बजे
करीब
दो
सौ
समाजवादी
पार्टी
के
विधायकों
और
कार्यकर्ताओं
ने
वीआईपी
गेस्ट
हाउस
पर
हमला
बोल
दिया.
इन
लोगों
ने
वहां
मौजूद
बसपा
को
नेताओं
पर
विधायकों
के
साथ
मारपीट
की।
उत्तेजित
भीड़
सपा
के
समर्थन
में
नारे
लगा
रहे
थे।
वहां
मौजूद
बसपा
कार्यकर्ताओं
के
कहने
पर
मायावती
ने
खुद
को
अलग
करने
में
बंद
कर
लिया।
थोड़ी
देर
में
ये
भीड़
मायवावती
के
कमरे
तक
पहुंच
गई
और
मायावती
को
'जातिसूचक'
गाली
देते
हुए
दरवाजे
पीटने
लगी.
बाद
में
वरिष्ठ
पुलिस
अधिकारियों
और
डीएम
के
मौके
पर
आने
के
बाद
बड़ी
मुश्किल
से
सपा
के
उपद्रवी
कार्यकर्ताओं
पर
काबू
पाया
और
मायावती
की
जान
बचाई।
इस
काले
अध्याय
को
ही
गेस्टहाउस
कांड
कहा
जाता
है।
इस कांड के अगले दिन तीन जून, 1995 को मायावती ने यूपी के सीएम के तौर पर पहली बार शपथ ली. हालांकि भाजपा के साथ उनका ये गठबंधन पांच महीने में ही टूट गया और वो सत्ता से बेदखल हो गई।