11 Years of 26/11: आतंकियों ने गुजराती मछुआरों की नाव कब्जाकर ऐसे मुंबई में प्रवेश किया था
मुंबई. ठीक 11 साल पहले देश की आर्थिक राजधानी मुंबई ने सबसे बड़ा आतंकी हमला झेला था। उस हमले में 160 से ज्यादा जानें गई थीं। करीब इतने ही लोग जख्मी हुए थे। आतंकियों से लोहा लेते हुए महाराष्ट्र पुलिस, इंडियन आर्मी, होमगार्ड्स और पैरामिलट्री फोर्सेस के 22 जवान शहीद हुए थे। पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया। 60 घंटे तक चले मिलिट्री ऑपरेशन में 9 आतंकियों को मौत के घाट उतारा दिया गया, जबकि एक आतंकी को जिंदा पकड़ा गया। उस जिंदा आतंकी अजमल कसाब को 21 नवंबर 2012 में फांसी दे दी गई। 26 नवंबर 2008 में हुए आतंकी हमले के 11 साल बाद मुंबई अब महफूज जरूर है, लेकिन उस हमले के पीड़ित उस मंजर को याद कर आज भी सिहर उठते हैं।
ONEINDIA.COM आज आपको बता रहा है, गुजरात के एक मछुआरे के कहानी। जिसे आतंकियों ने समुद्र में पकड़ा था और उसकी बोट के जरिए ही मुंबई में दस्तक दी थी।
पहले समुद्र में मछली पकड़ते मछुआरों को निशाना बनाया
पाकिस्तान से रवाना के होने के बाद एक दर्जन से ज्यादा आतंकियों ने भारतीय समुद्री सीमा में प्रवेश किया था। 24-25 नवंबर, 2008 की दरम्यान कुछ भारतीय मछुआरे तब समुद्र में मछली पकड़ रहे थे। तब पाकिस्तानी आतंकियों ने उन्हें देखा। आतंकी अपनी पाकिस्तानी नौकाओं से मछुआरों के पास आए और मछुआरों की बोट पर चढ़ गए। वहीं, आतंकियों में आपस में गुपचुप कुछ बातें हुईं। जिसके बाद उन्होंने कई मछुआरों को गर्दन काटकर मार डाला। उसके बाद एक बोट संचालक और उसके साथी को बंदी बनाकर उसे बोट को मुंबई तक ले चलने को कहा।
फिर आतंकी उस भारतीय बोट के जरिए मुंबई तक पहुंचे
जिस कुबेर बोट को आतंकियों ने कब्जाया था, उस बोट के चालक का नाम रमेश बांमणिया था। रमेश बांमणिया गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र के रहने वाले थे। उन दिनों वे अपने साथियों के साथ मछली पकड़ने गए हुए थे। आतंकियों ने उन्हें मारकर बोट के जरिए ही समुद्र पार किया। रात के समय जब बोट मुंबई तट पर पहुंची तो सभी 10 आतंकी उस बोट को वहीं छोड़कर मुंबई में घुस गए। उसके बाद 26 नवंबर की रात करीब साढ़े 8 बजे के समय से सबसे भीषण हमले को अंजाम दिया।
बोट चालक और सभी मछुआरों का कर दिया था कत्ल
घटना के कई दिनों बाद रमेश बांमणिया के परिजनों को अनहोनी का अंदेशा हुआ। उनकी शिकायत के कई दिनों बाद पुलिस एवं एजेंसियों की ओर से उन्हें बताया गया कि कुछ गुजराती मछुआरों को पाकिस्तानी आतंकियों ने समुद्र में मार डाला था और बोट कब्जा ली थी। बाद में वह बोट मिल भी गई, जिसे रमेश बांमणिया चला रहे थे। जिससे यह कन्फर्म हो गया कि रमेश बांमणिया को पाकिस्तानी आतंकियों ने ही मारा था।
सुरक्षाबलों ने ढूंढी रमेश बांमणिया की लाश
भारतीय सुरक्षाबलों ने कुबेर बोट बरामद की, जिसमें रमेश बांमणिया की लाश मिली। हालांकि, अन्य लोगों की लाशों का कोई पता नहीं चला था। आतंकियों ने बाकी मछुआरों को मारकर समुद्र में ही फेंक दिया था। इधर, महाराष्ट्र सरकार ने 26/11 के हमले के पीड़ितों को मुआवजे का ऐलान किया था। तब रमेश बांमणिया के परिजन भी गुजरात सरकार से मुआवजा मांगने लगे। कई साल तक उनकी बात नहीं सुनी गई। जिसके बाद वे शीर्ष अदालत गए।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद मिला मुआवजा
अदालत (हाईकोर्ट) ने गुजरात सरकार को मृतक के परिजनों को मुआवजा देने का आदेश दिया। वर्ष 2019 में इसी नवंबर माह में रमेश बांमणिया के परिजनों को राज्य सरकार ने मुआवजा देने का ऐलान किया। रूपाणी सरकार ने उस परिवार को 5 लाख की मदद देने की बात कही। उस परिवार ने अपने एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की भी गुहार लगाई।
मुंबई की सुरक्षा हुई पुख्ता
वर्ष 2008 के मुकाबले मुंबई की सुरक्षा व्यवस्था अब बहुत सुदृढ हो चुकी है। यहां कई स्तरीय सुरक्षा घेरा तैनात है।
पाक से सिर्फ 10 आतंकी ही नहीं आए थे
हमले के बाद जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने पूछताछ में खुलासा किया था कि पाकिस्तान से मुंबई में हमला करने सिर्फ 10 आतंकी ही नहीं आए थे। बल्कि समु्द्र में कुछ आतंकी वापस भी चले गए थे। हमला करने वाले आतंकियों की संख्या ही 10 थी।