यूपी पुलिस की यह लेडी सिंघम बचाती हैं परिवारों को टूटने से, अब तक हज़ारों रिश्तों को दे चुकी हैं दूसरा जन्म
पुलिस का नाम सुनते ही कुछ लोगों के दिमाग में एक निगेटिव सोच पैदा हो जाती है। कड़वी है पर सत्य है की कई लोग पुलिस को देखकर बिना वजह घबरा जाते हैं। जो पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए दिन रात काम करती है, आखिर उसी वर्दी को लेकर ऐसी सोंच क्यों है? वजह है कुछ चंद पुलिसवालों द्वारा किए गए अपराध। लेकिन योगी सरकार की उत्तर प्रदेश पुलिस में एक लेडी सिंघम ऐसी है जोकि पुलिस में रहकर अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के साथ-साथ लोगों का घर बसाने का कार्य भी कर रही है। यह लेडी सिंघम अब तक 710 परिवारों को टूटने से बचा चुकी है।
परिवारों को टूटने से बचा रही हैं अलका ठाकुर
पुलिस महकमा किसी ना किसी बात को लेकर हमेशा से चर्चा में रहता है और पुलिस का नाम सुनते ही लोग अपने मन में तरह-तरह की बातें पैदा करने लगते हैं। आज हम आपको बताएंगे मथुरा के महिला थाना में तैनात थाना प्रभारी निरीक्षक अलका ठाकुर के बारे में। अलका ठाकुर का पुलिस में एक थाना प्रभारी निरीक्षक के रूप में जो जिम्मेदारियां और कर्तव्य हैं वह उसका तो निर्वहन कर ही रही हैं, साथ ही वह लोगों के परिवार को टूटने से बचा रही हैं जो घरेलू हिंसा का शिकार हुए हैं। दरअसल महिला थाने में ज्यादातर पति पत्नी के बीच हुए झगडे या घरेलु हिंसा के मामले आते हैं। ऐसे में दो परिवारों के बीच हुए विवाद सीमा लांग देते हैं। ऐसे में आरोप प्रत्यारोप और मुक़दमेबाज़ी दो परिवारों के बीच सुलह के संभावना और भी कम हो जाती है नतीजन रिश्ते हमेशा के लिए टूट जाते हैं।
रिश्तो में आई दरार को ख़त्म किया जा सकता है
रिश्तो
में
आई
दरार
को
ख़त्म
किया
जा
सकता
है
वही
अलका
ठाकुर
का
मानना
है
की
रिश्तो
में
आई
दरार
को
ख़त्म
किया
जा
सकता
है।
बशर्ते
हमें
उनको
दूसरा
मौका
देना
होता
है।
जब
दो
परिवार
हमारे
पास
शिकायत
लेकर
आते
हैं
तब
हमारी
पहली
कोशिश
होती
है
की
मामले
को
बात
चीत
के
द्वारा
सुलझाया
जाए।
इसके
लिए
अलका
जी
दोनों
परिवारों
के
सदस्यों
को
बुलाकर
पहले
उनकी
काउंसलिंग
करती
है
और
फिर
काउंसलिंग
के
बाद
खुशी-खुशी
उन
दोनों
परिवारों
को
एक
दूसरे
से
मिलाती
हैं।
इन
दिनों
लोगों
की
चर्चाओं
में
अलका
ठाकुर
हैं
और
लोग
उनकी
चर्चा
करने
से
नहीं
थक
रहे
हैं।
इसके
साथ
ही
लोगों
के
अंदर
पुलिस
विभाग
के
प्रति
एक
सकारात्मक
सोच
भी
अलका
ठाकुर
पैदा
कर
रहीं
हैं।
थाने
आते
वक्त
दोनों
परिवार
गुस्से
में
होते
हैं
लेकिन
जब
अलका
ठाकुर
खुद
काउंसलिंग
करने
इन
दोनों
परिवारों
के
बीच
बैठती
हैं
तो
दोनों
परिवारों
के
बीच
एक
अलग
ही
माहौल
देखने
को
मिलता
है।
फिर
देखते
ही
देखते
मामला
कोर्ट
में
जाने
की
वजह
वही
सुलझ
जाता
है।
1500 में से 710 घर टूटने से बचाए
महिला थाना प्रभारी निरीक्षक अलका ठाकुर से जब बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने 11 महीनों में बहुत कुछ उतार-चढ़ाव देखे हैं। इन 11 महीनों में पंद्रह सौ घरेलू हिंसा के मामले थाने में दर्ज हुए और उन मामलों में से 710 मामले ऐसे हैं जो मेरे द्वारा काउंसलिंग कर उन्हें सकुशल जोड़ दिया गया। 710 परिवार आज घरेलू हिंसा के शिकार से बचे और अपने परिवार को चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत ही खुशी मिलती है, जब दोनों परिवारों की काउंसिलिंग कराने के बाद उनको खुशी-खुशी घर भेजा जाता है और उनसे यह वचन लिया जाता है कि आगे किसी भी तरह की कोई भी हिंसा वह दोनों परिवारों के बीच में नहीं करेंगे।
सभी पुलिसकर्मी हों अलका ठाकुर जैसे
पुलिस
का
मूल
कर्तव्य
कानून
व्यवस्था
व
लोक
व्यवस्था
को
स्थापित
रखना
तथा
अपराध
नियंत्रण
व
निवारण
तथा
जनता
से
प्राप्त
शिकायतों
का
निस्तारण
करना
है।
समाज
के
समस्त
वर्गों
में
सद्भाव
कायम
रखने
हेतु
आवश्यक
प्रबंध
करना,
महत्वपूर्ण
व्यक्तियों
व
संस्थानों
की
सुरक्षा
करना
तथा
समस्त
व्यक्तियों
के
जान
व
माल
की
सुरक्षा
करना
होता
है।
कुछ
पुलिसकर्मी
इस
कर्तव्य
को
बस
एक
ड्यूटी
समझ
के
निभाते
हैं
लेकिन
कुछ
पुलिस
कर्मी
जैसे
की
अलका
ठाकुर,
अपने
इस
कर्तव्य
को
बस
एक
काम
समझ
कर
निपटाती
नहीं
है
बल्कि
शिकायत
लेकर
आए
लोगों
की
पूरी
समस्या
को
समझकर
और
उसका
पूरा
हल
निकाल
कर
ही
दम
लेती
हैं।
आज
के
इस
दौर
में
उनके
कार्य
को
मथुरा
की
जनता
ने
खूब
सराहा
है
और
लोगो
का
कहना
है
की
अगर
देश
में
सभी
पुलिसकर्मी
इसी
प्रकार
अपनी
ड्यूटी
निभाएं
तो
समाज
की
हर
परेशानी
का
हल
निकाला
जा
सकेगा।
Ayodhya के बाद अब Mathura के लिए 6 दिसंबर साबित होगा ऐतिहासिक दिन ?