Mathura : 50 हजार के लिए पाड़ों में हुई 2 राउंड की फाइट, वीडियो हो गया सोशल मीडिया पर वायरल
Buffalo Fight In Mathura : एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है जिसमे यमुना नदी के तट पर दो भैंसे कुश्ती करते नजर आ रहे हैं। आपको जानकार हैरानी होगी कि यह फाइट 50 हजार रुपये की इनामी फाइट थी, जिसमें दोनों भैंसों को लड़ाया गया।
भारत में ही नहीं बल्कि कई अन्य देशों में भी सैकड़ों सालों से बुल फाइट यानी साड़ों या भैंसों की लड़ाई की प्रत्योगिताएं आयोजित की जाती रही हैं। पहले इन प्रतियोगताओं में विजेता को इनाम या ट्रॉफी दी जाती थी, मगर अब भैसों की लड़ाई पर सट्टा लगने लगा है। हालाँकि भारत के कई राज्यों में यह प्रतिबंधित है पर भैंसे की लड़ाई पर सट्टा लगाने का चलन दिनों-दिन बढ़ रहा है। यही नहीं, अब तो भैंसों की इस लड़ाई में खुले तौर पर शर्त लगती है। हार जीत की रकम की राशि हजारों से लाखों में पहुंचने लगती है। वहीं राजनीतिक कार्यकर्ताओं का संरक्षण मिलने से इस आयोजन को भव्य स्वरूप मिलने लगा है।
भैंसों की लड़ाई पर 50 हजार का सट्टा
आपको
बता
दें
कि
ताजा
मामले
में
उत्तर
प्रदेश
के
मथुरा
से
एक
वीडियो
सोशल
मीडिया
पर
जमकर
वायरल
हो
रहा
है
जिसमे
यमुना
नदी
के
तट
पर
दो
भैंसे
कुश्ती
करते
नजर
आ
रहे
हैं।
दरअसल,
मथुरा
के
डीग
गेट
क्षेत्र
के
निवासी
और
चौक
क्षेत्र
के
निवासी
दो
मित्रों
के
पास
तगड़े
तंदरुस्त
भैंसे
हैं,
जिनके
बीच
में
यह
फाइट
कराई
गई।
आपको
जानकार
हैरानी
होगी
कि
यह
फाइट
50
हजार
रुपये
की
इनामी
फाइट
थी,
जिसमें
दोनों
भैंसों
को
लड़ाया
गया।
यह
लड़ाई
दो
पार्ट
में
कराई
गई।
2
राउंड
का
मैच
पहली
लड़ाई
यमुना
के
बीच
में
कराई
गई
जिसे
देखने
के
लिए
सैकड़ों
की
संख्या
में
लोग
यमुना
किनारे
इखट्टे
हो
गए।
वहीं
दूसरी
फाइट
हुई
यमुना
किनारे
बालू
के
कच्चे
मैदान
में,
जहां
दोनों
ने
अपनी
अपनी
ताकत
दिखाई।
बताया
जा
रहा
है
कि
लगभग
दो
से
ढाई
घंटे
चली
इस
फाइट
में
नोटों
की
बरसात
हुई।
इस
दौरान
ढोल
नगाड़े
भी
बजे
और
अंत
में
50
हजार
रुपये
की
यह
कुश्ती
चौक
बाजार
क्षेत्र
के
एक
दुग्ध
विक्रेता
के
भेंसे
ने
जीती।
इंसानो का मजा, बेजुबान को सजा
जानकारों की माने तो यह एक चिंता का विषय है जिसपर प्रशासन को कड़ा रुख अपनाना चाहिए। इस तरह के आयोजन को पूरी तरह प्रतिबंधित करना चाहिए। यह जानवरों के ऊपर अत्याचार है, क्योंकि इंसानों की कुश्ती या बॉक्सिंग की तरह इसमें कोई नियम नहीं होते हैं। भैंसे को नहीं पता होता है कि यह एक प्रतियोगता है। वह अपना पूरा जोर दूसरे जानवर से लड़ने में लगाते हैं जिससे कई बार इन बेजुबानों की जान भी चली जाती है। अगर जान नहीं भी गई तो गंभीर छोटे तो आती ही हैं। साफ़ शब्दों में कहा जाए तो जानवर इसे खेल नहीं बल्कि अपने अस्तित्व की लड़ाई समझ कर लड़ते हैं।
Recommended Video
आक्रामक बनाने के लिए किया जाता है अत्याचार
दूसरी
ओर
मात्र
सट्टे
की
रकम
जीतने
या
मनोरंजन
के
लिए
जानवरों
की
जान
जोखिम
में
डालना
और
उन्हें
हानि
पहुंचाना
गैर
कानूनी
ही
नहीं
बल्कि
अमानवीय
भी
है।
जिसे
हर
कीमत
पर
समाज
में
रोका
जाना
चाहिए।
सूत्रों
से
प्राप्त
जानकारी
के
अनुसार
केवल
लड़ाई
के
दौरान
ही
जानवर
को
कष्ट
नहीं
होता
है
बल्कि
भैंसे
को
आक्रामक
बनाने
के
लिए
लड़ाई
से
पहले
भी
कई
तरह
के
कष्ट
और
पीड़ा
दी
जाती
है।
जिससे
वह
और
ज्यादा
आक्रामकता
से
अपने
प्रतिद्वंदी
पर
वार
करे।
पशु
क्रूरता
अधिनियम
आपको
बता
दें
कि
यह
पशु
क्रूरता
अधिनियम
के
अंतर्गत
एक
अपराध
है।
पशुओं
को
लड़ाने
पर
पशु
क्रूरता
अधिनियम
की
धारा
11
की
उपधारा
(1)
की
उपधारा
(ड़)
के
भाग
दो
के
तहत
कार्रवाई
का
प्रावधान
है।
इस
कानून
का
उल्लंघन
होने
पर
पहली
बार
अपराध
करने
वाले
को
10
से
50
रु.
तक
जुर्माना
तथा
इसके
बाद
तीन
साल
में
फिर
यही
अपराध
करने
पर
25
से
100
रु.
तक
जुर्माना
या
3
साल
की
कैद
या
दोनों
सजा
दी
जा
सकती
है।