महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: जानिए यवतमाल सीट के बारे में
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाल प्रचार में जुटी हैं। 21 अक्टूबर को राज्य में चुनाव होने हैं। ऐसे में सूबे के सियासी दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। एक तरफ शिवेसना के लिए उद्धव और आदित्य ठाकरे प्रचार कर रहे हैं तो वहीं भाजपा के लिए देवेंद्र फडणवीस मैदान में हैं। एनसीपी के लिए पवार परिवार मैदान में है तो कांग्रेस भी अपने बड़े चेहरों को उतार चुकी है। हम आपको महाराष्ट्र की अलग-अलग विधानसभा सीटों के बारे में बता रहे हैं। आज हम आपको यवतमाल विधानसभा सीट के बारे में बता रहे हैं। इस सीट के सियासी इतिहास के साथ-साथ इस एरिया की दूसरी खास बातें भी हम आपको बताएंगे।
यवतमाल जिले की यवतमाल विधानसभा सीट पर बीते कुछ चुनावों में किसी एक पार्टी का वर्चस्व नहीं रहा है। इस सीट पर अलग-अलग पार्टियां जीतती रही हैं। फिलहाल यहां भाजपा का कब्जा है। 2014 में भाजपा के मदन मधुकरराव यारावर ने शिवसेना के संतोष मारोतराव को नजदीकी मुकाबले में 1227 वोटों से हराया था। भाजपा कैंडिडेट को 53,671 और शिवसेना को 52,444 वोट मिले थे। 2014 में शिवसेना-भाजपा के मुकाबले के बीच बसपा को भी अच्छे वोट मिले थे। बसपा यहां 34 हजार वोट लेकर तीसरे नंबर पर रही थी। कांग्रेस चौते और एनसीपी पांचवे स्थान पर खिसक गई थी।
यवतमाल सीट के बारे में बात करें तो यहां 2009 में कांग्रेस और 2004 में एनसीपी ने जीत दर्ज की थी। इस विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा बार जीतने का रिकॉर्ड पवार अर्जुन तुलसीराम का रहा है। वो कांग्रेस, एनसीपी और भाजपा तीनों पार्टियों से विधायक चुने गए। पवार अर्जुन तुलसीराम 1978 में कांग्रेस, 1980 में कांग्रेस (आई) , 1990 और 1995 में भाजपा और 1999 और 2004 में एनसीपी से जीते।
यवतमाल जिले की बात की जाए तो ये जिला महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में आता है। यवतमाल जिले में कपास की खेती काफी होती है और इसके लिए ये क्षेत्र महाराष्ट्र ही नहीं देशभर में पहचान रखता है। यवतमाल में कोयला, चूना, डोलोमाइट की खदाने हैं, यानी खनिज संपदा भी इस जिले में खूब है। आदिवासी भी इस जिले में बड़ी तादाद में हैं।
बता दें कि महाराष्ट्र में हरियाणा के साथ 21 अक्टूबर को चुनाव होना है। 24 अक्टूबर को नतीजों का ऐलान किया जाएगा। चुनाव में सीधा मुकाबला भाजपा-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-एनसीपी एलायंस के बीच ही माना जा रहा है। वहीं कई छोटे दल भी चुनाव में अपना दमखम दिखा रहे हैं। इसमें प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुन अघाड़ी और असदुद्दीन औवेसी की एआईएमआईएम प्रमुख हैं।
288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में 2014 के चुनाव में भाजपा 122 सीटों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी थी। शिवसेना को 63 सीटों पर जीत मिली थी। चुनाव के बाद शिवसेना के सहयोग से भाजपा ने सरकार बनाई थी। देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बने थे। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 42 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीट जीतने में कामयाब रही थी। 13 सीटें छोटे दलों के खाते में गई थी, तो वहीं 7 निर्दलीय विधायक भी चुने गए थे।