दहकते अग्निकुंड पर चलकर करते हैं मनौती पूरी, सदियों से चली आ रही परंपरा
Sridev Khanderao Temple मप्र के देवरी में स्थित श्रीदेव खंडेराव मंदिर में लोग अपनी इच्छाओं और मन्नतों को लेकर आते हैं। सच्चे मन और श्रृद्धा के साथ लगाई अर्जी पूरी होने लोग दहकते अंगारों पर चलकर मनौती पूरी करते हैं। लोग हाथों में हल्दी लेकर अग्निकुंड के बाहर खड़े होते हैं। पंडितजी मंत्रोच्चार करते हैं। उनकी तरह से इशारा होते ही लोग अंगारों पर दौड़ पड़ते हैं। यह मेला षष्ठी तिथी से प्रारंभ होता है। इस साल 29 नवंबर 2022 से प्रारंभ होकर आगामी 8 दिसंबर तक मेला चलेगा।
सागर-नरसिंहपुर मार्ग पर करीब 75 किलोमीटर दूर स्थित देवरी मुख्यालय पर प्राचीन और ऐतिहासिक श्रीदेव खंडेराव का आलोकिक मंदिर है। यहां हर साल अगहन शुक्ल में चम्पाछठ से पूर्णिमा तक मेला लगता है। मंदिर की खासियत यह है कि यह इलाका सदियों पहले ऋषियों की तपोभूमि रहा है। सदियों से यहां ग्रामीण श्रीदेव खंडेराव की पूजा-अर्चना के साथ अग्निकुंड पर नंगे पैर चलकर मनौती पूरी करते आ रहे हैं।
बीमार है यह मगरमच्छ, इलाज की आस में बार-बार घाट पर आ जाता है
देश
के
अलग-अलग
हिस्सों
से
लोग
यहां
आते
हैं
श्रीदेव
खंडेराव
मूलतः
महाराष्ट्
में
पूजे
जाते
हैं।
इनका
इतिहास
मणिचूल
पर्वत
पर
विराजे
श्रीदेव
से
जुड़ा
है।
इस
कारण
देवरी
के
इस
मंदिर
में
सबसे
ज्यादा
श्रृद्धालु
मराठी
होते
हैं।
यह
उनके
कुलदेवता
के
रुप
में
माने
जाते
हैं।
मंदिर
में
अग्निकुंड
में
दहकते
अंगारों
पर
निकलने
की
प्रथा
को
लेकर
इतिहास
के
जानकार
व
मंदिर
कमेटी
से
जुड़े
लोग
बताते
हैं
कि
राजा
यशवंतराव
के
समय
से
जुड़ी
है।
अपने
बेटे
की
गंभीर
बीमारी
से
जान
बचाने
के
लिए
उन्होंने
श्रीदेव
खंडेराव
से
प्रार्थना
की
थी।
उन्हें
रात
में
दर्शन
देकर
हल्दी
से
उल्टे
हाथ
लगाकर
अग्निकुंड
से
निकलने
का
आदेश
दिया
था।
बेटे
के
ठीक
होने
पर
राजा
यशवंत
राव
ने
मन्नत
वैसे
ही
पूरी
की
थी
और
अग्निकुंड
में
दहकते
अंगारों
पर
निकलकर
मनौती
पूरी
की
थी,
तभी
से
यह
प्रभा
यहां
चलती
आ
रही
है।