MP News: चश्मा लगाए बुजुर्ग की तरह शक्ल, बकरियां दे रही अजीब बच्चों को जन्म, देखकर घबराए लोग Video viral
एमपी के दो अलग-अलग इलाकों में इंसानी शक्ल की तरह बकरी के दो बच्चे चर्चा का विषय का बने हुए। सोशल मीडिया पर वायरल जमकर वायरल हो रहे उनके वीडियो और तस्वीरों को पहली नजर में देखने में चेहरा ऐसा लगता है जैसे किसी कोई बुजुर्ग चश्मा पहना हो। विकृत रूप से बकरी के इन बच्चों का जन्म विदिशा और हरदा जिले में हुआ है। कुछ लोग तो इन्हें देखकर घवरा गए। विकृत मेमना को देखकर उसे जन्म देने वाली बकरी तक उसे पास आने नहीं दे रही है। लोग उसे इंजेक्शन की सिरिंज से दूध पिला रहे है।
विदिशा जिले सिरोंज में जन्मा मेमना
बकरी और भैंस पालने वाले सिरोंज के नबाब खां के घर बकरी ने इस तरह के बच्चे को जन्म दिया है। सफ़ेद रंग की इस मेमने को देख पहली नजर में नबाब खां के भी होश उड़ गए। क्योकि शक्ल इंसान की तरह दिखी। सिर की तरफ आंखे बड़ी-बड़ी और अजीब सा मुहं और 6 पैर.. । बताया गया कि नबाब किसान है और पहली बार बकरी ने मेमने को जन्म दिया है। सिकमी पर खेती करने के अलावा नबाब मजदूरी करता है। उसकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। जिससे अजीब मेमने को लेकर बेहद परेशान है।
इंसानी शक्ल जैसे मेमने को देखने जुट रही भीड़
इंसानी शक्ल की तरह दिखने वाले बकरी के इस बच्चे की गांव के लोगों को खबर लगी, तो नबाब के घर पर भीड़ जुटना शुरू हो गई। लोग मेमने को गोद में लेकर सैल्फी ले रहे है और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे। कुछ लोग से इसकी शक्ल देखकर घबरा गए और वापस घर लौट गए। बकरी तक इस बच्चे को अपने पास आने नहीं दे रही है। इस वजह से मेमने को इंजेक्शन की सिरिंज से दूध पिलाया जा रहा है।
हरदा में भी ऐसा सामने आया था मामला
कुछ दिनों में मप्र के हरदा जिले में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। सुल्तानपुर में बकरी ने काले रंग के अजीब मेमने को जन्म दिया। उसकी शक्ल नबाब के घर जन्मे बकरी के बच्चे से थोड़ी अलग है। उसका चेहरा किसी बुजुर्ग महिला के चेहरे की तरह दिख रहा है। साथ ही सेहत विदिशा वाले मेमने से बेहतर है। इसकी दो आँखे तो है लेकिन पलक एक आंख पर ही है।
गाय-भैंस की डिलवरी में इस तरह के ज्यादा केस
वरिष्ठ पशु चिकित्सक मानव सिंह और हरिओम पाटिल का कहना है कि जानवरों में भी इंसानों की तरह विकृत बच्चों के जन्म की परिस्थितियाँ निर्मित होती। जानवरों में जन्म लेने बच्चों के आंकड़ों पर गौर करे तो लगभग 50 हजार पशुओं में एक केस ऐसा आता है। बकरियों में ऐसी स्थितियां कम देखने को मिली है। गाय या भैंस में प्रसव में ऐसे विकृत बच्चों का जन्म ज्यादा देखा गया है। चिकिसकों का कहना है कि इस तरह के जन्म लेने वाले बच्चों की आयु इंसानों की तरह बहुत कम होती है।
विकृत अवस्था में जन्म की ये वजह
जबलपुर
वेटरनरी
हॉस्पिटल
के
पशु
विशेषज्ञों
की
माने
तो
पशुओं
से
ऐसे
विकृत
बच्चों
के
जन्म
की
कई
वजह
होती
है।
हेड
डिस्पेसिया
कहे
जाने
वाले
ऐसे
जन्मे
बच्चों
की
मूल
वजह
विटामिन
A
की
कमी
और
प्रतिबंधित
दवाओं
का
सेवन
कराना
है।
गर्भावस्था
के
दौरान
पशुओं
का
आहार
भी
इन
परिस्थितियों
को
निर्मित
करता
है।
जिस
पर
पशु
मालिक
सावधानी
नहीं
बरतते।
चिकित्सकीय
विज्ञान
में
हुए
शोध
के
मुताबिक
ऐसे
जन्मजात
बच्चों
के
जीने
की
अवधि
अधिकतम
एक
माह
ही
रह
पाती
है।
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