मध्य प्रदेश: अब घूंघट का सहारा लेकर नहीं हो सकेगा फर्जी मतदान, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करेंगी इसका खुलासा
ग्वालियर। इस बार के विधानसभा चुनाव में वोटिंग वाले दिन कई नए प्रयोग होंगे। चुनावों के दौरान कई बार ऐसा सुनने में आता है कि महिलाओं के घूंघट का सहारा लेकर लोगों ने फर्जी वोट का इस्तेमाल किया है। ऐसी महिलाएं जो घूंघट डाल कर वोट डालने पहुंचती है और उनकी पहचान सरकारी विभाग नहीं कर पाता। उनकी पहचान अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करेंगे। इसका सबसे ज्यादा ध्यान ग्रामीण क्षेत्र की पोलिंग सेंटरों पर रखा जाएगा।
ग्वालियर जिले में महिला वोटरों की कुल संख्या 6,76,076 तक पहुंच गई है। अफसर ऐसे पोलिंग सेंटर तलाश रहे हैं जहां महिलाएं ज्यादा हैं और वोट डालने कम आती हैं। यहां पर वोटिंग बढ़ाने के लिए पिंक पोलिंग सेंटर बनेंगे। इन में पुलिस पोलिंग स्टाफ व अन्य कर्मचारी महिला ही रहेंगी। यह प्रयोग शहरी क्षेत्र के कुछ पोलिंग सेंटरों पर ही होगा। विधानसभा चुनाव में घूंघट में आने वाली महिलाओं की पहचान के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को तैनात किया जाएगा तथा पोलिंग सेंटर के बाहर बीएलओ अपने क्षेत्र के वोटों की मदद के लिए बैठेंगे।
विधानसभा चुनाव में अक्सर देखा जाता है कि ग्रामीण क्षेत्र में जो महिलाएं वोट डालने जो आती है वो घूंघट डाल कर आती है। सामाजिक भय और विवाद की आशंका के चलते पुरुष अधिकारी उनसे कुछ कह नहीं पाते। ऐसे में फर्जी वोट डालने की आशंका काफी बढ़ जाती है, ऐसे कुछ मामले शुरू में देखने में आए भी है। घूंघट डालकर फर्जी वोट करने वाली महिलाओं को रोकने के उद्देश्य से चुनाव आयोग द्वारा इस बार आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को तैनात किया जा रहा है। जो शंका होने पर महिला का घूंघट खोल कर देख सकेंगी कि वोटर लिस्ट में जिस महिला की फोटो है वोट डालने वही महिला आई है या कोई और महिला है। उम्मीद की जा रही है इससे विधानसभा चुनाव में घूंघट डाल कर वोट डालने आने वाली फर्जी महिलाओं पर रोक लगेगी
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