1952 में हो चुका था विलुप्त, 70 साल बाद घर वापसी को तैयार, कहां बन रहा चीता का नया बसेरा ? जानिए
भोपाल, 17 जुलाई: भारत में आखिरी चीते की मौत 1947 में ही हो चुकी थी और पांच साल बाद इसे विलुप्त घोषित कर दिया गया था। लेकिन, जब देश आजादी का 75वां सालगिरह मना रहा है तो एकबार फिर से दुनिया के सबसे तेज रफ्तार जंगली जानवर का कदम भारत की धरती पर पड़ने को तैयार है। अफ्रीका से आने वाले चीतों को रखने की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और उम्मीद है कि इसबार जब हम स्वतंत्रता दिवस मना रहे होंगे तो अपने देश की धरती एकबार फिर से इस खूबसरत जानवर से आबाद हो जाएगी। इस पूरे चीता मिशन के बारे में जानिए।
अगस्त में मध्य प्रदेश आएगा चीता
70 साल पहले धरती का सबसे तेज जानवर चीता भारत की जमीन से विलुप्त हो चुका था। लेकिन, संभवत: आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में देश को फिर से चीता मिलने जा रहा है। संभावना है कि इस साल 15 अगस्त को घोषित रूप से 1952 के बाद भारत की धरती एकबार फिर से चीते से आबाद हो जाएगी। वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चीते की यह घर वापसी इंटरकॉन्टिनेंटल ट्रांसलोकेशन प्रोजक्ट के तहत हो रही है। वन विभाग के प्रिंसिपल सचिव अशोक बर्नवाल ने कहा कि, 'हम इसपर काम कर रहे हैं। चीते अगस्त में मध्य प्रदेश आएंगे।'
अभी दक्षिण अफ्रीका से लाया जा रहा है चीता
चीता धरती पर 80 से 130 किलोमीटर की रफ्तार से भाग सकता है। जब वन अधिकारी से विशेषतौर पर पूछा गया कि क्या यह 15 अगस्त को अपने नए ठिकाने पर पहुंच जाएंगे, तो उन्होंने कहा, 'ऐसा हो सकता है।' जब उनसे यह सवाल किया गया कि यह कहां से लाया जाएगा- नांबिया से या दक्षिण अफ्रीका से तो बर्नवाल ने कहा, 'शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका से।' जब वन विभाग के इस शीर्ष अधिकारी से दोनों देशों के बीच इसको लेकर एमओयू की स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसे अंतिम रूप दिया जाना है। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि दक्षिण अफ्रीका के साथ जल्द ही एमओयू पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।
पहुंचने की वास्तविक तारीख भारत सरकार पर निर्भर-डब्ल्यूआईआई
चीता मुख्य रूप से अफ्रीका में पाया जाता है। इस प्रोजेक्ट में देहरादून स्थित वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भी शामिल है। हालांकि इसके डीन और सीनियर प्रोफेसर यादवेंद्रदेव विक्रमसिंह झाला ने भी इसके आने की निश्चित तारीख नहीं बताई है। एमओयू की स्थिति को लेकर जब उनसे सवाल हुआ तो उन्होंने कहा कि 'यह (भारत)सरकार पर निर्भर है। यह (एमओयू पर हस्ताक्षर) दो दिनों में भी हो सकता है या दो महीने भी लग सकते हैं। इसमें कई तरह के कानूनी पहलू शामिल होते हैं।'
कहां बन रहा चीता का नया बसेरा ?
खैर, जिस दिन भी दुनिया का सबसे तेज जानवर चीता भारत पहुंचे, उसे रखने की तैयारी मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूना-पालपुर वन्यजीव अभ्यारण्य में की गई है। एक और वन अधिकारी ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका से कितने चीता लाए जाएंगे ये केंद्र सरकार तय करेगी, लेकिन उसे रखने के लिए कूना-पालपुर वन्यजीव अभ्यारण्य में तैयारी जारी है। प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट जेएस चौहान के मुताबिक, 'भारत में चीता के स्वागत के लिए हमारी तैयारियां पूरे जोरों पर चल रही हैं, लेकिन आने की वास्तविक तारीख या मध्य प्रदेश आ रही बड़ी बिल्लियों की संख्या के बारे में हम नहीं जानते, क्योंकि यह भारत सरकार के स्तर पर तय हो रहा है। '
12 से 15 चीतों को रखने का हो रहा है इंतजाम
प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट से मिली जानकारी के मुताबिक कूना-पालपुर वन्यजीव अभ्यारण्य में 12 से 15 चीतों को रखने की व्यवस्था की जा रही है, जिसमें मादाओं के लिए भी व्यवस्था की जा रही है। चीतों को रखने के लिए अभ्यारण्य के 5 वर्ग किलोमीटर दायरे को चिन्हित किया गया है और शुरुआत में उन्हें रखने के लिए 8 कंपार्टमेंट के इंतजाम किए जा रहे हैं। चीतों की देखरेख के लिए श्योपुर के डीएफओ प्रकाश वर्मा कई और वन अधिकारियों के साथ विशेष ट्रेनिंग ले चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत की मिट्टी पर उनका नया बसेरा बनाने का 90 फीसदी काम पूरा किया जा चुका है।
अफ्रीका से ट्रेनिंग लेकर लौटे हैं वन अधिकारी
डीएफओ ने कहा कि 'हमें (ट्रेनिंग के दौरान) में सिखाया गया कि चीतों को कैसे संभालना है और उनके व्यवहार के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी बताया गया है। हमने जो कुछ भी सीखा है, हम कूना-पालपुर वन्यजीव अभ्यारण्य में तैनात 125 से अधिक कर्मचारियों को भी वह स्किल बताएंगे।' चीतों के आने से पहले नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और डब्ल्यू आईआई के अधिकारी भी ग्राउंड स्टाफ को ट्रेनिंग देने के लिए अभ्यारण आएंगे, जो दो अफ्रीकी नागिरकों से प्रशिक्षण लेने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल रह चुके हैं।
कूना नेशनल पार्क चीता के आवास के लिए अनुकूल
कूना-पालपुर वन्यजीव अभ्यारण्य 750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, जहां मांसाहारी जानवरों के शिकार के लिए बड़ा आधार मौजूद है। वर्मा ने बताया कि इनके लिए बड़ी तादाद में चीतल, सांभर, नील गाय, जंगली सूअर और लंगूर जैसे जानवर यहां मौजूद हैं। भारत में देखे गए आखिरी चीते की 1947 में छत्तीसगढ़ (तत्कालीन मध्य प्रदेश) में मौत हो गई थी और 1952 में इस जंगली जानवर को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कुछ साल पहले चीता को फिर से आबाद करने का प्रोजेक्ट तैयार किया था। डीएफओ ने बताया कि चंबल क्षेत्र में मौजूद कूनो नेशनल पार्क में चीता के रहने के लिए पर्यावरण की उचित परिस्थियां मौजूद हैं।(इनपुट-पीटीआई, तस्वीरें-प्रतीकात्मक)