भोपाल में भी पसारे जीका वायरस ने पैर, मध्य प्रदेश में सामने आए 100 से ज्यादा मरीज
भोपाल। राजस्थान और दिल्ली के बाद मध्य प्रदेश के कुछ जिले भी जीका वायरस की चपेट में हैं। यहां राजधानी भोपाल, उससे सटे सीहोर और विदिशा जिले में अब तक 127 पॉजीटिव मरीज मिले हैं। भोपाल में तो लोग जीका वायरस फैलाने वाले लार्वा से खौफ खाए हुए हैं, जबकि आए दिन लार्वा नष्ट भी किए जा रहे हैं। अस्पतालों में संदिग्ध मरीजों की संख्या बढ़ गई है। अकेले इस शहर में 50 लोग इस खतरनाक बीमारी से ग्रस्त पाए जा चुके हैं। वहीं, 2 मौतें भी इससे हो चुकी हैं।
भोपाल में 18 वार्डों में रखी जा रही निगरानी
जीका वायरस के लार्वा मिलने से हेल्थ मिनिस्ट्री में ने कई क्षेत्रों में हाई अलर्ट रखा है। मरीजों की सुविधा के लिए कर्मचारी बढ़ा दिए हैं। वहीं, शहर के 18 वार्डों में विशेष निगरानी रखी जा रही है। डॉक्टर्स के मुताबिक, वायरस का सर्वाधिक असर गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर पड़ सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने मच्छरों का लार्वा नष्ट करने टीमों की संख्या भी बढ़ा दी है। इसके बाद भी लार्वा नष्ट नहीं हो रहा। ऐसे में लार्वा सर्वे वाली टीमों पर भी सवाल उठ रहे हैं।
4 लाख घरों का हो चुका है सर्वे
मच्छरों को नष्ट करने घर-घर फॉगिंग की जा रही है। लार्वा नष्ट करने टीमें लगी हुई हैं। इस साल अब तक करीब 4 लाख घरों का सर्वे भी हो चुका है। रोजाना सर्वे टीमें 5 से 6 हजार घरों का सर्वे कर रही हैं। इन टीमों को रोजाना लार्वा मिल रहा है। इससे तय है कि न तो मच्छर कम हो रहे हैं और न ही डेंगू, चिकनगुनिया फैलाने वाला लार्वा।
रोजाना 300 से ज्यादा घरों में लार्वा
शहर में हर दिन डेंगू और चिकनगुनिया के मच्छरों के लार्वा मिल रहे हैं। रोजाना 300 से ज्यादा घरों में लार्वा मिल रहा है। कुछ ऐसे भी हैं, जिनमें दोबारा सर्वे पर भी लार्वा मिल रहा है। इसके बाद भी जुर्माने की कार्रवाई नहीं होती।
400 मीटर तक खतरा
डेंगू का मच्छर 400 मीटर तक उड़ सकता है। यानि जिस घर में लार्वा मिल रहा है, उसके साथ 400 मीटर के दायरे में आने वाले मकान या दफ्तर चपेट में आ सकते हैं।
लार्वा सर्वे पर इसलिए सवाल
शहर में मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए 126 टीमें लगी हैं। इसमें 18 टीमें मलेरिया विभाग की एंटी लार्वा की हैं। शहरी आशा कार्यकतार्ओं की 85 टीमें हैं। गैस राहत विभाग की चार टीमें व नगर निगम व मलेरिया की 19 संयुक्त टीमें हैं। एंटी लार्वा टीम को लार्वा पहचानने की शुरू से ट्रेनिंग दी जाती है, इसलिए इस टीम को करीब 11 फीसदी घरों में लार्वा मिल रहा है। आशा कार्यकतार्ओं की 85 टीमें लगभग 5 हजार घरों का हर दिन सर्वे कर रही हैं, पर उन्हें सिर्फ 5 फीसदी घरों में ही लार्वा मिल रहा है। गैस राहत विभाग की चार टीमें हैं। वे रोजाना 100 से 150 घरों का सर्व कर रही हैं पर लार्वा एक-दो घर में ही मिलता है। कई बार कहीं भी नहीं मिलता। इससे लार्वा सर्वे पर सवाल उठ रहे हैं।
जयपुर में मच गई थी अफरा-तफरी
राजस्थान की राजधानी में जीका वायरस दो महीने पहले ही सामने आया। जयपुर ने डेंगू और चिकनगुनिया जैसे वायरस का तो पहले कई बार मुक़ाबला किया था, लेकिन जीक़ा के बारे में यहां के मेडिकल स्टाफ़ ने केवल सुन रखा था। लोगों में भी इसे लेकर कोई डर या आशंका नहीं थी। मगर, 22 सितम्बर को जब पहला पॉज़िटिव केस सामने आया तो सबसे बड़े अस्पताल में कोहराम मच गया। इस वायरस की पहली पीड़ित थी शकुंतला देवी नाम की एक 84 वर्ष की महिला। जैसे ही पुष्टि हुई, सूचना ने सब को चौंका दिया। हैरान कर दिया, परेशान कर दिया। इस पर एसएमएस के मुख्य चिकित्सा अध्यक्ष डॉक्टर हर्षवर्धन ने स्टाफ़ को अलर्ट किया। उन्होंने बताया कि वो महिला हमारे अस्पताल के पास ही रहती थी। उसका इलाज यहाँ नहीं हो रहा था, लेकिन हमें चौकन्ना होना पड़ा, क्योंकि वो इसी इलाक़े की रहने वाली थी। बाद में काफी मरीज सामने आए, मगर हम लगे रहे और काबू पाया। बता दें कि, जयपुर में ज़ीका वायरस से ग्रस्त मिले 32 लोगों में बिहार, उत्तर प्रदेश व देश के दूसरे प्रांतों के लोग थे।
लार्वा नष्ट करने के लिए यह करें
-
कूलर,
गमला,
चिडिय़ों
के
बर्तन
टंकियों
का
पानी
हर
हफ्ते
बदलें।
-
पानी
के
कंटेनरों
में
कीड़े
की
तरह
तैरते
हुए
लार्वा
दिखें
तो
उन्हें
मारने
के
लिए
सरसो
का
तेल
डालें
या
फिर
छानकर
सूखी
जगह
पर
फेंकें।
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