मिनी चंबल के डकैतों के लिए अभिशाप है पांच लाख का इनाम!
चित्रकूट।
मिनी
चंबल
के
नाम
से
चर्चित
बुंदेलखंड़
के
चित्रकूट
जिले
में
पाठा
क्षेत्र
के
डकैतों
के
लिए
पांच
लाख
रुपये
का
सरकारी
इनाम
किसी
अभिशाप
से
कम
नहीं
रहा।
दस्यु
ददुआ,
ठोकिया,
रागिया
और
बलखडि़या
पांच
लाख
रुपये
का
इनाम
घोषित
होने
के
बाद
ही
मारे
गये।
अब
दस्यु
बबली
कोल
ऊपर
उत्तर
प्रदेश
सरकार
ने
यही
इनाम
घोषित
किया
है।
चित्रकूट
जिले
में
पाठा
क्षेत्र
का
जंगल
मिनी
चंबल
के
नाम
से
भी
चर्चित
है।
यहां करीब तीन दशक तक दस्यु सरगना ददुआ की समानांतर सरकार चलती रही है। गांव पंचायतों से लेकर लोकसभा और विधानसभा के उम्मीदवार भी उसकी मर्जी से चुने जाते रहे हैं। दस्यु ददुआ से एक कदम आगे चलकर दस्यु ठोकिया ने साल 2007 के विधानसभा चुनाव में अपनी मां पियरिया को बांदा जिले की नरैनी सीट से राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के टिकट पर चुनाव लड़ाया, वह बसपा के पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी से महज चार हजार मतों से हारी थी।
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हालांकि दस्यु ददुआ जहां जुलाई 2007 में मारा गया, वहीं दस्यु ठोकिया अगस्त 2008 में मारा गया है। पाठा के इन दो दुर्दांत डकैतों की मौत के बाद सुंदर पटेल उर्फ रागिया उभरा और मध्य प्रदेश पुलिस के हाथों मारा गया। फिर सुदेश पटेल उर्फ बलखडि़या ने कहर मचाना शुरू किया, वह भी पांच लाख रुपये का इनाम घोषित होते ही मारा गया। अब इस समय पाठा के जंगल में बबली कोल की बादशाहत चल रही है, उस पर उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया है।
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बबली कोल को पुलिस ने पहली बार 2007 में दस्यु ठोकिया की मदद करने के आरोप में जेल भेजा था। बबली कोल के खिलाफ पहला हत्या का मुकदमा 2012 में दर्ज हुआ था, जब उसने टिकरिया गांव में एक ही परिवार के दो सदस्यों की हत्या कर दी थी। इसके बाद अपने गांव के पूर्व प्रधान के परिवार के पांच सदस्यों की हत्या की, तब राज्य सरकार ने उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया।
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अभी हाल ही में उसने डोड़ामाफी गांव के रामकरन यादव की दिनदहाड़े हत्या कर दी। इस समय उसके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास और डकैती के 47 मुकदमें दर्ज हैं। वह मारकुंड़ी थाने के गांव डोड़ामाफी के मजरा कोलान सोसायटी का रहने वाला है। दस्यु ठोकिया, रागिया और बलखडि़या गैंगों में 'शूटर' माना जाता रहा है। पाठा क्षेत्र के लोगों का मानना है कि पांच लाख रुपये का इनाम घोषित होने के बाद दस्यु बबली कोल की जिंदगी के कुछ दिन ही शेष बचे हैं।
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चूंकि ददुआ, ठोकिया, रागिया और बलखडि़या भी पांच लाख रुपये के इनाम घोषित होने के बाद ही मारे गए थे। यहां के डकैतों के लिये यह सरकारी इनाम अभिशाप भी है। पुलिस अधीक्षक चित्रकूट केशव कुमार चौधरी का कहना है कि 'ददुआ, ठोकिया, रागिया और बलखडि़या भी 'पंच लखिया' (पांच लाख रु.) घोषित होने पर ही मारे गए, अब बबली कोल भी शीघ्र मारा जाएगा।'।
लेखक- रामलाल जयन