प्रियंका गांधी के निशाने पर पीएम मोदी, कहा- कोरोना को लेकर केवल झूठे ऐलान किए
लखनऊ, जून 05: कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार के खिलाफ 'जिम्मेदार कौन' अभियान चल रखा है। इस अभियान के तहत प्रियंका गांधी हर रोज केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के सामने सवालों की झड़ी लगा दी है। शनिवार 05 जून को प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए एक बार फिर नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधा है। प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा, 'स्वास्थ्य सुविधाएं दुरुस्त करने की सलाहों को दरकिनार किया। जिम्मेदार कौन?'
कोरोना
को
लेकर
केवल
झूठे
ऐलान
किए:
प्रियंका
गांधी
कांग्रेस
महासचिव
प्रियंका
गांधी
ने
ट्विटर
पर
लिखा,
'जब
जनवरी
में
प्रधानमन्त्री
जी
"कोरोना
से
युद्ध
जीत
लेने"
की
झूठी
घोषणाएं
कर
रहे
थे,
उसी
समय
देश
में
ऑक्सीजन
बेडों
की
संख्या
36%,
आईसीयू
बेडों
की
संख्या
46%
और
वेंटिलेटर
बेडों
की
संख्या
28%
घटा
दी
गई।
स्वास्थ्य
सुविधाएं
दुरुस्त
करने
की
सलाहों
को
दरकिनार
किया।
जिम्मेदार
कौन?'
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सोशल
मीडिया
पर
एक-एक
बेड
की
लगा
रहे
थे
गुहार
प्रियंका
गांधी
ने
कहा,
पिछले
महीने
भारतीय
संगीत
को
बुलंदियों
पर
पहुंचाने
वाले
पंडित
राजन
मिश्रा
का
दिल्ली
में
वेंटीलेटर
बेड
न
मिलने
की
वजह
से
निधन
हो
गया।
इस
घटना
ने
देश
को
झकझोर
कर
रख
दिया।
सबने
इस
घटना
को
सरकारी
लापरवाही
और
व्यवस्था
की
नाकामी
के
रूप
में
देखा।
अप्रैल
2021
में
भारत
में
कोरोना
के
लगभग
66
लाख
मामले
आये।
लोग
अस्पतालों
के
सामने,
अधिकारियों
के
दफ़्तरों
के
सामने,
सोशल
मीडिया
पर
एक-एक
बेड
की
गुहार
लगा
रहे
थे।
अंतर्राष्ट्रीय
मंचों
पर
कोरोना
से
जंग
जीतने
का
एलान
करते
रहे
पीएम
कोरोना
विजय
की
घोषणा
कर
चुकी
सरकार
इस
मौके
पर
इतना
भी
नहीं
कर
पाई
कि
आरोग्य
सेतु
या
किसी
अन्य
डाटाबेस
पर
सभी
अस्पतालों
में
बेड
की
उपलब्धता
का
डाटा
ही
अपडेट
कर
दे।
ताकि
बेड
के
लिए
इधर-उधर
धक्के
खा
रहे
लोगों
को
कुछ
सहूलियत
मिल
सकती।
लोग
सरकार
के
सामने
बेबस
थे।
कितनों
ने
अस्पताल
के
बाहर
ही
दम
तोड़
दिया।
इस
दर्दनाक
मंजर
के
पीछे
सरकार
की
लापरवाही
एवं
दिशाहीनता
की
एक
पूरी
गाथा
है।
2021
की
शुरुआत
में
पीएम
मोदी
अपने
बड़बोले,
प्रचारमयी
अंदाज
में
बार-बार
कोरोना
की
जंग
जीतने
का
एलान
राष्ट्रीय
व
अंतर्राष्ट्रीय
मंचों
पर
करते
रहे।
क्या
आपको
मालूम
है?
-
सितंबर
2020
में
भारत
में
24,7972
ऑक्सीजन
बेड
थे,
जो
28
जनवरी
2021
तक
36%
घटकर
15,7344
रह
गए।
इसी
दौरान
आईसीयू
बेड
66638
से
46%
घटकर
36,008
और
वेंटीलेटर
बेड
33,024
से
28%
घटकर
23,618
रह
गए।
-
अपने
पहले
कार्यकाल
में
प्रधानमन्त्री
मोदी
जी
ने
हर
जिले
की
मेडिकल
सुविधा
को
अपग्रेड
करने
की
घोषणा
की
थी।
मगर
2021
तक
देश
के
718
जिलों
में
से
मात्र
75
जिलों
में
इस
पर
काम
शुरू
हुआ
है
और
अब
संसद
में
बता
दिया
गया
है
कि
इस
योजना
में
आगे
कोई
काम
नहीं
होगा।
-
2014
में
भाजपा
सरकार
ने
15
एम्स
बनाने
की
घोषणा
की
थी।
इसमें
से
एक
भी
एम्स
आज
सक्रिय
अस्पताल
के
रूप
में
काम
नहीं
कर
रहा
है।
2018
से
ही
संसद
की
स्थाई
समिति
ने
एम्स
अस्पतालों
में
शिक्षकों
एवं
अन्य
कर्मियों
की
कमी
की
बात
सरकार
के
सामने
रखी
है,
लेकिन
सरकार
ने
उसे
अनसुना
कर
दिया।
-
जुलाई
2020
में
गृह
मंत्री
श्री
अमित
शाह
ने
की
ITBP
के
एक
अस्थायी
मेडिकल
सेंटर
का
उद्घाटन
किया
था
जिसमें
10,000
बेड्स
की
व्यवस्था
थी।
27
फरवरी
2021
में
ये
सेंटर
बंद
हो
गया।
दूसरी
लहर
के
दौरान
इसे
फिर
से
शुरू
किया
गया
मगर
सिर्फ़
2000
बेड
की
व्यवस्था
के
साथ।
अब,
देश
की
जनता
मोदी
जी
से
कुछ
प्रश्न
पूछ
रही
है..
-
मोदी
सरकार
के
पास
तैयारी
के
लिए
एक
साल
था।
आखिर
क्यों
केंद्र
सरकार
ने
ये
समय
"हम
कोरोना
से
युद्ध
जीत
गए
हैं"
जैसी
झूठी
बयानबाजी
में
गुजार
दिया
और
बेडों
की
संख्या
बढ़ाने
के
बजाय
बेडों
की
संख्या
कम
होने
दी?
-
मोदी
सरकार
ने
विशेषज्ञों
और
स्वास्थ्य
मामलों
की
संसद
की
स्थाई
समिति
की
चेतावनी
को
नकारते
भारत
के
हर
ज़िले
में
उन्नत
स्वास्थ
सुविधाओं
को
उपलब्ध
करने
का
कार्य
क्यों
नहीं
किया?
-
2014
से
आज
तक,
एक
भी
AIIMS
सक्रिय
नहीं
हुआ
मगर
मोदी
जी
का
राजनिवास
और
सेंट्रल
विस्टा
प्रोजेक्ट
को
"अनिवार्य
सेवा"
का
दर्जा
देकर
केंद्र
की
पूरी
ताक़त
और
पैसा
झोंकते
हुए
क्यों
तैयार
किया
जा
रहा
है?
क्या
प्रधानमंत्री
निवास
और
नई
संसद
का
निर्माण
देश
के
करोड़ों
लोगों
की
स्वास्थ
सुविधाओं
से
ज्यादा
"अनिवार्य"
है?