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मनरेगा मजदूर का बेटा बनेगा इंजीनियर, पढ़ाई के लिए रोज 12 KM की दूरी पैदल तय करता था लेखराज

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कोटा। 'गुदड़ी का लाल' कहावत का मतलब मुफलीसी में पैदा हुआ वो बच्चा जिसके इरादों में जान हो। उसमें कमाल की प्रतिभा हो और वो अपने हौसलों के दम पर बुलदियां छू ले। यह कहावत तो आपने खूब सुनी होगी, मगर हकीकत में 'गुदड़ी का लाल' देखना है तो सीधे चले आइए राजस्थान के झालाावाड़ जिले में।

Rajasthan NREGA Workers son Lekhraj Bheel efforts will make him engineer

झालावाड़ जिले की पिंडोला पंचायत समिति में 150 घरों की आबादी वाला एक छोटा सा गांव है मोग्याबेह भीलान। यही के लड़के लेखराज भील ने कामयाबी की वो कहानी लिख दी, जो न केवल पूरे गांव के लिए मिसाल बन गई बल्कि उन युवाओं के लिए भी सबक है, जिन्हें परिवार की आर्थिक तंगी अपनी असफलता की वजह लगती हो।

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अनपढ़ माता-पिता ने बेटे को खूब पढ़ाया

अनपढ़ माता-पिता ने बेटे को खूब पढ़ाया

लेखराज भील के पिता मांगीलाल भील और मां सरदारी बाई ने कभी स्कूल में कदम नहीं रखा। दोनों अनपढ़ है। दोनों मनरेगा व अन्य कार्यों में मजदूरी करते हैं, मगर इन्होंने बेटे को पढ़ने लिखने का भरपूर अवसर दिया। स्कूल-कॉलेज की ओर बढ़ते कदम कभी नहीं रोके। यही वजह है कि अब वो दिन दूर नहीं जब लेखराज को इंजीनियर लेखराज भील के नाम से भी जाना जाएगा।

जेईई-मेंस में कैटेगिरी रैंक प्राप्त की

जेईई-मेंस में कैटेगिरी रैंक प्राप्त की

सब कुछ उम्मीद के मुताबिक हुआ और लेखराज इंजीनियर बना तो यह अपने गांव का पहला इंजीनियर होगा। कोटा के एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में तैयारी करते हुए लेखराज ने हाल ही जेईई-मेंस में कैटेगिरी रैंक 10740 प्राप्त की है और अब एनआईटी से इंजीनियरिंग करने की इच्छा रखता है।

8वीं में प्रथम स्थान, 12वीं में 93.83 प्रतिशत

8वीं में प्रथम स्थान, 12वीं में 93.83 प्रतिशत

लेखराज में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। इस बात का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि लेखराज ने 8वीं बोर्ड में जिला स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त किया और वर्ष 2017 में 12वीं बोर्ड 93.83 प्रतिशत से उत्तीर्ण की। मीडिया से बातचीत में लेखराज ने बताया था कि उसे अपने कॅरियर को लेकर कुछ पता नहीं था। जेईई के बारे तो सुना तक नहीं था, मगर मेरी जिंदगी में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट के शिक्षक मसीहा बनकर आए। मुझे तैयारी करवाने के लिए कोटा ले आए।

एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ने दिया निशुल्क प्रवेश

एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ने दिया निशुल्क प्रवेश

महंगी होती शिक्षा के जमाने में अच्छे-खासे परिवार बच्चे की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पाते हैं। ऐसे में मजदूरी करने वाले मांगीलाल भील और सरदारी बाई ने बेटे को पढ़ाने की ठानी और उच्च शिक्षा में सबसे बड़ा सहारा बना एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट। यहां के शिक्षकों को जब लेखराज की प्रतिभा का पता चला तो वे उसके घर गए। वहां जाकर आर्थिक हालात देख निदेशक नवीन माहेश्वरी से बातचीत के बाद लेखराज को निशुल्क प्रवेश देने का फैसला लिया गया। प्रवेश के साथ-साथ आवास व भोजन की व्यवस्था भी निशुल्क की गई।

पढ़ाई के लिए मीलों का पैदल सफर

लेखराज ने दसवीं तक की पढ़ाई गांव से 6 किलोमीटर दूर स्थित सरकारी स्कूल में जाकर की। रोजाना 12 किलोमीटर आना-जाना पड़ता था। यह सफर वह पैदल ही तय करता था। स्कूल में गणित व विज्ञान विषय के शिक्षक उपलब्ध नहीं थे। फिर भी लेखराज ने खुद पढ़ाई की और 93.83 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। गांव में मात्र 150 घरों की आदिवासी भीलों की बस्ती है। बिजली भी बहुत कम आती है। कच्चा मकान है।


घर पर दो साल पहले बना शौचालय

लेखराज के गांव मोग्याबेह भीलान में अधिकांश लोग मजदूर हैं। खुद लेखराज के पिता व माता को तो ही नहीं इंजीनियर क्या होता है। हाल ही में बेटे ने कौनसी परीक्षा पास की है। पति-पत्नी दोनों मजूदरी करके परिवार चला रहे हैं। दो साल पहले सरकारी योजना के तहत घर पर शौचालय बनवाया है। चार भाई-बहनों में से दो की शादी हो चुकी है।

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English summary
Rajasthan NREGA Worker's son Lekhraj Bheel efforts will make him engineer
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