कानपुर में मानव तस्करों के चंगुल से छूटे युवक ने बताई खौफनाक दास्तां, आंखें फोड़कर मंगवाई भीख
मानव तस्करी दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है। यह एक ऐसा अपराध है जिसमें लोगों को उनके शोषण के लिये खरीदा और बेचा जाता है। भारत में न ही केवल महिलाएं और बच्चे बल्कि पुरुष भी मानव तस्करी का शिकार होते हैं। भारत में न केवल देह व्यापार के लिए बल्कि अन्य विभिन्न प्रकार की गुलामी के लिए भी बड़ी संख्या में लोगों का अवैध व्यापार किया जाता है। ऐसा ही एक मामला कानपुर से सामने आया है। नौकरी की तलाश में घूम रहे सुरेश मांझी नाम के युवक की आरोपी ने आंखों में केमिकल डालकर अंधा कर दिया, फिर उसे दिल्ली के एक भिखारी गैंग के लीडर को 70 हजार रुपये में बेच दिया।
आँखों में डाला घातक पदार्थ
बतया
जा
रहा
है
कि
सुरेश
मांझी
कानपुर
के
नौबस्ता
थाना
क्षेत्र
के
काली
मठिया
इलाके
का
रहने
वाला
है।
कुछ
अज्ञात
व्यक्तियों
द्वारा
6
महीने
पहले
पीड़ित
युवक
को
नौकरी
के
बहाने
बंधक
बना
लिया
गया।
बेरहमी
से
युवक
की
पिटाई
की
गई
और
आरोपियों
ने
किशोर
के
हाथ
पैर
तोड़कर
आंखों
में
जहरीला
पदार्थ
डाल
दिया।
जहरीले
पदार्थ
से
किशोर
के
आंखों
की
रोशनी
तक
चली
गई।
इस
पूरे
मामले
की
जानकारी
तब
मिली
जब
आरोपियों
ने
खुद
ही
पीड़ित
को
वापस
लाकर
कानपूर
छोड़
दिया
और
राहगीरों
द्वारा
बेहद
ही
ख़राब
हालत
में
देखकर
उसकी
मदद
की
गई।
फिर
मामला
पार्षद
प्रशांत
शुक्ला
तक
पंहुचा
और
उन्होंने
पीड़ित
के
परिजनों
से
तत्काल
नौबस्ता
थाना
में
तहरीर
दिलवाई।
काफी
झड़प
के
बाद
पुलिस
ने
केस
दर्ज
कर
पीड़ित
को
मेडिकल
के
लिए
भेजा
दिया।
कैसे बची सुरेश की जान
दरअसल सुरेश मांझी को तस्करो ने पैसे के लें दें की वजह से वापस छोड़ दिया। बता दें की जो व्यक्ति सुरेश को काम दिलाने के बहाने लेकर गया था, उसने सुरेश को आगे एक दुसरे तस्कर को 37 हज़ार रुपए में बेच दिया था। लेकिन आँखों डाला गया पदार्थ और मारपीट से सुरेश कीहालत बहुत ज्यादा ख़राब हो चुकी थी। खरीदार सुरेश को डॉक्टर के पास लेकर गया तो डॉक्टर ने इलाज़ का खर्च 70 जज़र रुपए बताया। 37 हज़ार में खरीदकर 70 हजार में इलाज करना खरीदार को नुकसान का सौदा लगा इसलिए इलाज़ के लिए खरीदार द्वारा आरोपी से पैसे मांगे गए। आरोपी ने पैसे देने को मना कर दिया और इलाज कराए बिना उसे कानपुर वापस छोड़ गया जहाँ राहगीरों की नजर सुरेश पर पड़ी।
क्या है मानव तस्करी के कारण
नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 90 प्रतिशत महिलाओं और लड़कियों की तस्करी यौन शोषण के लिए की जाती है। मानव तस्करी के कई कारण हैं, जिनमें मु यत: गरीबी, अशिक्षा, सामाजिक असमानता, क्षेत्रीय लैंगिक असंतुलन, बेहतर जीवन की लालसा, सामाजिक असुरक्षा इत्यादि हैं। इसके अतिरिक्त चाइल्ड पोर्नोग्राफी, यौन शोषण व बंधुआ मजदूरी जैसे भी कई अन्य कारण हैं। इस धंधे में आमतौर पर स्थानीय एजैंट संलिप्त होते हैं, जो गरीब मां-बाप को बहला-फुसला कर व कई किस्म के प्रलोभन देकर लड़कियों व बच्चों को अपने चंगुल में फंसा लेते हैं तथा इस धंधे से मोटी कमाई करते हैं। ये लोग पुलिस व अन्य सरकारी संस्थानों के अधिकारियों के साथ भी अपना पूरा ताल-मेल रखते हैं।
उठाने होंगे ठोस कदम
अगर
हमे
मानव
तस्करी
जैसे
संवेदनशील
अपराध
से
निपटना
है
तो
जरूरी
ही
की
सरकार
को
समस्या
के
समाधान
के
लिए
कुछ
कदम
उठाने
होंगे।
सबसे
पहले
तो
हमे
पुलिस
को
पर्याप्त
धन
उपलब्ध
करवाना
चाहिए
या
एंटी
मानव
तस्करी
यूनिट
स्थापित
करनी
चाहिएं।
इनमें
विशेष
प्रशिक्षण
प्राप्त
किए
हुए
तथा
उच्च
चरित्र
वाले
अधिकारियों/
कर्मचारियों
को
तैनात
करना
चाहिए।
इन
यूनिट्स
की
मॉनीटरिंग
पुलिस
अधीक्षक
रैंक
के
अधिकारियों
द्वारा
की
जानी
चाहिए।
सामुदायिक
पुलिसिंग
की
ओर
विशेष
ध्यान
देना
चाहिए
तथा
बीट
प्रणाली
को
सुदृढ़
बनाना
चाहिए।
लोगों
के
ऐच्छिक
सहयोग
के
लिए
पंचायत
स्तर
के
जन
प्रतिनिधियों
से
निरंतर
संपर्क
बनाए
रखना
चाहिए।
सबसे
जरूरी
है
इस
धंधे
में
संलिप्त
एजैंटों
पर
कड़ी
निगरानी
रखनी
चाहिए
तथा
उनके
द्वारा
अर्जित
की
गई
संपत्ति
को
जब्त
कर
लेना
चाहिए।
अगर
हम
यह
सब
कर
पाते
हैं
तभी
संभव
है
कि
हम
ऐसे
कुकर्म
करने
वाले
दरिंदे
भेड़ियों
से
निजात
पा
सकेंगे।
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