बुढ़ापे में सऊदी अरब से बेटे की वापसी को तरस रहा पिता, 2 वर्षों से सरकारी दफ्तरों के काट रहा चक्कर
विश्व के विभिन्न देशों की जेलों में 7,000 के लगभग भारतीय कैद हैं जो अपने घर से गए तो बेहतर भविष्य और रोजी-रोटी की तलाश में विदेश गए थे। परंतु किन्हीं कारणों से वहां जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए। इनमें से लगभग 41 प्रतिशत भारतीय तो अकेले खाड़ी के देशों की जेलों में ही कैद हैं। इनमें ऐसे बदनसीब भी हैं जिनको उन्हें नौकरी पर रखने वाले शेखों आदि ने विभिन्न आरोपों में फंसाने की धमकी देकर बंधुआ बनाकर रखा हुआ है और उनका पासपोर्ट तथा वीजा आदि के दस्तावेज भी अपने पास रखे हुए हैं ताकि वे भाग न जाएं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है उत्तर प्रदेश के जौनपुर से, जिसमे एक युवक रोजी रोटी की तलाश 2010 में मुंबई से पासपोर्ट बनाकर सऊदी अरब गया था और पासपोर्ट की वैधता 2020 तक थी।

एक साल से लगा रहे हैं अधिकारीयों के चक्कर
बता दें कि जौनपुर तहसील के मड़ियाहूं थाना बरसठी ग्राम महुवारी में अरविंद कुमार नाम का युवक रहता है। पिता का नाम गंगाघर है। 2010 में अरविन्द रोजी रोटी की तलाश मुंबई से पासपोर्ट बनवाकर सऊदी अरब गया था। पासपोर्ट की वैधता 2020 तक की ही थी। 2018 में अरविन्द अपनी मां के देहांत के बाद वापस भारत आया था। उसके 1 महीने के बाद वापस सऊदी अरब चला गया। बाद में 2020 में पासपोर्ट की वैधता समाप्त होने के बाद से अरविन्द सऊदी अरब से आने की अनुमति मांग रहा है मगर वहां की सरकार उसे आने की अनुमति नहीं दे रही है। वहीं पिता गंगाघर अपने बेटे की भारत वापसी के लिए भारत सरकार से लगातार गुहार लगा रहे हैं। पिता का कहना की है कि वह एक साल से अधिकारियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
आज बेरोजगारी के जमाने में ये लोग विदेश जाकर न सिर्फ अपना और अपने परिवार तथा माता-पिता को पाल रहे हैं बल्कि किसी सीमा तक विदेशी मुद्रा कमा कर भी देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं। ऐसे में परिवार के अलावा देश और समाज के प्रति उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार को विदेशों में फंसे हुए ऐसे बदनसीबों की अविलम्ब सुध लेनी चाहिए।

ब्लैकमेल करके वहीं रहने को विवश करते हैं
इन देशों में काम करने वाले भारतीय कामगार जब स्वदेश लौटने के लिए मालिकों को अपना हिसाब चुकता कर देने और छुट्टिïयां एवं वेतन आदि के बकाए देने के लिए कहते हैं तो वे उन्हें उनकी बनती रकम देने की बजाय विभिन्न तरीकों से ब्लैकमेल करके उन्हें वहीं रहने के लिए विवश करते हैं। सजा प्राप्त भारतीयों की स्वदेश वापसी के लिए संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों सहित 30 देशों के साथ एक-दूसरे देश के कैदियों के आदान-प्रदान की संधि के बावजूद उनकी समस्याएं यथावत हैं तथा विदेशों में फंसे भारतीयों को छुड़वाने के सरकारी प्रयास अपर्याप्त सिद्ध हो रहे हैं।
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