कश्मीर में ठंड शुरू होते ही बढ़ी हरीसा की मांग, जानिए आखिर क्यों लोग करते हैं इसे इतना पसंद
कश्मीर में सर्दी शुरू होने के साथ ही इलाके में खान-पान के तौर-तरीके बदलने लगे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, पारंपरिक रूप से सर्दियों के दौरान खाई जाने वाली सूखी सब्जियों के अलावा 'हरिसा' लोगों का एक नया पसंदीदा भोजन बन गया है। कुछ रिसर्चर के मुताबिक हरीसा को ईरान से कश्मीर घाटी में आयात किया गया है। यह ईरान में लोकप्रिय हलीम का सबसे प्रारंभिक रूप है। कश्मीर घाटी में हरीसा को "हरीसा ज़फ़रानी" के नाम से भी जाना जाता है।

घाटी में सदियों पुरानी स्वादिष्ट और जायकेदार हरीसा की मांग में वृद्धि हो रही है। श्रीनगर में खासकर पुराने शहर में जहां भी हरिसा की दुकानें हैं, वहां सुबह सात बजे से ही हरीसा खाने वालों की भीड़ लग जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में ऐसे कई लोग हैं जो रोजाना हरीसा खाना पसंद करते हैं। हरीसा का प्रयोग सर्दियों में शरीर को गर्म करने के लिए किया जाता है। हरीसा में मौजूद तत्वों की तासीर गर्म होती है। इसलिए सर्दियों के दौरान इसका उपयोग फायदेमंद भी माना जाता है।
कश्मीर का पसंदीदा व्यंजन है हरीसा
कश्मीर के एक स्थानीय ने कहा कि हरीसा सर्दियों में कश्मीरियों का पसंदीदा भोजन है। रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के हवाले से कहा गया है कि यह बहुत स्वादिष्ट होने के साथ-साथ शरीर को गर्म करने वाला भी है। यही वजह है कि लगभग यह घर में पाया जाता है। हरीसा को स्वाद के मामले में कश्मीरी वजावां के बराबर माना जाता है। हरिसा बनाने वाले रसोइए कुशल और अनुभवी होते हैं। अगर उन्हें हरीसा बनाने का तरीका नहीं पता रहेगा, तो वह अच्छे से तैयार नहीं हो पाता है।
काफी मेहनत के बाद तैयार होता हरीसा
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हरिसा की तैयारी में काफी मेहनत की जरूरत होती है। यही वजह है कि इसके लिए विभिन्न सामग्रियों को पहले से तैयार किया जाता है, ताकि उन्हें सुबह जल्दी इस्तेमाल किया जा सके और हरिसा प्रेमियों को समय पर परोसा जा सके।
फारूक पिछले कई दशकों से बना रहे हैं हरीसा
फारूक का कश्मीर से पिछले कई दशकों से नाता रहा है। वह कई वर्षों से शहर में खास तरह का हरिसा बनाने के लिए जाने जाते हैं। फारूक ने बताया कि इस वक्त हरिसा की मांग इतनी बढ़ गई है कि कई लोगों को यहां बिना हरीसा खाए ही लौटना पड़ रहा है। क्योंकि पहले से तैयार हरीसा कुछ ही घंटों में खत्म हो जा रही है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक हरिसा के दीवाने अब न केवल कश्मीर घाटी में पाए जाते हैं, बल्कि अन्य राज्यों और देशों में भी इसे खूब पसंद किया जाता है।
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