OMG : राजस्थान में शराब की एक दुकान के लिए 999 करोड़ 99 लाख 95 हजार रुपए की बोली लगाई
Jaipur, Apr 12 : राजस्थान में वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए शराब की दुकानें लॉटरी की बजाय ऑनलाइन नीलामी सिस्टम से आवंटित की जा रही हैं। लोगों में घर-घर बैठे-बैठे ऑनलाइन नीलामी में हिस्सा लेकर शराब ठेकेदार बनने का नशा चढ़ा हुआ है। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा रहा है कि शराब की एक-एक दुकान के लिए अरबों रुपयों की बोली लगाई जा रही है।
सायपुर पाखर में शराब की सबसे महंगी दुकान
ताजा मामला राजस्थान के दौसा जिले में सामने आया है। दौसा में शनिवार को सात दुकानों के लिए ऑनलाइन नीलामी हुई थी। इनमें सायपुर पाखर में स्थित शराब की दुकान के लिए 999 करोड़ 99 लाख 95 हजार 216 रुपए की बोली गई है, जो राजस्थान आबकारी के इतिहास में शराब के किसी एक ठेके की अब तक उच्चतम बोली है।
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अरबों में बोली लगने के बाद अब क्या होगा?
राजस्थान आबकारी नियमानुसार अब दौसा जिले के सायपुर पाखर में शराब की दुकान के लिए 999 करोड़ रुपए की बोली लगाने वाले को दो फीसदी धरोहर राशि जमा करवानी होगी। तीन दिन में धरोहर राशि जमा नहीं करवाने पर आवेदक की जमानत राशि जब्त कर ली जाएगी। आवेदक को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड भी किया जाएगा।
पौने दो करोड़ थी रिजर्व प्राइज
बता दें कि दौसा जिले के गांव सायपुर पाखर में शराब की इस दुकान के लिए आबकारी विभाग की ओर से एक करोड़ 84 लाख 65 हजार 216 रुपए रिजर्व प्राइज रखी गई थी। ऑनलाइन नीलामी के दौरान आवेदकों में शराब का ठेकेदार बनने का ऐसा नशा चढ़ा कि इस दुकान के लिए बोली 999 करोड़ रुपए तक पहुंच गई।
राजस्थान में शराब की दूसरी सबसे महंगी दुकान
दौसा जिले के गांव सायपुर पाखर से पहले राजस्थान में शराब की सबसे महंगी दुकान का रिकॉर्ड हनुमानगढ़ जिले के नोहर के खुईया, मिनाकदेसर के नाम था। खुईया मिनाकदेसर की दुकान के लिए 510 करोड़ रुपए की बोली लगाई गई थी। देवरानी जेठानी में बोली के लिए होड़ लगी थी। 72 लाख 65 हजार रुपए रिजर्व प्राइज वाली दुकान के लिए 510 करोड़ रुपए सबसे बड़ी बोली लगाकर किरण कंवर ने बाजी मारी थी। हालांकि बाद में किरण पैसे जमा करवाने से मुकर गई।
राजस्थान में शराब की तीसरी सबसे महंगी दुकान
दौसा के सायपुर पाखर और हनुमानगढ़ के खुईया मिनाकदेसर के बाद राजस्थान में शराब की तीसरी सबसे महंगी दुकान सीकर जिले से है। सीकर के पलसाना में शराब की दुकान के लिए 151 करोड़ रुपए की बोली गई थी। बोली लगाने के बाद रणजीत सिंह ने धरोहर राशि जमा करवाने से इनकार कर दिया था।
करोड़ों की बोली लगाकर मुकर क्यों जाते हैं लोग?
रिटायर्ड जिला आबकारी अधिकारी नूर मोहम्मद बताते हैं कि इस समय राजस्थान में शराब की दुकान किस्मत वालों की नहीं बल्कि पैसों वालों की हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि शराब की दुकानों की नीलामी में सिर्फ पैसे वाले हिस्सा ले रहे हैं। जबकि लॉटरी में कम पैसों वाले भी भाग्य आजमाते थे, जिसकी आवेदन शुल्क तीस हजार रुपए तक थी। नीलामी में 30 से 60 हजार रुपए तक आवेदन शुल्क और एक से दो लाख रुपए अमानत राशि जमा करवानी होती है। किसी अन्य के दुकान आवंटित ना हो। इसलिए लोग नीलामी में बोली लगाते रहते हैं। लाखों से शुरू हुई बोली करोड़ों व अरबों तक पहुंच जाती है। फिर ये मुकर जाते हैं तो करीब डेढ़ लाख रुपए जब्त करवा देते हैं।
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