जयपुर की छोटी चौपड़ चौकोर से हुई गोल, वास्तुशास्त्री बोले- 'पड़ेगा यह नकारात्मक असर, बढ़ेंगे एक्सीडेंट'
जयपुर। 'चौपड़' यूं तो एक खेल है। जिसकी बिसात पर पासे फेंककर खेला जाता है। खास बात है कि चौपड़ में पासों की चाल चारों तरफ से होती है। कुछ इसी तर्ज पर 292 साल पहले जयपुर की बसावट के दौरान वास्तु शास्त्र को ध्यान रखते हुए तीन चौपड़ बनाई गई, जिन्हें वर्तमान में छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ और रामगंज चौपड़ के नाम से जाना जाता है।
विरासत के मूलस्वरूप से छेड़छाड़
जयपुर के परकोटे में स्थित ये चौपड़ शहर की विरासत हैं, मगर इनके मूलरूप से छेड़छाड़ हो रही है। जयपुर मेट्रो के काम के चलते जयपुर की छोटी चौपड़ के बाहरी हिस्से को गोल कर दिया गया। इसके बाद बड़ी चौपड़ पर भी ऐसा ही होने वाला है।
18 नवम्बर 1727 को बसा था जयपुर
18 नवम्बर 1727 को महाराजा जयसिंह (द्वितीय) ने जयपुर को बसाया तब से चौकोर रही छोटी चौपड़ को गोल किए जाने का विरोध भी हो रहा है। साथ ही वास्तु शास्त्रियों के नजरिए से देखा जाए तो चौपड़ का स्वरूप गोल करने से जयपुर पर इसका नकारात्मक असर पड़ेगा।
क्या कहते हैं वास्तु शास्त्री
जयपुर की छोटी चौपड़ को गोल किए जाने पर वास्तु परामर्श एवं अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष एसके मेहता कहते हैं कि चौपड़ का अर्थ ही चौकोर से है। गोल कर देना न्याय संगत नहीं है। इससे चौपड़ पर ऊर्जा का स्तर बढ़ेगा और हादसे होने की आशंका बढ़ेगी। वैसे भी जयपुर परकोटे को बसाते समय गोल की बजाय चौकोर पर ज्यादा ध्यान दिया था। इसकी जिम्मेदारी प्रसिद्ध वास्तुकार विद्याधर को दी गई थी। चौपड़ों पर मेट्रो के किए गए निर्माणों से भी संतुलन बिगड़ा है। परिणाम नकारात्मक ही आएंगे।
जयपुर परकोटा विश्व विरासत सूची में शामिल
बता दें कि जयपुर का परकोटा ऐतिहासिक धरोहर है। इसे जयपुर की चारदीवारी के नाम से भी जाना जाता है। पूरे परकोटे में घर और दुकान आदि गुलाबी रंग रगे हुए हैं। इसी वजह जयपुर पिंकसिटी के नाम से भी फेमस है। जयपुर के परकोटे को यूनेस्को ने 6 जुलाई 2019 को विश्व विरासत सूची में शामिल किया। यूनेस्को की ओर से जयपुर परकोटे को विश्व धरोहर घोषित किए जाने के करीब 7 माह बाद 5 फरवरी 2020 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को इस संबंध में प्रमाण पत्र सौंपा जाएगा।
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