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जेईई परीक्षा की फर्जी अंकतालिका बनाकर हासिल की 23वीं रैंक, घरवालों को हकीकत पता चली तो उड़े होश

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जयपुर, 14 सितंबर। मौजूदा दौर में परीक्षा में अव्वल आने के लिए छात्र जी जान लगा देते हैं। अव्वल आने की जद्दोजहद युवाओं पर इस कदर हावी होने लगी है कि इसके लिए वे अब उल्टे सीधे काम भी करने भी करने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला जयपुर के विद्याश्रम स्कूल के सामने आया है। यहां एक छात्र ने अपने लैपटॉप में जेईई एडवांस की फर्जी अंकतालिका तैयार कर खुद को भारत में 23 वी रैंक बना ली। जबकि वास्तव में 23 वी रैंक पर जेवाय विजय वेंकट साईं ने जगह बनाई है। मामले का खुलासा परिणाम आने के 3 दिन बाद हुआ।

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बिना परीक्षा दिए बनाई अंकतालिका

बिना परीक्षा दिए बनाई अंकतालिका

जेईई मेन परीक्षा में विद्याश्रम स्कूल के छात्र की रैंकिंग तीन लाख 47 हजार के करीब थी। ऐसे में वह जेईई एडवांस्ड परीक्षा की पात्रता भी नहीं रखता है। अब मामले में खुलासा हुआ है कि उसने जेईई एडवांस की परीक्षा एक भी ही नहीं थी। बिना परीक्षा दिए फर्जी अंक तालिका बनाकर खुद को जयपुर में सर्वाधिक अंक लाने वाले अभ्यर्थी के तौर पर पेश कर दिया। छात्र के परिवार और विद्यालय प्रशासन ने बच्चे के रिजल्ट के मुताबिक उसकी सफलता का जश्न भी मना लिया।

लैपटॉप से बनाई फर्जी अंकतालिका

लैपटॉप से बनाई फर्जी अंकतालिका

छात्र ने इंटरनेट के जरिए किसी अन्य छात्र के परीक्षा परिणाम में हेयर शेयर करते हुए नए तरीके से अंक तालिका तैयार कर ली। मामला सामने आने के बाद विद्यालय प्रशासन ने मुंबई आईआईटी और राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी को शिकायत की है। विद्यालय प्रशासन ने छात्र का लैपटॉप अपने पास रखकर फॉरेंसिक जांच के लिए भिजवा दिया है। छात्र अपने परिजनों के साथ मंगलवार को स्कूल पहुंचा और लिखित में माफी मांगी। परिजनों ने विद्यालय प्रशासन को छात्र द्वारा धोखे में रखने की बात बताई। विद्यालय की प्रधानाचार्य प्रतिमा शर्मा के मुताबिक जब मामले की जांच की गई तो परिणाम पूरी तरह से गलत और कूट रचित निकला।

अव्वल आने की होड़ में किया गलत काम

अव्वल आने की होड़ में किया गलत काम

परीक्षा में अव्वल आने का दबाव छात्रों पर किस कदर हावी हो रहा है। इस घटना से पता चलता है। मनोचिकित्सक अनिल ताम्बी के मुताबिक अभिभावकों की इसमें सबसे बड़ी भूमिका होती है। उन्हें अपने बच्चों को पूरी तरह जागरूक रखना चाहिए। बच्चों को नैतिक मूल्य की जानकारी देनी चाहिए। अभिभावकों को बच्चों को विफलता का सामना करने के लिए तैयार रखना चाहिए और इससे लड़ने की शिक्षा देनी चाहिए। बच्चे की प्रतिभा को पहचानने के बाद उस पर विशेष कार्य करने की जरूरत है। उसकी तुलना अन्य छात्रों से नहीं करनी चाहिए। छात्र की सफलता में शैक्षणिक योग्यता का योगदान कम होता है।

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English summary
Achieved 23rd rank fake marksheet JEE, family members know about reality senses blown away
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