Video:ठोकर मारने वाला नहीं, ‘जनता के पैर पड़ने वाला कलेक्टर’, डिंडौरी की तरह हर जिले में ऐसा क्यों नहीं होता ?
सरकारी वर्किंग कल्चर को लेकर हमेशा से आरोप लगते रहे है, जिले के मुखिया यानि कलेक्टर के दफ्तर में भी अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए लोगों को कई ठोकरे खाना पड़ता हैं। लेकिन इन दिनों एमपी के आदिवासी डिंडौरी जिले के नवागत कलेक्टर विकास मिश्रा का मिजाज ही निराला है। अब नक्सल प्रभावित एक गांव में पहुंचकर वह आम व्यक्ति की तरह न सिर्फ जमीन पर बैठे नजर आए, बल्कि ग्रामीण आदिवासी बुजुर्ग महिलाएं जब उनका स्वागत करने लगी, तो वह उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते नजर आए।

डिंडौरी जिले के ये कलेक्टर साहब गजब है
मध्य प्रदेश के पिछड़े और आदिवासी इलाके में शुमार डिंडौरी जिले की जनता की जुबान से इन दिनों एक ही बात निकल रही हैं, कि ‘ ये कलेक्टर साहब गजब है..'। पिछले महीने ही विकास मिश्रा का तबादला डिंडौरी हुआ। जहां उन्होंने पदभार ग्रहण करते से ही जनता के बीच अपनी जगह बना ली। अफसरशाही ठाठ की बदौलत नहीं, बल्कि अपने अनोखे अंदाज और कार्यशैली को लेकर। इतने कम वक्त में कोई किसी अफसर का इतना मुरीद हो जाए, कम ही देखने को मिलता हैं।
Recommended Video

जब कलेक्टर पब्लिक के छूने लगे पैर..
जिस जिले की विकास मिश्रा को कमान मिली है। वहां समस्याओं का अंबार ऊंचा पहाड़ है। इस बात को वह भी जगह-जगह का दौरा करने के बाद महसूस कर रहे है। जिले के कुछ गांव नक्सल प्रभावित भी हैं। उन्ही में से गोपालपुर गांव में जनता से रु-बरु होने जब वह पहुंचे वहां की पब्लिक उनकी आरती उतारने लगी और आदिवासी बुजुर्ग महिलाएं उनका स्वागत करने लगी। तभी उन्होंने बुजुर्ग महिलाओं को रोकने की कोशिश की, फिर झुककर महिलाओं की चरण-वंदना की।

जमीन पर बैठकर जनता की सुनी समस्याएं
ख़ास बात यह रही कि जिले का मुखिया होते हुए भी कलेक्टर साहब ख़ास नहीं बल्कि आम व्यक्ति की तरह पेश आए। जनता की समस्याएं सुनने वह खुद जमीन पर पालती मारकर बैठ गए। जबकि इन ग्रामीणों से पहले कोई अफसर इतनी देर मिलना तो दूर साथ में बैठने वक्त तक नहीं गुजारता था। ग्रामीण आदिवासियों के साथ उन्होंने चाय भी पी और समस्याओं के निराकरण का भरोसा दिया। विकास मिश्रा का यह अंदाज देख ग्रामीण बेहद खुश हैं।

नौवीं क्लास के छात्र को बैठाया था अपनी कुर्सी पर
ग्रामीण बुजुर्ग महिलाओं के पैर छूने की तस्वीर के तीन दिन पहले स्कूलों के निरीक्षण में बच्चों से भी मुलाकात की थी। उनकी पढ़ाई के बारे में चर्चा की। तभी तक नौवीं क्लास के बच्चे रूद्रप्रताप सिंह की बातों से प्रभावित होकर उसे एक दिन कलेक्ट्रेट में अपनी कुर्सी पर बैठने का मौका भी दिया। मिश्रा का कहना है कि आने वाले कल का भविष्य नई पीढ़ी को हमारी व्यवस्थाओं से परिचित कराना जरुरी हैं। राज और लोक व्यवस्था का फर्क समझ सकें। वरना इस पीढ़ी के मन में भी आम लोगों के पुराने अनुभवों की तरह सरकारी व्यवस्था के प्रति घृणा कचोटती रहेगी।

अशक्षित महिला के हाथ में लिखा था मोबाइल नंबर
इसी तरह कुछ दिनों पहले कलेक्टर विकास मिश्रा ने जिले के ग्रामीण क्षेत्र के दौरे के वक्त एक आदिवासी महिला के हाथ में अपना मोबाइल नंबर लिखा था। वह महिला अशिक्षित है और काफी समय से उसकी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा था। उसकी बाते सुनकर कलेक्टर महिला को बोले कि संबंधित अधिकारी यदि अब समस्या का निराकरण न करें तो फ़ौरन किसी दूसरी के नंबर से फोन लगाना। साथ ही हाथ में लिखा नंबर अपने गांव में किसी के मोबाइल में सेव करा देना।