'ताइवान को चीन में मिलाकर रहेंगे', नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में शी जिनपिंग का ऐलान, सैनिकों को दिया नया मंत्र
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की बैठक खत्म हो गई है, जिसमें शी जिनपिंग ने अपने विश्वासपात्र ली कियांग को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया है।
Xi Jinping at National People's Congress: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कम्युनिस्ट पार्टी के सालाना कार्यक्रम नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में ऐलान किया है, कि चीन का लक्ष्य ताइवान को देश में मिलाना है। इसके साथ ही शी जिनपिंग ने देश की सुरक्षा को विकास का बुनियाद भी बताया है, यानि साफ हो गया है, कि चीन का सैन्य कार्यक्रम जारी रहेगा और चीन आने वाले सालों में भारत समेत अपने तमाम पड़ोसियों के खिलाफ अपना आक्रामक रवैया बनाकर रखेगा। इसके साथ ही ताइवान पर शी जिनपिंग के ऐलान के बाद ये भी साफ हो गया है, कि आने वाले महीनों में, या आने वाले कुछ सालों में ताइवान पर चीन हमला निश्चित तौर पर करेगा।
क्या है नेशनल पीपुल्स कांग्रेस?
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 14वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) बीजिंग में खत्म हुई है। 5 मार्च से राजधानी बीजिंग में इस कार्यक्रम की शुरूआत हुई थी और यह चीन की राष्ट्रीय विधायिका है और - आधिकारिक तौर पर, संविधान में संशोधन करने की क्षमता रखने वाला, "राज्य सत्ता का सर्वोच्च अंग" है। हालांकि, इसके ऊपर राष्ट्रपति और उनके करीबियों का काफी वर्चस्व रहने लगा है और अब इसकी महत्ता वास्तव में एक रबर स्टैंप से कुछ ही ज्यादा रह गई है। नेशनल पीपुल्स कांग्रेस का आयोजन हर साल किया जाता है, लेकिन हकीकत ये है, कि इस कार्यक्रम में क्या फैसले लेने हैं, इसका फैसला कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर वरिष्ठ अधिकारी पहले ही तय कर लेते हैं। इस साल के आयोजन के लिए करीब 2,977 प्रतिनिधियों ने बीजिंग की यात्रा की थी, जिनमें 790 महिलाएं शामिल थीं। इस कार्यक्रम में करीब 442 जातीय अल्पसंख्यकों ने भी हिस्सा लिया था। बीते शुक्रवार को एनपीसी ने ही शी जिनपिंग के तीसरी बार राष्ट्रपति बनने को मंजूरी दी थी, जिसमें 2977 प्रतिनिधियों में से 2952 लोगों ने जिनपिंग को तीसरी बार राष्ट्रपति बनाने के समर्थन में वोट डाला था।
ताइवान पर शी जिनपिंग का ऐलान
वहीं, ताइवान को लेकर शी जिनपिंग ने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस में एक बार फिर से बड़ी घोषणा कर दी है। शी जिनपिंग ने एनसीपी कार्यक्रम में दिए गये अपने भाषण में एक बार फिर से ताइवान को चीन में मिलाने की कसम खाई है और इस बात का अंदाजा पहले से ही था, कि शी जिनपिंग के भाषण में ताइवान का मुद्दा काफी अहम होने वाला है। शी जिनपिंग ने अपने भाषण में जोर देकर कहा, कि "चीन लोकतांत्रिक द्वीप में स्वतंत्रता की दिशा में उठाए जाने वाले किसी भी कदम का विरोध करेगा, और "एक देश, दो प्रणाली" की नीति पर ही काम करेगा और "मातृभूमि के पुनर्मिलन" की आवश्यकता को बढ़ावा देगा। आपको बता दें, कि ताइवान का दर्जा चीन के लिए एक अहम मुद्दा है, जो स्वशासित द्वीप को अपना होने का दावा करता है। हालांकि, हांगकांग में चीन ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू करने के बाद वहां की लोकतांत्रिक व्यवस्था को जिस तरह से कुचला है, उसके बाद इस बात में कोई संदेह नहीं रहा, कि ताइवान को लेकर चीन की "एक देश, दो प्रणाली" सिस्टम कैसा रहने वाली है।
Recommended Video
सेना को लेकर जिनपिंग ने क्या कहा?
इसके साथ भी अपने भाषण के दौरान शी जिनपिंग ने साफ तौर पर अपने देश के सैनिकों को देश की सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कहा है। और उन्होंने देश की सेना को, देश के विकास की दिशा में बुनियादी पत्थर बताया है। शी जिनपिंग ने अपने भाषण के दौरान कहा, कि वह देश की सेना के आधुनिकीकरण की आवश्यकता पर बल देते रहेंगे, ताकि वह "राज्य की संप्रभुता की रक्षा" ठीक से कर सके। शी जिनपिंग ने कहा, कि "हमें राष्ट्रीय रक्षा और सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण को पूरी तरह से बढ़ावा देना चाहिए, और लोगों की सशस्त्र बलों को स्टील की एक महान दीवार की तरह बनाना चाहिए, जो प्रभावी रूप से राष्ट्रीय संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा करता है।" उन्होंने कहा, "लोगों का विश्वास, मुझे और आगे बढ़ाने वाली सबसे बड़ी प्रेरक शक्ति है और मेरे कंधों पर एक बड़ी जिम्मेदारी भी है।"
चीन में अब influenza से हाहाकार! शीआन में भारी विरोध के बावजूद लॉकडाउन का सुझाव