फंस गया Xi Jinping का ड्रीम BRI प्रोजेक्ट, भारत को घेरने के चक्कर में अपने ही जाल में उलझा चीन
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट बेल्ट इन रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया है। भारत को घेरने के चक्कर में अब चीन खुद फंस गया है।
बीजिंग/काबुल: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट बेल्ट इन रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट पर ग्रहण लग गया है और इसी के साथ चीन की अर्थव्यवस्था की पोल भी खुल चुकी है। विश्व मानचित्र पर दुनिया के देशों को अलग अंदाज में प्रस्तुत करने का ख्वाब देखने वाले शी जिनपिंग का ये सपना अब धराशाई होने के कगार पर है। शी जिंनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्ट बेल्ट इन रोड इनिशिएटिव चीन की अर्थव्यवस्था पर एक भार के सामान हो गया है और काबुल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट को बंद करने के बारे में अब सोचा जा रहा है।
बीआरआई प्रोजेक्ट पर ग्रहण
रिपोर्ट के मुताबिक बेल्ट इन रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट का खर्च इतना ज्यादा आ रहा है कि चीन के लिए उसे वहन करना संभव नहीं रहा है। कोरोना वायरस की वजह से चीन की अर्थव्यवस्था काफी खराब हो चुकी है लिहाजा चीन के लिए बेल्ट इन रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट गले का फांस बन चुका है। हालांकि चीन ने कोरोना संकट में भी देश की अर्थव्यवस्था को ऊंचा जाता दिखाया था लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक चीन का वो दावा झूठा था। चीन की अर्थव्यवस्था महामारी की वजह से काफी खराब हुई है लिहाजा चीन अब इस स्थिति में नहीं है कि शी जिनपिंग के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में निवेश कर सके। रिपोर्ट के मुताबिक पिछले एक साल में ग्रीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में चीनी निवेश 54 प्रतिशत घटकर 47 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है।
बीआरआई प्रोजेक्ट को नुकसान
चीनी विदेश मंत्रालय के इंटरनेशनल इकोनोमिक अफेयर्स के डायरेक्टर जनपल वांग शिलांग के मुताबिक बीआरआई प्रोजेक्ट के 20 फीसदी हिस्से पर बहुत बुरा असर पड़ा है जबकि इस प्रोजेक्ट का करीब 40 फीसदी गिस्से पर खराब असर पड़ा है। चीन की अर्थव्यवस्था में महामारी की वजह से गिरावट देखने को मिली है। खबर तो यहां तक हैं कि बीआरआई प्रोजेक्ट के लिए कर्ज 2016 में जहां चीन 75 अरब डॉलर यानि 7500 करोड़ का लोन जारी कर रहा था वहीं 2020 में लोन की रकम घटकर सिर्फ 300 करोड़ रह गया है।
पाकिस्तान ने किया नुकसान
काबुल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान को चीन ने 122 प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कहा था। इसके लिए चीन ने पाकिस्तान को अरबों रुपये का लोन दिया है। लेकिन पाकिस्तान 122 में से सिर्फ 32 प्रोजेक्ट ही पूरा कर पाया। पाकिस्तान की कंगाल स्थिति ने बीआरआई प्रोजेक्ट का काफी नुकसान पहुंचाया है और चीन इस स्थिति में नहीं है कि बीआरआ प्रोजेक्ट में और निवेश करे। वहीं, स्वतंत्र रिसर्च संस्था रोडियाम ग्रुप की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी से पहले ही चीन का बीआरआई प्रोजेक्ट खराब होने लगा था। पिछले तीन सालों में चीन में निवेश कम हुआ है जिसका असर भी इस प्रोजेक्ट पर पड़ा है।
लोन बांटने का नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीकन देशों में प्रभुत्व जमाने के लिए चीन ने अंधाधुंध लोन बांटे। लेकिन, अब अफ्रीकन देश इस स्थिति में नहीं हैं कि वो चीन को पैसा लौटा सके। लिहाजा, चीन अब बीआरआई प्रोजेक्ट के लिए लोन देने की स्थिति में नहीं रहा है। वहीं, कोरोना वायरस की वजह से चीन के व्यापारियों को अरबों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है और कई कंपनियां दिवालिया होने की स्थिति में हैं, लिहाजा चीन के लिए बीआरआई प्रोजेक्ट से हाथ खिंचना मजबूरी बन गया है। काबुल टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के लिए बीआरआई प्रोजेक्ट का रूक जाना किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि, एक तो प्रोजेक्ट बंद होना बड़ा झटका है, उसपर अपने दोस्तों के बीच चीन की डिप्लोमेटिक इमेज भी कमजोर होगी। दोस्तों के बीच यही संदेश जाएगा कि चीन अब ना लोग देने की स्थिति में नहीं है।
बंद हो जाएगा बीआरआई प्रोजेक्ट?
कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का मानना है कि चीन के लिए बीआरआई प्रोजेक्ट को फिर से पटरी पर लाना संभव नहीं है। चीन ने जिन देशों को लोन दे रखा है वो देश अब और लोन लेने की स्थिति में नहीं है और ना ही चीन से नया लोन ही लेना चाहते है। वहीं, चीन के लोग भी बीआरआई प्रोजेक्ट को लेकर काफी नाराज हैं। लिहाजा शी जिनपिंग का ये महात्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अब हमेशा हमेशा के लिए बंद होने के कगार पर आ चुका है। बीआरआई प्रोजेक्ट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है, जिसके तहत एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ देशों को सड़क मार्ग से जोड़ना था। इस प्रोजेक्ट के लिए चीन ने रास्ते में पड़ने वाले छोटे छोटे देशों को खूब लोन दिए लेकिन अब उन देशों ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।
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