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मोदी सरकार ने वापस लिए तीनों कृषि कानून, किसानों की जीत पर क्या कह रही है दुनिया की मीडिया?

सीएमएन, बीबीसी, अलजजीरा समेत विश्व की तमाम प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान ने भारत में किसानों के आंदोलन की जीत की खबर को प्रमुखता से स्थान दिया है।

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नई दिल्ली, नवंबर 19: आज जब सुबह हुई तो किसी को अंदाजा भी नहीं था कि मोदी सरकार सत्ता में आने के बाद पहली बार अपने फैसले को वापस लेने वाली है। भारत में पिछले कई महीनों से किसानों का प्रचंड आंदोलन चल रहा था और सौ से ज्यादा किसानों की मौत प्रदर्शन में हो चुकी थी और आज भी अपनी मांगों के साथ ही किसान देश के अलग अलग हिस्सों में बैठे थे, कि भारतीय प्रधानमंत्री ने सुबह 9 बजे देश की जनता को संबोधित करने का ट्वीट किया। वक्त की घड़ी में 9 बजे और पीएम मोदी ने ऐलान किया, कि काफी समझाने के बाद भी किसान सरकार की बात समझने में नाकाम रहे, लिहाजा सरकार तीनों विवादित कानून को वापस लेने का फैसला करती है। पीएम मोदी के इस फैसले पर विश्व की मीडिया क्या प्रतिक्रिया दे रही है, आईये जानते हैं।

अमेरिकी मीडिया का रिएक्शन

अमेरिकी मीडिया का रिएक्शन

भारत में जब से किसानों ने विवादित कानूनों को लेकर प्रदर्शन करने का ऐलान किया था, उस वक्त से ही अमेरिकी मीडिया किसानों के प्रदर्शन को लगातार कवर करती रही और आज जब भारतीय प्रधान मंत्री ने तीनों विवादित कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है, तब भी अमेरिकी मीडिया ने इसे प्रुमखता से छापा है। भारतीय प्रधानमंत्री के अमेरिका दौरे के दौरान दो लाइन भी नहीं लिखने वाले सीएनएन ने किसानों के आंदोलन पर पीएम मोदी के फैसले को प्रमुखता से छापा है हेडलाइंस दिया है, ''एक साल के प्रदर्शन के बाद भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने विवादित कृषि कानून को वापस ले लिया है''। अपने इस लेख में सीएनएन ने एक साल चल चल रहे किसानों के संघर्ष को प्रमुखता से छापा है।

सीएनएन ने प्रमुखता से छापी खबर

सीएनएन ने प्रमुखता से छापी खबर

सीएनएन ने अपनी खबर में लिखा है कि, ''पीएम मोदी ने किसानों के महत्व और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि यह उनकी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए एक प्राथमिक मुद्दा है।'' सीएनएन ने पीएम मोदी के भाषण का जिक्र करते हुए लिखा है कि, मोदी ने कहा कि, "किसानों की स्थिति में महान सुधार के लिए देश में तीन कृषि कानून लाए गए।" उन्होंने कहा कि, "यह कानून अच्छे इरादों के साथ लाया गया था, लेकिन काफी प्रयासों के बावजूद, सरकार उन्हें (किसानों को) कृषि कानूनों के महत्व को समझाने में असमर्थ रही।" वहीं, सीएनएन ने जय किसान आंदोलन किसान समूह के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक लांबा को कोट करते हुए लिखा कि, "इसे किसानों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा सकता है लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार ने "राजनीतिक मजबूरियों" के लिए कानूनों को निरस्त कर दिया है।''

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न्यूयॉर्क टाइम्स में कानून वापसी की खबर

न्यूयॉर्क टाइम्स में कानून वापसी की खबर

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि, ''किसानों के भारी विरोध के बाद आखिरकार भारत की मोदी सरकार ने विवादित कृषि कानूनों को वापस ले लिया है''। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि, पीएम मोदी के तीनों विवादित कानून वापस लेने के फैसले का किसान नेताओं ने स्वागत किया है, लेकिन किसानों के मन में अभी भी कई तरह की आशंकाएं हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि, भारत सरकार ने तीनों कानून को वापस लेने का फैसला जरूर किया है, बावजूद इसके किसानों का प्रदर्शन अभी तक खत्म नहीं हुआ है।

अलजजीरा की किसानों पर रिपोर्ट

अलजजीरा की किसानों पर रिपोर्ट

वहीं, अलजजीरा ने भी भारत सरकार के तीनों कृषि कानूनों के वापस लिए जाने को लेकर प्रमुखता से रिपोर्ट छापी है। अलजजीरा ने लिखा है कि, ''भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि उन्होंने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने का फैसला किया है, जिनके खिलाफ किसानों ने एक साल से अधिक समय तक विरोध किया है।'' अलजजीरा ने इस जनता की जीत बताते हुए लिखा है कि, ''मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र के नाम एक संबोधन में कहा कि, आज मैं आपको, पूरे देश को बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है।" इसके साथ ही अलजजीरा ने पिछले एक साल में किसानों द्वारा किए गये संघर्ष को लेकर रिपोर्ट छापी है और लिखा है कि, अपनी मांगों के लिए सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

किसानों पर बीबीसी की रिपोर्ट

किसानों पर बीबीसी की रिपोर्ट

वहीं, बीबीसी ने ''भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किया'' हेडलाइंस के साथ पीएम मोदी के तीनों कृषि कानून वापस लेने को लेकर रिपोर्ट छापी है। जिसमें बताया गया है कि, किस तरह से हजारों किसान पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से देश के अलग अलग हिस्सों में प्रदर्शन कर रहे थे। बीबीसी ने लिखा है कि, भारत के किसानों ने अपनी मांगों के लिए ना तो भीषण ठंड का परवाह किया और ना हो कोरोना महामारी की। बीबीसी ने लिखा है कि, किसानों का कहना है कि इस कानून के बनने के बाद बड़े कारोबारी कृषि क्षेत्र को नियंत्रित करना शुरू कर देते, जिससे उनकी आमदमी पर असर पड़ता। एक लंबे लेख में बीबीसी ने किसानों के संघर्ष और इस कानून को लेकर विस्तृति रिपोर्ट छापी है, जिसमें किसानों ने कहा है कि, सरकार आगामी चुनाव को लेकर घबरा गई थी, लिहाजा आश्चर्यजनक तौर पर अचानक कानूनों को वापस लेने का फैसला किया गया है।

पाकिस्तानी मीडिया की प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी मीडिया की प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी अखबार 'डाउन' ने लिखा है कि, पीएम मोदी ने कृषि कानून वापस ले लिया है, जो किसानों की जीत है''। पाकिस्तानी अखबार ने लिखा है कि, ''भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि वह विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द कर देंगे, जिनका किसानों ने एक साल से अधिक समय से विरोध किया है''। पाकिस्तानी अखबार ने लिखा है कि, ''पीएम मोदी का विवादित कानूनों को रद्द करने के ये फैसला भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव से कुछ महीने पहले लिया गया है''। इसके साथ ही पाकिस्तानी अखबार ने पिछले एक साल से ज्यादा वक्त से किए जा रहे किसानों के संघर्ष की रिपोर्ट छापी है और ये भी बताया है कि, आखिर मोदी सरकार इस कानून को क्यों लाना चाहती थी।

अर्थव्यवस्था का हवाला

अर्थव्यवस्था का हवाला

पाकिस्तानी अखबार ने लिखा है कि, ''भारत की अर्थव्यवस्था इस वक्त 2.7 ट्रिलियन डॉलर है और मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य लेकर चल रही है और इसीलिए भारत सरकार की तरफ से तीन विवादित कृषि कानून लाए गये थे। इसके साथ ही पाकिस्तानी अखबार ने पीएम मोदी के भाषण का जिक्र किया है, जिसमें पीएम मोदी ने कहा कि, सरकार किसानों को ये समझाने में नाकामयाब रही है, कि ये कानून उनके लिए और देश की अर्थव्यवस्था के लिए कितने फायदेमंद साबित हो सकते थे।

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English summary
Modi government has withdrawn all three controversial agricultural laws, know how the international media is reacting to this decision of Modi government.
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