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खतरे का बजा अलार्म! अंटार्कटिका में दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग टूटा, टेंशन में वैज्ञानिक

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लंदन, मई 20: मानव जाति पर एक के बाद एक मुसीबत आ रही है। पूरी दुनिया जहां अदृश्य ताकत कोरोना वायरस से लड़ रही है। वहीं तेज तूफानों ने भी लोगों को डरा रखा है। अब एक और नए संकट का अलार्म बज गया है। ग्लोबल वार्मिंग से जहां अंटार्कटिका की बर्फ तेज रफ्तार से गर्म हो रही है। उसकी वजह से बर्फ के विशालकाय आइसबर्ग पिघले जा रहे रहे हैं। ऐसे में एक हिमखंड (आइसबर्ग) अंटार्कटिका में ग्लेशियरों के पीछे हटने से टूट गया है। सैटेलाइट से ली गईं तस्वीरों के मुताबिक यह दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड है, जिसका आकार स्पेनिश द्वीप मालोर्का के बराबर बताया जा रहा है।

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खतरे का बजा अलार्म! अंटार्कटिका में दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग टूटा, टेंशन में वैज्ञानिक
दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग

दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग

यूरोपीय स्पेस एजेंसी ने कहा कि आइसबर्ग ए-76 अंटार्कटिका में रोने आइस शेल्फ के पश्चिमी हिस्से से टूटकर निकल गया है और अब वेडेल सागर पर तैर रहा है। यह लगभग 170 किलोमीटर (105 मील) लंबा और 25 किलोमीटर (15 मील) चौड़ा है। जो यह न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड से बड़ा है और प्यूर्टो रिको के आकार से आधा है। वहीं इस पर वैज्ञानिकों का मानना है कि ए-76 जलवायु परिवर्तन के कारण नहीं बल्कि प्राकृतिक वजहों से टूटा है।

(source- esa.int)

तेजी से गर्म हो रही है बर्फ की चादर

तेजी से गर्म हो रही है बर्फ की चादर

नेशनल स्‍नो एंड आइस डेटा सेंटर के अनुसार इस आइसबर्ग से अलग होने से समुद्र के जलस्‍तर में इजाफा नहीं होगा, लेकिन अप्रत्‍यक्ष रूप से जलस्‍तर बढ़ सकता है। बता दें कि अंटार्कटिका की बर्फ की चादर बाकियों की तुलना में तेजी से गर्म हो रही है, जिससे बर्फ और बर्फ के आवरण पिघल रहे हैं और साथ ही ग्लेशियर पीछे हट रहे हैं, खासकर वेडेल सागर के आसपास। जैसे ही ग्लेशियर पीछे हटते हैं बर्फ के टुकड़े टूट जाते हैं और तब तक तैरते रहते हैं जब तक कि वे अलग नहीं हो जाते या फिर जमीन से टकरा नहीं जाते।

आइसबर्ग ए-68 ए भी टूटा था

आइसबर्ग ए-68 ए भी टूटा था

पिछले साल अंटार्कटिका से दक्षिण जॉर्जिया द्वीप के तट तक उस समय दुनिया का सबसे बड़ा हिमखंड ए-68 ए टूट गया था। उस दौरान वैज्ञानिकों को डर था कि आइसबर्ग एक ऐसे द्वीप से टकराएगा, जो समुद्री शेरों और पेंगुइन के लिए प्रजनन स्थल है, लेकिन इसके बजाय यह विभाजित हो गया और टुकड़ों में टूट गया था। रिपोर्ट के मुताबिक अंटारकर्टिका में बर्फ के तौर पर इतना पानी जमा हुआ है, जो अगर पिघलने लगा तो विश्वभर के समुद्रों के जलस्‍तर में 200 फीट तक का इजाफा हो सकता है।

औसत समुद्र का स्तर लगभग 9 इंच बढ़ा

औसत समुद्र का स्तर लगभग 9 इंच बढ़ा

इस महीने की शुरुआत में नेचर में पब्लिश एक स्टडी रिपोर्ट के अनुसार 1880 के बाद से औसत समुद्र का स्तर लगभग नौ इंच बढ़ गया है और उस वृद्धि का लगभग एक चौथाई हिस्सा ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ की चादरों के साथ-साथ भूमि आधारित ग्लेशियरों का पिघलना है। 15 देशों के 84 वैज्ञानिकों के अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कटौती और हाल ही में निर्धारित जलवायु परिवर्तन को धीमा करने के लिए अधिक महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय लक्ष्य समुद्र के स्तर को बढ़ने से रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।

तेजी से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर, भारत पर आने वाले सबसे बड़े खतरे का बजा अलार्मतेजी से पिघल रहे हैं हिमालय के ग्लेशियर, भारत पर आने वाले सबसे बड़े खतरे का बजा अलार्म

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English summary
World Largest Iceberg a-76 Breaks In Antarctica
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