वो महिलाएं, जिनकी मर्ज़ी के बगैर नसबंदी कर दी गई
कनाडा और पेरू में स्वदेशी लोगों के ख़िलाफ़ ऐसा किया गया था. भारत और चीन में जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए भी जबरन लोगों की नसबंदी की गई थी.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी में भी ऐसे कार्यक्रम चलाए गए थे. रूस में विकलांग और दक्षिण अफ्रीका में एचआईवी से जूझ रही महिलाओं के ख़िलाफ़ जबरन नसबंदी के कार्यक्रम चलाए गए थे.
"जब मेरी बेटी 12 साल की थी, वो मुझसे पूछा करती थी कि उसका कोई भाई या बहन क्यों नहीं है. इसका जवाब मैंने उसे तब दिया जब वो 33 साल की हो गई. मैंने उसे उस दिन बताया कि आख़िर मेरे साथ हुआ क्या था."
जीन व्हाइटहॉर्स कहती हैं, "मेरी बेटी बहुत दुखी हो गई जब उसे पता चला कि उसकी मां के साथ आख़िर हुआ क्या था."
जीन, 'नवाजो नेशन' की रहने वाली थी. इस इलाक़े में अमरीका की मूल जनजातियां रहती हैं, जो अमरीका के एरिज़ोना, उताह और न्यू मैक्सिको के कुछ हिस्सों में फैला है.
नवाजो जनजाति अमरीका के सबसे बड़े जनजातियों में से एक है.
"उन्होंने मुझे मेरे अजन्मे बच्चों से दूर कर दिया. जब भी मैं किसी परिवार को एक से ज़्यादा बच्चों के साथ देखती थी, मुझे लगता था कि मेरा भी ऐसा परिवार हो सकता था."
जीन व्हाइटहॉर्स उन हज़ारों पीड़ितों में से एक हैं, जो सरकार के परिवार नियोजन कार्यक्रमों के शिकार हुए थे.
बीबीसी वर्ल्ड सर्विस के आउटलुक कार्यक्रम से बात करते हुए उन्होंने अपनी पीड़ा, गुस्से और शर्मिंदगी का इज़हार किया.
साल 1969 में जीन ऑकलैंड में रहती थीं और इस दौरान उन्होंने गर्भधारण किया था. उनके पेट में बेटी थी और वो सरकारी अस्पताल मेडिकल जांच के लिए गई थीं.
वहां उनसे पूछा गया कि क्या उनके पास कोई मेडिकल इंश्योरेंस है, जीन ने इसका जवाब न में दिया. इसके बाद उन्होंने कुछ दस्तावेज उन्हें दिए.
वो कहती हैं, "अगर आप इस दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करती हैं तो आपके इलाज के सभी खर्चों का ख्याल रखा जाएगा. मैंने उनसे पूछा कि आपके कहने का मतलब क्या है? उन्होंने कहा, 'आपकी बेटी को गोद दे दिया जाएगा और जो लोग उसको गोद लेंगे, वो आपके सभी खर्चे उठाएंगे.' मैंने कहा नहीं और वहां से निकल गई."
"वो मेरी बेटी थी और मैं उसे किसी और को देना नहीं चाहती थी."
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धोखा
जीन इस घटना के बाद अपने नवाजो समुदाय के बीच लौट गईं और अपनी बेटी को जन्म दिया.
उसे जन्म देने के कुछ महीने बाद उनके पेट में तेज़ दर्द उठी. वो इलाज के लिए पास के एक क्लिनिक गईं.
"उन्होंने बताया कि मेरे अपेंडिक्स में इफेंक्शन है और बेहतर इलाज के लिए वो मुझे दूसरा अस्पताल ले गए."
अस्पताल में जीन से कई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने को कहा गया. उन्हें लगा कि सर्जरी से पहले ये प्रक्रिया अपनाई जाती हैं.
"मुझे तेज़ दर्द हो रहा था. उन्होंने कहा कि अगर मैं हस्ताक्षर नहीं करती हूं तो मेरा इलाज नहीं होगा. मैं दस्तावेजों को पढ़े बगैर ही एक के बाद एक पर हस्ताक्षर करने लगी."
सर्जरी में उनके अपेंडिक्स को निकाल दिया गया, लेकिन कुछ साल बाद उन्हें गर्भधारण करने में परेशानी आने लगी. वो दोबारा इलाज के लिए अस्पताल गईं और वहां उनसे डॉक्टरों ने मेडिकल रिकॉर्ड की मांग की और बताया कि उनकी नसबंदी कर दी गई है.
"उन्होंने कहा कि मैं अब दोबारा मां नहीं बन सकती हूं."
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रिपोर्ट में सामने आई हक़ीक़त
जीन की नसबंदी उस समय की गई थी जब अमरीकी सरकार ने वहां के मूल निवासियों के लिए परिवार नियोजन कार्यक्रम की शुरुआत की थी.
हर नसबंदी से पहले लोगों की मर्जी पूछी जानी थी, लेकिन कई सालों बाद यह स्पष्ट हुआ कि इन समुदाय की कई महिलाओं की नसबंदी बिना उनसे पूछे कर दी गई थी.
साल 1976 में इन नसबंदी से जुड़ी एक रिपोर्ट अमरीकी सरकार ने जारी की थी, जिसमें उन 12 में से चार क्षेत्रों का अध्ययन किया गया था, जहां नियोजन के कार्यक्रम 1973 से 1976 से बीच चलाए गए थे.
इस रिपोर्ट के मुताबिक 3,406 महिलाओं की नसबंदी बिना उनकी मर्जी के कर दी गई थी.
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जिनके जितने बच्चे वो उतना अमीर
सालों बाद लोरना टकर ने इस पर एक डॉक्यूमेंट्री बनाई, जिसका नाम रखा 'अमा'. नवाजो भाषा में अमा का मतलब मां होता है.
लोरना ने जीन व्हाइटहॉर्स से संपर्क किया और उन्हें अपनी कहानी शेयर करने के लिए मनाया. डॉक्यूमेंट्री में जीन की कहानी को प्रमुखता से दर्शाया गया है.
जीन कहती हैं, "मैं गुस्से में थी और मुझे लगता था कि ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही हुआ है. अपनी कहानी बताने के बाद में सहम गई. मैं खुश हूं कि मैंने अपनी कहानी दुनिया के सामने रखी. जवान लड़कियों को यह जानना चाहिए कि इतिहास में क्या हुआ था."
नवाजो संस्कृति में अमीर उसे नहीं समझा जाता है जिनके पास अथाह संपत्ति होती है, बल्कि उसे समझा जाता है जिनके कई बच्चे होते हैं.
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और कहां ऐसे कार्यक्रम चलाए गए
इतिहास बताता है कि अमरीका के मूल जनजातियों के साथ कई भेदभाव हुए हैं और उसके परिणाम आज भी वो झेल रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र की 2010 की रिपोर्ट के मुताबिक इन मूल जानजातियों को आम नागरिकों के मुकाबले 600 गुणा ज्यादा टीबी हुए हैं और 62 प्रतिशत ज़्यादा लोगों की मौत इन बीमारियों से हुई हैं.
जबरन नसबंदी का यह मामला सिर्फ अमरीका तक सीमित नहीं है. दुनिया के दूसरे देशों में भी ऐसा किया जाता रहा है.
कनाडा और पेरू में स्वदेशी लोगों के ख़िलाफ़ ऐसा किया गया था. भारत और चीन में जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए भी जबरन लोगों की नसबंदी की गई थी.
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी में भी ऐसे कार्यक्रम चलाए गए थे. रूस में विकलांग और दक्षिण अफ्रीका में एचआईवी से जूझ रही महिलाओं के ख़िलाफ़ जबरन नसबंदी के कार्यक्रम चलाए गए थे.
इन सभी यातनाओं को झेलने के बाद भी जीन व्हाइटहॉर्स अपने समुदाय के भविष्य को लेकर सकारात्मक सोच रखती हैं. वो कहती हैं, "चीजें बदल रही हैं. उन्हें वैसा कुछ नहीं झेलना होगा, जैसा हमलोगों ने झेला है."