महिलाओं का दिमाग पुरुषों की तुलना में ज्यादा गर्म क्यों रहता है? पता चल गया है!
लंदन, 14 जूनः महिलाओं का दिमाग पुरुषों की तुलना में ज्यादा गर्म रहता है। आप अगर ऐसा गुस्से के लिहाज से सोच रहे हैं तो थोड़ी गलती कर रहे हैं, हमारा मकसद ये बताना है कि महिलाओं का दिमाग तापमान के हिसाब से अधिक गर्म रहता है। महिलाओं के मस्तिष्क का तापमान पुरुषों के मुकाबले आधा डिग्री तक ज्यादा गर्म होता है। खासकर दिन के समय महिलाओं के दिमाग का तापमान करीब 40.9 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है।
मस्तिष्क का तापमान अधिक
लंदन की कैम्ब्रिज की MRC लैबोरेटरी फॉर मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की रिसर्च में पता चला है कि जहां शरीर के बाकी हिस्सों का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस तक रहता है, वहीं मस्तिष्क का औसत तापमान 38.5 डिग्री सेल्सियस होता है। वहीं, मस्तिष्क के अंदरूनी हिस्सों का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो सकता है।
फिक्स नहीं होता दिमाग का तापमान
नए शोध में, टीम ने MRS का इस्तेमाल करके 20 से 40 साल की उम्र के 40 स्वस्थ लोगों के दिमाग की जांच की गई। इन 40 लोगों में 20 पुरुषों और 20 महिलाएं शामिल थीं। एक दिन के दौरान तीन बार माप लिया गया और पूरे दिन में दिमाग के तापमान में हुए बदलावों को ट्रैक किया गया। इस शोध में पाया गया कि दिमाग का तापमान फिक्स नहीं होता है। यह उम्र, लिंग, मेंस्ट्रुअल साइकल, मस्तिष्क के क्षेत्र और दिन के समय के हिसाब से बदलता रहता है।
थैलेमस का तापमान सबसे अधिक
नतीजों में पाया गया कि दिमाग का तापमान 36.1ºC से 40.9ºC के बीच था। दिमाग की सतह ठंडी होती है, जबकि गहरे क्षेत्र बेहद गर्म होते हैं। जैसे मस्तिष्क के सबसे गहरे हिस्से थैलेमस का तापमान सबसे ज्यादा था। व्यक्ति के लिंग का भी उनके दिमाग के तापमान पर प्रभाव पड़ता है।
महावारी हो सकती है मुख्य वजह
महिलाओं का दिमाग, मेंस्ट्रुअल साइकल के पहले भाग की तुलना में दूसरे भाग के दौरान, ओव्यूलेशन के बाद 0.36 ºC गर्म पाया गया। ये पुरुषों के दिमाग की तुलना में भी अधिक था। सभी लोगों में, दिमाग के तापमान में, पूरे दिन में 1ºC का अंतर पाया गया। दिमाग दोपहर में सबसे गर्म और रात में सबसे ठंडा था।
बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता है तापमान
शोधकर्ताओं का कहना है कि मस्तिष्क का तापमान बढ़ती उम्र के साथ भी बढ़ता है। बढ़ती उम्र के साथ मस्तिष्क को कूल-डाउन करने की क्षमता कम होने लगती है। हालांकि, इस पर रिसर्च करने की जरूरत है कि ऐसा किसी दिमागी विकार के कारण तो नहीं होता।
पहली बार हुआ अध्ययन
इससे पहले दिमाग के सामान्य तापमान को मनुष्यों में कभी परिभाषित नहीं किया गया था। इसे आम तौर पर शरीर के बाकी हिस्सों के जैसा ही माना जाता है। पिछले अध्ययनों में, दिमागी रूप से घायल मरीजों का डेटा लिया गया था, जिन्हें सीधे तौर पर मॉनिटर किया गया। अब, स्वस्थ लोगों के दिमाग के तापमान को मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी के द्वारा मापा जाता है।
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