क्या हैं ISIS के लिए मोसुल की प्राचीन अल-नूरी मस्जिद के तबाह होने के मायने
मोसुल। इराक के शहर मोसुल में इराकी सेना और आईएसआईएस आतंकियों के बीच लड़ाई में इस शहर में स्थित महान अल-नूरी मस्जिद पूरी तरह से तबाह हो गई है। इराक के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने कहा है कि इस मस्जिद का गिरना इस संगठन की बड़ी हार है। यह वही मस्जिद है जहां से जून 2014 में अबु बकर अल-बगदादी ने खुद को खलीफा घोषित किया था।
तुर्क शासक के नाम पर मस्जिद का नाम
वहीं दूसरी ओर आईएसआईएस इस बात से साफ इनकार कर रही है कि यह मस्जिद उसकी वजह से तबाह हुई है। आईएसआईएस ने इस मस्जिद के धाराशायी होने के लिए अमेरिकी सेनाओं को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं अमेरिका ने भी इस बात से इनकार कर दिया है। इस 800 वर्ष पुरानी मस्जिद के ध्वस्त की घटना की पूरी दुनिया भर में निंदा हो रही है। इराकी सेना का कहना है कि वह 50 मीटर दूर थी जब आईएसआईएस ने इस अपराध को अंजाम दिया। यह मस्जिद मोसुल का सबसे एतिहासिक ढांचा थी। नूर-अल-दिन मोहम्मद झांगी के नाम पर इस मस्जिद का नाम रखउा गया था। झांगी मोसुल और सीरिया के शहर अलेप्पो पर राज करने वाला एक तुर्क शासक था। उसकी मौत के दो वर्षों बाद सन् 1172 में इस मस्जिद के निर्माण कार्य का आदेश दिया गया था। नूर अल-दिन को क्रिश्चियन समुदाय के खिलाफ मुसलमानों को जेहाद के लिए उकसाने वाले शासक के तौर पर जाना जाता है।
वर्ष 2014 में यहीं से बगदादी ने दिया भाषण
वर्ष 2014 में जब आईएसआईएस ने इस मस्जिद को अपने कब्जे में लिया तो एक बार फिर यह मस्जिद चर्चा का विषय बन गई। आईएसआईएस ने इसी मस्जिद से अपनी शुरुआत का ऐलान किया था। बगदादी ने इसी मस्जिद से खुद को खलीफा घोषित किया और फिर दुनिया के कई हिस्सों में दहशत फैलनी शुरू हो गई। विशेषज्ञों का मानना है कि इस मस्जिद के गिरने का मतलब है आईएसआईएस की हार अब नजदीक है। चार जुलाई 2014 को बगदादी ने यहां पर धार्मिक भाषण दिया था और कई वर्षों बाद वह पहली बार दुनिया के सामने आया था। बगदादी ने काले कपड़ों के साथ ही काले रंग की पगड़ी पहनी थी। कपड़ों से वह दुनिया को यह संदेश देना चाहता था कि वह उस कुरायश जाति से आता है जहां से पैंगबर मोहम्मद भी आते थे।