जापान परमाणु बम हमले में बची दो इमारतों को क्यों गिराना चाहता है
जापान का हिरोशिमा शहर उन दो इमारतों को गिराने की योजना बना रहा है जो 1945 के परमाणु हमलों के दौरान बच गए थे, हालांकि कुछ स्थानीय लोग उन्हें ऐतिहासिक स्थल के रूप में बचाए रखना चाहते हैं.1913 में निर्मित इन दोनों इमारतों का पहली दफा इस्तेमाल सेना के कपड़े बनाने वाली फैक्ट्री के रूप में किया गया था. इसके बाद इसे हॉस्टल बना दिया गया, जहां यूनिवर्सिटी के छात्र रहते थे.
जापान का हिरोशिमा शहर उन दो इमारतों को गिराने की योजना बना रहा है जो 1945 के परमाणु हमलों के दौरान बच गए थे, हालांकि कुछ स्थानीय लोग उन्हें ऐतिहासिक स्थल के रूप में बचाए रखना चाहते हैं.
1913 में निर्मित इन दोनों इमारतों का पहली दफा इस्तेमाल सेना के कपड़े बनाने वाली फैक्ट्री के रूप में किया गया था. इसके बाद इसे हॉस्टल बना दिया गया, जहां यूनिवर्सिटी के छात्र रहते थे.
परमाणु हमलों के बाद इनका इस्तेमाल एक अस्थायी अस्पताल के रूप में भी किया गया था.
हमलों को झेल चुके एक शख़्स ने कहा, "इनका (इमारतों का) इस्तेमाल परमाणु हथियारों के उन्मूलन और उसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा सकता है."
परमाणु बम हमलों में करीब 80 हज़ार लोग मारे गए थे और करीब 35 हज़ार लोग घायल हुए थे.
बम हमलों ने शहर के अधिकांश हिस्सों को अपनी चपेट में लिया था.
जिन इमारतों को गिराए जाने की योजना बनाई जा रही है, वो हमले में इसलिए बच गईं थी क्योंकि इनके निर्माण में स्टील का इस्तेमाल किया गया था.
बम हमलों में इमारतों की खिड़कियां और दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिन्हें आज भी देखा जा सकता है.
ये इमारतें आज जापान सरकार के अधीन हैं और साल 2017 में अधिकारियों ने यह पाया था कि शक्तिशाली भूकंप के झटकों की स्थिति में ये जमींदोज हो सकते हैं.
इमारतें अभी खाली हैं और यहां लोगों के जाने पर रोक है. स्थानीय सरकार ने फ़ैसला किया है कि इन्हें साल 2022 तक ध्वस्त कर दिया जाएगा.
उस जगह पर एक तीसरी इमारत भी है, जिसे सरकार ने संरक्षित करने का फ़ैसला किया है. इसकी दीवारों और छतों की मरम्मत की जाएगी और भूकंप से बचाने के लिए ज़रूरी उपाय किए जाएंगे.
ऐतिहासिक महत्व
1945 में जब अमरीका ने जापान पर परमाणु हमला किया था, तब इवाओ नाकानिशी इनमें से एक इमारत में रहा करते थे.
89 साल के नाकानिशी अब उस समूह की अगुवाई कर रहे हैं जो इन इमारतों को बचाने की मांग कर रहा है.
स्थानीय अख़बार से बात करते हुए उन्होंने कहा, "इन इमारतों का ऐतिहासिक महत्व है. भावी पीढ़ी को त्रासदी बताने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है. हम किसी भी सूरत में इसके विध्वंस को स्वीकार नहीं कर सकते हैं. हम इस फ़ैसले का विरोध करते हैं."
नाकानिशी ने कहा कि इमारतों का उपयोग "परमाणु हथियारों के उन्मूलन" को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किया जा सकता है.
हाल के कुछ सालों से यह बंद पड़ा है, हालांकि स्थानीय प्रशासन चाहे तो यहां लोग जा सकते हैं.
इन इमारतों का दौरा करने वाले 69 साल के एक शख़्स ने स्थानीय अख़बार को बताया, "ये मूल्यवान इमारतें हैं जो हमें परमाणु बम की भयावहता को बताती है. पहली बार उन्हें देखने के बाद दृढ़ता से मैंने यह महसूस किया है, इसलिए मैं चाहता हूं कि उन सभी को बचाया जाए."
शहर का पीस मेमोरियल पार्क परमाणु हमलों का सबसे प्रसिद्ध खंडहर है. इसे यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल किया गया है. भूकंपरोधी बनाने के लिए इसकी मरम्मती की गई थी.
हिरोशिमा में क्या हुआ था
मई 1945 में जर्मनी के आत्मसमर्पण के बाद जापान ने एशिया में युद्ध जारी रखा था.
अमरीका ने शांति कायम करने के लिए जापान को अल्टीमेटम दिया था, जिसे उसने ख़ारिज कर दिया था. अमरीका को उम्मीद थी कि परमाणु बम गिराने के बाद जापान तुरंत आत्मसमर्पण कर देगा.
इसलिए अमरीका ने पहला बम हमला हिरोशिमा पर किया, जिसमें करीब 80 हज़ार लोगों की तुरंत मौत हो गई थी. बम धमाकों में इतनी गर्मी थी कि लोग सीधे जल गए थे.
इसके बाद हज़ारों लोग परमाणु विकिरण से जुड़ी बीमारियों के चलते मारे गए. कुल मिलाकर करीब 1.40 लाख लोगों की मौत हुई थी.
किसी युद्ध में परमाणु बम के इस्तेमाल का यह पहला मामला था.
जब जापान ने आत्मसमर्पण नहीं किया तो अमरीकी सेना ने नागासाकी पर तीन दिन बाद दूसरा बम गिराया.
जापान ने छह दिन बाद आत्मसमर्पण किया और इसके साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया.