क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

श्रीलंका: महिंदा राजपक्षे ने नौसैनिक अड्डे को अपना ठिकाना क्यों बनाया

श्रीलंका की सेना ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति के बड़े भाई और दो बार के पूर्व राष्ट्रपति रहे महिंदा राजपक्षे अपनी सुरक्षा के लिए उत्तर-पूर्व में एक नौसैनिक अड्डे में छिपे हैं.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News

गंभीर आर्थिक संकट के बीच जारी विरोध प्रदर्शन कर रहे उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश के साथ श्रीलंका सरकार ने देश भर में सुरक्षा बलों को तैनात किया है.

बीते माह शुरू हुए विरोध प्रदर्शन के बाद राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने देश के नाम अपने पहले संबोधन में वादा किया है कि वे फिर से क़ानून-व्यवस्था बहाल करेंगे.

इस्तीफ़े की मांगों को नज़रअंदाज़ करते हुए राजपक्षे ने संसद को कुछ शक्तियां देने और एक नए प्रधानमंत्री का नाम देने का प्रस्ताव दिया, लेकिन उन्होंने इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं की.

उनके भाई महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को बढ़ती महंगाई के कारण हो रहे प्रदर्शनों की वजह से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया.

श्रीलंकाई नागरिक बुनियादी सामान जैसे खाना, पेट्रोल-डीज़ल की भारी कमी और ऊंचे दामों से जूझ रहे हैं.

कोलंबो में बीबीसी तमिल को एक प्रदर्शनकारी चंद्रशेखरन ने बताया, "हम कर्फ़्यू के बावजूद यहाँ प्रदर्शन स्थल तक आए हैं. हम अब भी जूझ रहे हैं. यहाँ न तो केरोसिन है, न पेट्रोल-डीज़ल और न ही बिजली."

देश भर में लगे कर्फ़्यू के बावजूद, लगातार दो रातें भीड़ ने आगज़नी और हमले किए और इन हमलों में अधिकतर उन संपत्तियों को निशाना बनाया गया जो राजपक्षे परिवार या फिर सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से जुड़े थे.

कोलंबो के पास दुकानों को आग के हवाले किया गया. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के बेटे का रिज़ॉर्ट भी शामिल था.

सेना ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति के बड़े भाई और दो बार के पूर्व राष्ट्रपति रहे राजपक्षे अपनी सुरक्षा के लिए उत्तर-पूर्व में एक नौसैनिक अड्डे में छिपे हैं.

श्रीलंका हिंसा
Getty Images
श्रीलंका हिंसा

महिंदा राजपक्षे को नौसेना अड्डा क्यों ले जाया गया?

रक्षा सचिव ने बुधवार को बताया कि महिंदा राजपक्षे नौसेना के अड्डे के अंदर छिपे हैं. उन्होंने कहा, "हम महिंदा राजपक्षे को सुरक्षा कारणों की वजह से नेवल बेस पर ले गए हैं."

इससे पहले ये भी अफ़वाह उड़ी थी कि महिंदा राजपक्षे और उनके परिवार के अन्य सदस्य भागकर भारत आ गए हैं. हालांकि, श्रीलंका में भारतीय उच्चायोग ने इन दावों को ख़ारिज कर दिया.

महिंदा राजपक्षे के छिपे होने की जानकारी सार्वजनिक होन के बाद प्रदर्शनकारी त्रिनकोमली नेवल बेस के बाहर जुट गए हैं.

सोमवार से हुई हिंसा में गई कई जानें

सोमवार से शुरू हुई हिंसा में कम से कम नौ लोगों की जान चली गई है और क़रीब 200 लोग घायल हो गए हैं. राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से इस्तीफ़े की मांग करने वाले प्रदर्शनकारियों पर सरकार समर्थकों के हमले के बाद से ये हिंसक झड़प शुरू हुई.

विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने चेताया है कि हिंसा की वजह से सेना को सत्ता अपने हाथ में लेने का बहाना मिल सकता है. मौजूदा समय में सड़कों पर भारी संख्या में मौजूद सैनिकों और बख्तरबंद वाहनों से सैन्य तख्तापलट की अफ़वाहों को और बल मिल रहा है.

हालांकि, श्रीलंका की सेना ने ऐसी किसी भी योजना से इनकार किया है.

रक्षा सचिव कमल गुनारत्ने ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "जब देश में एक ख़तरनाक स्थिति हो, तो सेना को इससे निपटने के लिए शक्ति दी जाती है."

"ऐसा कभी मत सोचिए कि हम सत्ता हथियाने की कोशिश कर रहे हैं. सेना की ऐसी कोई मंशा नहीं है."

देश की बदहाल आर्थिक स्थिति की वजह से श्रीलंका में बीते कई हफ़्तों से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत के कारण रुपए की क़ीमत लगातार गिर रही है और भोजन, पेट्रोल-डीज़ल, दवाइयों जैसे बुनियादी सामान की भी भारी कमी हो गई है.

कोलंबो के उत्तरी हिस्से में बेहद ख़राब स्थिति हो गई और यहाँ नीगोंबो शहर में विरोधी गुटों ने दुकानों में आग लगा दी.

सोमवार रात, भीड़ ने राजनेताओं के 50 से अधिक घरों को जला दिया और वहीं राजपक्षे परिवार को समर्पित एक विवादित म्यूज़ियम को भी हम्बनटोटा में ज़मींदोज़ कर दिया गया. हम्बनटोटा में ही राजपक्षे परिवार का पैतृक निवास है.

दुकानें, दफ़्तर और कारोबार बुधवार को लगातार तीसरे दिन बंद रहे. देशभर में गुरुवार सुबह तक के लिए कर्फ़्यू लगाया गया है.

एक अन्य प्रदर्शनकारी ने बीबीसी को बताया कि बुधवार को दिए राष्ट्रपति के संबोधन का देश को लंबे समय से इंतज़ार था.

केविंद्या तेनाकून ने कहा, "आप पिछले 30 दिनों से कहाँ थे? लोगों के लिए न दवा है और न ही खाना है. पूरे देश में ठहराव आ गया है. वो जिन सुधारों का सुझाव दे रहे हैं, उनकी हमें ज़रूरत नहीं. हमें इस वक़्त जो चाहिए वो है राष्ट्रपति का इस्तीफ़ा. मेरा दिमाग़ जिस बात से विचलित होता है वो ये कि गोटाबाया राजपक्षे इस बात को समझ नहीं रहे."

कोलंबो की सड़कें पूरे सप्ताह हुई हिंसा की गवाही देती हैं. अब इन सड़कों में भारी संख्या में पुलिस बल, सैनिक और इधर-उधर जली हुई हालत में पड़ी बसें दिख रही हैं.

कर्फ़्यू के बावजूद प्रदर्शनकारियों का गैले फ़ेस ग्रीन पर जुटना जारी है. इन प्रदर्शनकारियों का दावा है कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के कुप्रबंधन की वजह से अर्थव्यवस्था की ये हालत हुई है और इसलिए उन्हें पद छोड़ देना चाहिए.

राष्ट्रपति राजपक्षे का कहना है कि वो अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ नई एक मिली-जुली सरकार बनाने पर चर्चा कर रहे हैं. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी का कहना है कि जब तक राष्ट्रपति अपने पद से इस्तीफ़ा नहीं दे देते तब तक वो किसी भी अंतरिम सरकार बनाने की बातचीत का हिस्सा नहीं बनेगी.

मौजूदा समय में इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि इस तरह की सरकार बनाने के लिए कौन सी पार्टियां साथ आ सकती हैं.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) से बेलआउट पैकेज पाने की कोशिश के बीच श्रीलंका में राजनीतिक संकट भी पैदा हो गया है. श्रीलंका की 81 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था अब दिवालिया होने की कगार पर है.

चीन की ओर से बुनियादी ढांचे के प्रोजेक्ट्स के निर्माण के लिए श्रीलंका इतने कर्ज़ में डूब गया कि अब उसे विदेशों से लिए कर्ज़ का भुगतान भी रोक दिया है.

कोरोना महामारी की वजह से श्रीलंका के टूरिज़म सेक्टर को बहुत झटका लगा और उसकी आमदनी भी तेज़ी से घटी. इस कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी कम होता गया. हालांकि, विशेषज्ञ कहते हैं कि साल 2019 में जनता को लुभाने के लिए हुई टैक्स में कटौती और साल 2021 में केमिकल फ़र्टिलाइज़र पर रोक के कारण समस्या गंभीर होती चली गई.

कभी युद्ध नायक थे राजपक्षे, आज जनता के लिए बने विलेन

श्रीलंका में हिंसक झड़पों का असर अभी तक दिख रहा है. बहुत से राजनेता जनता के बीच जाने से बच रहे हैं और सेफ़ हाउस में छिपे हैं.

महिंदा राजपक्षे जो एक समय में तमिल टाइगर विद्रोहियों को हराने के बाद सिंहलियों की नज़र में किसी युद्ध नायक से कम नहीं था, वो अचानक अब विलेन बन गए हैं. बहुत से लोग उनके समर्थकों पर सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं, जिसके बाद से ही देश में हिंसक घटनाओं का दौर शुरू हुआ है.

मुश्किल से मुश्किल पलों में भी राजपक्षे परिवार हमेशा एक-दूसरे के साथ खड़ा दिखता था लेकिन इस बार उनके आपसी मतभेद खुलकर बाहर आ गए हैं. माना जा रहा है कि ये समस्या गोटाबाया राजपक्षे के महिंदा राजपक्षे से इस्तीफ़ा मांगने के बाद शुरू हुई.

हालांकि, श्रीलंका की राजनीति पर सालों से काबिज़ राजपक्षे परिवार इस संकट से कैसे बाहर निकलता है, ये सवाल अभी भी बना हुआ है.

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

BBC Hindi
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Why did Mahinda Rajapaksa make the naval base his home?
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X