G20 क्या है, जिसका अगला अध्यक्ष भारत बनेगा, लेकिन मोदी सरकार के फैसले पर चीन को है आपत्ति
G20 का कोई स्थायी मुख्यालय नहीं है और इसका एजेंडा और कार्य का समन्वय G20 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा तय किया जाता है, जिन्हें 'शेरपास' के रूप में जाना जाता है।
नई दिल्ली, जुलाई 09: भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की सात जुलाई को जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के दौरान इंडोनेशिया की राजधानी बाली में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच जी20 की बैठक से इतर सीमा विवाद के मुद्दों पर चर्चा की गई। अब 17वां G20 राष्ट्राध्यक्षों और शासनाध्यक्षों का शिखर सम्मेलन इसी साल नवंबर में बाली में ही होगा। और इसके बाद जी20 देशों की अध्यक्षता भारत के हाथों में आ जाएगी।
क्या है जी20?
1990 के दशक में पूरी दुनिया आर्थिक मंदी में फंस गई थी और फिर जी20 का गठन करने की मांग दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के बीच उठी और साल 1999 में जी20 का गठन कर दिया गया, जिसकी पृष्टभूमि पूरी तरह से आने वाले वक्त में वैश्विक वित्तीय संकट में फंसने से बचने और अगर फंसे, तो जल्द निकलने के लिए प्लानिंग तैयार करना था। आर्थिक संकट ने खासकर पूर्वी एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया को ज्यादा प्रभावित किया था, लिहाजा, इसका उद्देश्य मध्यम आय वाले देशों को शामिल करके वैश्विक वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित बनाना तय किया गया। साथ में, G20 देशों में दुनिया की 60 प्रतिशत आबादी, वैश्विक जीडीपी का 80 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत शामिल है। इसके प्रमुख सदस्य हैं, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, जापान, कोरिया गणराज्य, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं। वहीं, स्पेन को स्थायी अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। जी20 की अध्यक्षता हर साल अलग अलग देशों को मिलती रहती है और अध्यक्ष बनने वाला देश, पुराने अध्यक्ष और अगले अध्यक्ष के साथ मिलकर जी20 का एजेंडा तय तय करता है, ताकि उसकी निरंतरता बनी रहे, जिसे 'ट्रोइका' कहा जाता है और इस वक्त इटली, इंडोनेशिया और भारत ट्रोइका देश हैं।
जी20 कैसे करता है काम?
G20 का कोई स्थायी मुख्यालय नहीं है और इसका एजेंडा और कार्य का समन्वय G20 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा तय किया जाता है, जिन्हें 'शेरपास' के रूप में जाना जाता है, जो केंद्रीय बैंकों के वित्त मंत्रियों और गवर्नरों के साथ मिलकर काम करते हैं। भारत ने हाल ही में कहा था, कि पीयूष गोयल के बाद नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत जी20 शेरपा होंगे। G20 वेबसाइट के मुताबिक, "G7 के वित्त मंत्रियों की सलाह पर, G20 के वित्त मंत्रियों और सेंट्रल बैंक के गवर्नरों ने वैश्विक वित्तीय संकट की प्रतिक्रिया पर चर्चा करने के लिए बैठकें शुरू कीं।" आपको बता दें कि, गठन के बाद से ही जी20 देशों की हर साल दो बड़ी बैठके होंती हैं। एक बैठक जी20 देशों के विदेशमंत्रियों की होती है और दूसरी बैठक में तमाम देशों के राष्ट्रध्यक्ष शामिल होते हैं। यानि, इस साल नवंबर में जब जी20 शिखर सम्मेलन होगा, तो उसमें शामिल होने के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी बाली जाएंगे। हालांकि, जी20 शिखर सम्मेलन की शुरूआत 2008 से हुई और पहला G20 शिखर सम्मेलन 2008 में अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में हुआ था। शिखर सम्मेलनों के अलावा, शेरपा बैठकें (जो बातचीत और आम सहमति बनाने में मदद करती हैं), और अन्य कार्यक्रम भी पूरे वर्ष आयोजित किए जाते हैं। हर साल, अध्यक्ष देश, अतिथि देशों को आमंत्रित करता है।
भारत में जी20 सम्मेलन पर विवाद
आपको बता दें कि, बतौर अध्यक्ष देश भारत ने अगला जी20 शिखर सम्मेलन कश्मीर में करवाने का फैसला किया है और भारत के इस कदम से पाकिस्तान बौखला गया है। भारत की कोशिश कश्मीर में जी20 शिखर सम्मेलन करवाकर कश्मीर से जुड़े तमाम विवादों को एक ही बार में खत्म करने की है और पाकिस्तान जानता है, कि सफल जी20 शिखर सम्मेलन करवाने के साथ ही उसके हाथ से कश्मीर का मुद्दा हमेशा के लिए निकल जाएगा, लिहाजा पहले पाकिस्तान ने भारत के इस फैसले का विरोध किया और बाद में चीन ने पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाना शुरू कर दिया। पिछले महीने चीन की तरफ से कहा गया, कि 'संबंधित पक्षों को एकपक्षीय कदम के साथ हालात को जटिल बनाने से बचना चाहिए। हमें बातचीत और संवाद से विवादों का समाधान करना होगा और मिलकर शांति तथा स्थिरता कायम करनी होगी'। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा कि, 'जी-20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच है। और हम संबंधित पक्षों का आह्वान करते हैं कि आर्थिक रूप से उबरने पर ध्यान दें और इस प्रासंगिक मुद्दे को राजनीतिक रंग देने से बचें और वैश्विक आर्थिक शासन को सुधारने के लिए सकारात्मक योगदान दें'।
पाकिस्तान को है आपत्ति
इससे पहले पाकिस्तान ने 25 जून को कहा था कि वह कश्मीर में जी-20 के देशों की बैठक के भारत के प्रयास को खारिज करता है और उम्मीद करता है कि समूह के सदस्य देश कानून एवं न्याय के अनिवार्य तत्वों का पूरी तरह संज्ञान लेते हुए इस प्रस्ताव का स्पष्ट विरोध करेंगे। जम्मू कश्मीर 2023 में जी-20 की बैठकों की मेजबानी करेगा। इस प्रभावशाली समूह में विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। वहीं, जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पिछले महीने समग्र समन्वय के लिए पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। वहीं, जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस लिये जाने के बाद यहां प्रस्तावित यह पहली बड़ी अंतरराष्ट्रीय बैठक होगी।
भारत के प्रयास को खारिज करने की कही
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार अहमद ने पिछले महीने एक बयान में कहा था कि, इस्लामाबाद ने भारतीय मीडिया में आ रहीं उन खबरों पर संज्ञान लिया है जिनमें संकेत है कि भारत जी-20 की कुछ बैठकें जम्मू कश्मीर में करने पर विचार कर सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के ऐसे किसी प्रयास को पूरी तरह खारिज करता है। अहमद ने कहा कि यह भली भांति ज्ञात तथ्य है कि जम्मू कश्मीर पाकिस्तान और भारत के बीच अंतरराष्ट्रीय तौर पर मान्य विवादित क्षेत्र है और सात दशक से अधिक समय से यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एजेंडे में रहा है।
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