चीन के समाज में महिलाओं की क्या है स्थिति, रेस्टोरेंट में पिटाई के बाद सवाल? सरकार का नहीं मिलता है साथ
एक शख्स भोजन कर रही महिलाओं के पास आता है और एक महिला के पीछ पर हाथ रखता है और जब महिला विरोध करती है, तो फिर वो शख्स अपने एक दोस्त की मदद से महिला और उसके दोस्तों पर हमला कर देता है।
बीजिंग, जून 13: चीन के एक बारबेक्यू रेस्टोरेंट में डिनर कर रही एक महिला से हिंसक मारपीट के बाद उसका फुटेज चीन के सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और चीन में एक बार फिर से लैंगिंग असमानता को लेकर सवाल पूछे जाने शुरू हो गये हैं, जिसमें मीटू मूवमेंट भी है, जिसे शी जिनपिंग सरकार ने पनपने नहीं दिया। हालांकि, चीन हमेशा से एक रहस्यमयी राष्ट्र रहा है, फिर भी चीन में महिलाओं की स्थिति क्या है, इसके बारे में समय समय पर रिपोर्ट आते रहते हैं। आईये जानते हैं, कि रेस्टोरेंट विवाद ने एक बार फिर चीन की महिलाओं की दयनीय स्थिति को कैसे उजागर कर दिया है।
रेस्टोरेंट में महिला पर हमला
शुक्रवार को महिला पर रेस्टोरेंट के अंदर डिनर करते वक्त हमला किया गया। वीडियो फुटेज में दिख रहा है, कि एक शख्स भोजन कर रही महिलाओं के पास आता है और एक महिला के पीछ पर हाथ रखता है और जब महिला विरोध करती है, तो फिर वो शख्स अपने एक दोस्त की मदद से महिला और उसके दोस्तों पर हमला कर देता है। सीसीटीवी में दिख रहा है, कि वहां कई और पुरूष इकट्टे हो जाते हैं औऱ फिर महिला को उसके बालों को पकड़कर घसीटा जाता है, उसके साथ मारपीट की जाती है और जमीन पर पटककर उसे लातों से पीटा जाता है। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद चीन की पुलिस नींद से जागती है और दो प्रांतों में तलाशी अभियान चलाने के बाद 9 संदिग्धों को गिरफ्तार किया जाता है। वहीं, शिन्हुआ न्यूज के मुताबिक, तांगशान की पुलिस ने सभी आरोपियों को सख्त से सख्त सजा दिलवाने की बात कही है।
चीन की महिलाओं में फूटा गुस्सा
तांगशान पुलिस ने भले ही सभी आरोपियों को सख्त से सख्त सजा जिलवाने की बात कही है, लेकिन चीन के सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा बढ़ता ही जा रहा है। खासकर महिलाएं काफी उच्च स्वरों में विरोध जता रही है और चीन में लैंगिक असमानता पर काफी खुलकर बात की जा रही है। चीन के सोशल मीडिया पर महिलाएं लिख रही हैं, कि उन्हें मर्दों की तरफ से किस तरह की प्रताड़नाओं का शिकार होना पड़ता है। चीनी सोशल मीडिया पर एक महिला ने 2021 के एक वाकये को शेयर करते हुए लिखा, कि किस तरह से जब वो रात को अकेले घर लौट रही थी, उस वक्त उसे एक आदमी ने काफी परेशान किया था। लड़की कहती है, कि उसके बाद से वो सड़क पर अकेले चलने के नाम से डर जाती है।
मीटू कैंपेन के खिलाफ सरकार
पीड़ित लड़की अपने पोस्ट में लिखती है, कि जिस शख्स ने उसे परेशान किया था, वो उसका परिचित था और उसे माफी मांगनी चाहिए। लेकिन, आक्रोश के बाद भी चीन की सरकारी मीडिया चायना डेली अखबार ने लड़की के इस आरोप को खारिज कर दिया, कि ये मामला प्रताड़ना का है। सरकारी अखबार ने रविवार को अपनी टिप्पणी में कहा कि, 'इस तरह के मामले को कभी भी किसी भी तरह के यौन विरोध के रूप में व्याख्या नहीं की जानी चाहिए'। चीनी मूल की न्यूयॉर्क की एक नारीवादी वकील ज़ियाओवेन लियांग ने कहा कि, इसे लिंग आधारित हिंसा से इनकार करके, चीनी अधिकारी एक प्रणालीगत समस्या को संबोधित करने से बचने की कोशिश कर रहे हैं'। लियांग ने कहा कि, 'चीनी समाज में महिलाओं की आवाज कुछ सबसे मजबूत और तेज आवाज वाली आवाजें हैं जो मौजूदा व्यवस्था को लगातार चुनौती दे रही हैं।"
चीन की सरकार पर उठाए सवाल
वकील लियांग का मानना है कि, चीन की सरकार महिलाओं की आवाज को हाशिये पर डालने के लिए शुरू से ही काम करती रही है और नारीवादी विचारों को कुचल दिया गया है। उन्होंने कहा कि, चीनी सरकार ने नारीवाद को ही कलंकित करने का काम किया है। हकीकत देखिए, तो चीन में बच्चों को जन्म देने से डर के पीछे महिलाओं की सबसे बड़ी वजह यही है, कि चीनी महिलाएं अब बच्चों को जन्म ही नहीं देना चाहती हैं। उन्हें परिवार में गालियां दी जाती हैं और चीन में ये घटनाएं समृद्ध परिवारों में आम बात है। महिलाओं की स्थिति का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं, कि चीन की संघीय सरकार में एक भी महिला नहीं है। चीन की जिन महिलाओं ने यौन उत्पीड़न के बारे में बात की है, उन्हें देश की पितृसत्तात्मक संस्कृति द्वारा बार-बार चुप करा दिया गया है। चीन के 25 सदस्यीय शीर्ष निर्णय लेने वाले निकाय, पोलित ब्यूरो में केवल एक महिला है, और वो भी इस साल रिटायर हो रही हैं।
महिलाओं के पास हैं सीमित अधिकार
चीन की प्रसिद्ध अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग लिमिटेड ने पिछले साल एक प्रबंधक पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली एक महिला को निकाल दिया और इस मामले को लेकर चीन में काफी बहस हुई थी और उस वक्त स्थानीय मीडिया में कई ऐसे रिपोर्ट किए गये, कि चीन के निगमों में और दफ्तरों में अत्यधिक शराब पीकर महिलाओं के साथ दुर्वव्यहार होना आम बात है। इसी साल चीन की प्रसिद्ध टेनिस स्टार पेंग शुआई ने एक वीडियो जारी करते हुए चीन के उप-प्रधानमंत्री के खिलाफ बलात्कार के आरोप लगाए। लेकिन, आश्चर्यजनक तरीके से कुछ ही घंटे बाद उनके वीडियो को डिलीट कर दिया गया और वो कई दिनों तक 'गायब' रहीं। जब पूरी दुनिया के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ियों ने, जिसमें सेरेना विलियम्स भी थीं, उन्होंने आवाज उठाई और पेंग शुआई की सुरक्षा की मांग की, तब जाकर करीब 20 दिनों बाद वो एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दिखाई थीं। वहीं, उनके आरोपों को चीन के सरकारी मीडिया पर पश्चिमी देशों की साजिश कही गई।
दुल्हनों की होती है तस्करी
चीन के जिआंग्सु प्रांत में एक दरवाजे से एक महिला के गर्दन में तार बांधकर रखा गया और आठ लोगों का वीडियो भी सामने आया, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं, पेकिंग विश्वविद्यालय के सौ से ज्यादा छात्रों ने साइन किया हुआ चिट्ठी केन्द्रीय सरकार को लिखी थी और देश के ग्रामीण क्षेत्रों में दुल्हनों की होने वाली तस्करी रोकने की मांग की गई, लेकिन शी जिनपिंग प्रशासन ने उनकी चिट्टी को फाड़कर फेंक दिया। आपको बता दें कि, चीन में अब लोगों को शादी करने के लिए लड़कियों की काफी कम पड़ गई है, लिहाजा लड़कियों की तस्करी काफी की जा रही है। लिहाजा, अब चीन की महिलाओं में गुस्सा काफी भड़क गया है और रेस्टोरेंट हमले के बाद अब एक बार फिर से चीन की सरकार से महिलाओं को हक और महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर रोक लगाने की मांग की जा रही है।
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