नए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने इजरायल पर वोटिंग के बाद यूएन को फटकारा
नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उठाए संयुक्त राष्ट्रसंघ (यूएन) पर सवाल। ट्रंप ने कहा 20 जनवरी के बाद यूएन में चीजें होंगी अलग। यूएन में वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में इजरायल के बस्तियों
फ्लोरिडा। 24 दिसंबर को इजरायल के खिलाफ यूनाइटेड नेशंस (यूएन) में हुई वोटिंग पर नए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। ट्रंप ने सोमवार को यूएन के रवैये पर सवाल उठाया है। उन्होंने इस संस्था को ऐसे लोगो का ग्रुप करार दिया है जहां पर सिर्फ मजे के लिए लोग इकट्ठा होते हैं। आपको बता दे कि वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में इजरायल की बस्तियों के खिलाफ यूएन में वोटिंग हुई है।
सिर्फ गेट-टुगेदर के लिए बना क्लब
निर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने ट्विटर पर आकर यूएन में हुई वोटिंग के खिलाफ अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने यूएन पर ट्वीट किया, 'इतनी ज्यादा संभावनाएं लेकिन यह सिर्फ लोगों के इकट्ठा होने का क्लब बनकर रह गया है जहां पर वे आते हैं, बातें करते हैं और मजा करते हैं। बड़ी अफसोस की बात है।' शुक्रवार को ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा था, 'जहां तक यूएन की बात है तो 20 जनवरी से यहां पर चीजें बदलेंगी।' 20 जनवरी को ही ट्रंप अपना ऑफिस संभालेंगे। इजरायल पर हुई वोटिंग के दौरान राष्ट्रपति बराक ओबामा प्रशासन नदारद था। पढ़ें-पुतिन की ट्रंप को क्रिसमस वाली चिट्ठी, दो राष्ट्रपतियों का 'दोस्ताना'
चुनाव के बाद बदल गए ट्रंप
ओबामा प्रशासन के मौजूद न होने से ट्रंप की वह मांग भी किनारे हो गई है जिसमें उन्होंने मांग की थी कि अमेरिका को अपने वीटो का प्रयोग कर, इजरायल के साथ ठंडे रिश्तों को एक नई शुरुआत देने की कोशिश करनी चाहिए। ट्रंप ने पिछले वर्ष दिसंबर में कहा था कि वह इजरायल के साथ इजरायल-फिलीस्तीन मुद्दे पर, 'बहुत तटस्थ' रिश्ते चाहते हैं। लेकिन जैसे ही वह चुनाव अभियान में उतरे उनके सुर बदल गए और वह इजरायल की तरफ झुके हुए नजर आने लगे। उन्होंने अपने अभियान के दौरान फिलीस्तीन के खिलाफ काफी कुछ कहा। ट्रंप के मुताबिक या तो फिलीस्तीनियों ने आतंकवादियों को माफ कर दिया है या फिर आतंकवादियों ने चहां पर अपना नियंत्रण कर लिया है। पढ़ें-पुतिन का बड़ा बयान, सिर्फ रूस को था ट्रंप की जीत पर यकीन
कई और सरकारों ने की यूएन की आलोचना
ट्रंप की ट्वीट ने कहीं न कहीं यूएन की ओर से किए जा रहे कार्यों को व्यर्थ करार दे डाला है। यूएन को लेकर ट्रंप की आलोचना कोई नई नहीं है। एक तरफ यह संस्था बड़े पैमाने पर ही मानवाधिकारों और शांति कायम करने के प्रयासों में लगी रहती है तो वहीं संस्था की ब्यूरोक्रेसी हमेशा रडार पर रही है। इस संस्था को पिछले दिनों कुछ विदेशी सरकारों की कड़ी निंदा का शिकार होना पड़ा है। सरकारों की ओर से संस्था को 'अक्षम' और 'गंभीरता से काम न करने वाली संस्था' तक करार दे दिया गया। वहीं विकासशील देशों की ओर से कहा गया है कि संस्था हमेशा अमीर देशों के प्रभाव में रहती है। ट्रंप ने सोमवार को ही एक और ट्वीट किया जिसमें उन्होंने लिखा, 'मेरी जीत से पहले दुनिया अंधकार मे थी और कोई उम्मीद नहीं थी। अब बाजार में करीब 10 प्रतिशत की तेजी है और क्रिसमस में करीब ट्रिलियन डॉलर्स खर्च किए जा चुके हैं।'