US election 2020: अगर बाइडेन और ट्रंप दोनों ने ही अपनी हार मानने से इनकार कर दिया तो!
वॉशिंगटन। अमेरिका एक बार फिर उस तरफ बढ़ रहा है जहां पर चुनावों के साथ ही अनिश्चितता का माहौल बनता जा रहा है। विश्लेषक एक बार फिर साल 2000 में हुई घटना से जुड़े पन्नों को पलटने में लग गए हैं। 7 नवंबर 2000 को डेमोक्रेट अल गोर ने रिपब्लिकन पार्टी के जॉर्ज डब्लू बुश को दो फोन कॉल्स की थीं। पहली कॉल में उन्होंने अपनी हार स्वीकारी तो दूसरी कॉल में उन्होंने बुश से कहा कि वह अपनी हार मानने को तैयार नहीं हैं। इस बार भी समीकरण ऐसे बनते नजर आ रहे हैं जहां पर दोनों में से एक अपनी हार मानने से पीछे हट सकता है।
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36 दिन तक अमेरिका में हुई थी हिंसा
साल 2000 में जब चुनाव हुए तो नतीजे आने में 36 दिन का समय लगा था। इस दौरान देश में हिंसा और अव्यवस्था का माहौल देखा गया। चुनाव के बाद जब काउंटिंग शुरू हुई तो रेस स्विंग स्टेट्स में भी सबसे नाजुक राज्यों की तरफ आ गई। सिर्फ कुछ सैंकड़ों वोट्स की वजह से उम्मीदवारों को अलग-अलग कर दिया गया। अल गोर ने जब बुश को दोबारा कॉल किया तो बुश ने जवाब दिया, 'मेरे छोटे भाई ने मुझे बताया है कि हम निश्चित तौर पर फ्लोरिडा में जीत रहे हैं।' बुश उस समय टेक्सास के गर्वनर थे और उनके छोटे भाई जेब बुश फ्लोरिडा के गर्वनर थे। अल गोर ने बुश को जवाब दिया, 'मैं नहीं जानता कि आपके छोटे भाई ने आपसे क्या कहा है लेकिन मैं बस आपको औपचारिक तौर पर यह बता रहा हूं कि मैं अब अपनी हार मानने को तैयार नहीं हूं। थैंक्यू, गुड नाइट।' इसके बाद एक माह से ज्यादा समय तक संकट का दौर देखा गया जिसमें भ्रष्टाचार से लेकर विरोध प्रदर्शन और कानूनी चुनौतियों के साथ ही हिंसा की कई घटनाएं शामिल थीं।
इस बार भी हिंसा का डर
अब 20 साल बाद भी अमेरिका उसी तरफ बढ़ रहा है। माना जा रहा है कि वोटों की गिनती के खत्म होते-होते किसी निश्चित विजेता का नाम तय करने में मुश्किल हो जाए। इस बार कोविड-19 की वजह से लाखों मतपत्र डाक के जरिए पहुंचने वाले हैं। अमेरिका में आज भी बैलेट के जरिए ही चुनाव होते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो अनिश्चितता जितनी बढ़ेगी, यह उतनी ही खतरनाक साबित होगी। अगर दोनों उम्मीदवारों ने जोर दिया कि दोनों चुनाव जीत रहे हैं तो फिर अमेरिका उस संकट की तरफ बढ़ेगा जिसका अनुभव शायद कभी किसी ने अभी तक नहीं किया है। यूएस स्टडीज सेंटर में रिसर्च एसोसिएट इलियट ब्रेननैन के मुताबिक, 'इस बार के चुनाव में प्रचार अभियान के दौरान डर ने भी एक रोल अदा किया है। इसका मतलब यह है कि कई लोग अमेरिका में ऐसे हैं जो चुनावों से वंचित रह सकते हैं। दोनों उम्मीदवारों की तरफ से यह दावा किया गया है कि अगर उन्हें नहीं चुना गया तो फिर अमेरिका पूरी तरह से बिखर जाएगा।' ब्रैननैन ने आगे कहा, 'जब आप बंदूक, महामारी, मंदी, एक साजिश की आशंका और गलत जानकारियों को प्रचार में जोड़ते हैं तो घरेलू स्तर पर एक हिंसा की आशंका बहुत हद तक बढ़ जाती है।'
नतीजे आने में लग सकते हैं कई हफ्ते!
यूएस स्टडीज सेंटर में सीनियर लेक्चरर डॉक्टर डेविड स्मिथ का कहना है कि इस बार के चुनाव कोविड-19 के बीच आयोजित हो रहे हैं। यानी बहुत से ऐसे अमेरिकी हैं जिन्होंने अपने मतपत्र को डाक के जरिए हफ्तों पहले भेज दिया है और वह भीड़ से बचना चाहते हैं। उनकी मानें तो उन्हें इस बात की चिंता है कि इलेक्शन डे वाले दिन क्या होगा? जिन बैटेलग्राउंड स्टेट्स में साल 2016 में ट्रंप जीते थे वहां पर स्थिति काफी महत्वपूर्ण होने वाली है। इस बार लाखों बैलेट की गिनती होनी है और लिफाफे से उन्हें निकालकर फिर एक मशीन में डाला जाएगा। ऐसे में विशेषज्ञ मान रहे हैं कि नतीजे आने में कई दिन या फिर कई हफ्ते भी लग सकते हैं। जो आंकड़े मिले हैं उसके मुताबिक अर्ली वोटिंग में डेमोक्रेट्स ने जमकर वोट डाले हैं जबकि रिपब्लिकंस इलेक्शन डे वाले दिन वोट डालने जाएंगे। ऐसे में इसका सीधा अर्थ यह है कि ट्रंप को शुरुआत में तो बढ़त मिल सकती है लेकिन बाद में बाइडेन बड़ी लीड हासिल कर सकते हैं। यूएस पॉलिटिक्स पोडकास्ट बार्ले गेटिन की एमा शॉर्टिस के मुताबिक ट्रंप नतीजों से पहले ही खुद को विजेता घोषित कर चुके हैं और यह बहुत खतरनाक हो सकता है। उनकी मानें तो नतीजों में उन्हें कम वोट मिलने पर वह अपने समर्थकों को भड़का सकते हैं।