चेर्नोबिल को बचाने यूक्रेन ने भेजी सेना, अमेरिका-नाटो ने भी भेजे हथियार, महायुद्ध की उल्टी गिनती शुरू?
चेर्नोबिल क्षेत्र में अभी भी ऐसे मजदूर रहते हैं, जो परमाणु रिएक्टर में हादसे के बाद वहां रह गये थे और चेरनोबिल शहर अभी भी आंशिक रूप से उन श्रमिकों द्वारा कब्जा कर लिया गया है।
कीव/मॉस्को, जनवरी 25: द न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, रूस द्वारा संभावित आक्रमण से बचने के लिए यूक्रेन ने चेर्नोबिल एक्सक्लूजन क्षेत्र पर किसी भी घुसपैठ से बचाव के लिए अपने सैनिकों को भेज दि है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, जिस स्थान पर दुनिया की सबसे भीषण परमाणु आपदा हुई थी, उन्हीं इलाकों से रूसी सैनिक यूक्रेन में दाखिल हो सकते हैं और वहीं से महायुद्ध की शुरूआत हो सकती है।
चेर्नोबिल को बचाने की कोशिश
रिपोर्ट के मुताबिक, चेर्नोबिल को बचाने के लिए यूक्रेन ने अपने सैनिकों को भेज दिया है। वहीं, अमेरिका ने भी हथियारों की दूसरी खेप यूक्रेन भेज दी है। आपको बता दें कि, चेर्नोबिल यूक्रेन के उत्तरी भाग में स्थिति है और एक छोटे से रास्ते से ये यूक्रेन की राजधानी कीव से जुड़ा हुआ है। साल 1986 में चेर्नोबिल में एक परमाणु रिएक्टर का मेल्टडाउन हुआ था और परमाणु आपदा के दशकों बाद भी पूरा इलाका अभी भी सुनसान है और सावधानी के तौर पर लोगों को वहां जाना वर्जित है। न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन के सैन्य क्षेत्र में परमाणु विकिरण का पता लगाने के लिए हथियारों के साथ-साथ उपकरण भी ले जा रही है। वहीं, यूक्रेनी सीमा रक्षक सेवा के लेफ्टिनेंट कर्नल यूरी शखराइचुक ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह दूषित है या यहां कोई नहीं रहता है।" उन्होंने कहा, "यह हमारा क्षेत्र है, हमारा देश है, और हम इसकी रक्षा करेंगे।"
चेर्नोबिल क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती
यूक्रेन के सैन्य प्रमुख ने कहा है कि, सैनिकों को गले में एक उपकरण पहनना होगा, ताकि लगातार विकिरण का पता चलता रहे और यदि विकिरण भरे क्षेत्र में घूमता हुआ पाया जाता है, तो फिर उन्हें ड्यूटी से हटा दिया जाएगा। कर्नल शखराइचुक ने द न्यू यॉर्क टाइम्स को बताया कि, अब तक एक भी सैनिक विकिरण के प्रभाव में नहीं आया है और कर्नल शखराइचुक ने आगे कहा कि, चेर्नोबिल में तैनात सैनिक किसी भी आक्रमण वाली स्थिति से पीछे नहीं हटेंगे और उन्हें किसी भी तरह की घुसपैठ को रोकने के लिए भेजा गया है। वहीं, जैसे ही यूक्रेनियन सैनिकों को चेर्नोबिल क्षेत्र में सुरक्षा के लिए भेजा गया, ठीक वैसे ही क्षेत्र के लोगों की भावना उमड़ पड़ी है, क्योंकि उनकी आंखों के सामने 1986 का वो मंजर याद आ गया, जब परमाणु संयंत्र में विकिरण को रोकने के लिए सबने साथ मिलकर काम किया था।
कैसी है चेर्नोबिल क्षेत्र की स्थिति
चेर्नोबिल क्षेत्र में अभी भी ऐसे मजदूर रहते हैं, जो परमाणु रिएक्टर में हादसे के बाद वहां रह गये थे और चेरनोबिल शहर अभी भी आंशिक रूप से उन श्रमिकों द्वारा कब्जा कर लिया गया है जो सुरक्षा तंत्र को बनाए रखने के लिए रोटेशन पर रहते हैं। ऐसे ही एक कार्यकर्ता ने न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि, "हमें नहीं पता कि हमें सबसे पहले क्या मारेगा, वायरस, विकिरण या युद्ध।" इस बीच, रूस ने कहा है कि उसका यूक्रेन पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है और उसने पश्चिमी देशों पर क्षेत्र में तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया है। क्रेमलिन ने हालांकि, अपनी मांग दोहराई है कि नाटो सहयोगियों को अपनी सेना और हथियारों को पूर्व सोवियत गणराज्य के पास की साइटों से हटा देना चाहिए। वहीं, तनाव के कारण अमेरिका ने अपने नागरिकों को रूस की यात्रा न करने की चेतावनी जारी की है।
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