
स्वीडन और फिनलैंड के NATO में शामिल होने का रास्ता साफ, बाइडेन बोले, बधाई हो, रूस की बढ़ेगी टेंशन
मेड्रिड,29 जून : तुर्की (Turkey) ने एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए स्वीडन और फिनलैंड (Sweden and Finland) के नाटो (NATO) में शामिल होने के विरोध को समाप्त करने के लिए सहमति जता दी है। यह फैसला स्पेन की राजधानी मैड्रिड में आयोजित शीर्ष स्तरीय वार्ता के बाद लिया गया। यूक्रेन पर हो रहे लगातार रूसी हमलों के बीच स्वीडन और फिनलैंड के लिए यह अच्छी खबर है। वहीं, फिनलैंड के राष्ट्रपति सौली नीनिस्टो ने कहा कि तीनों देशों के नेताओं ने मंगलवार को बातचीत के बाद एक संयुक्त समझौते पर हस्ताक्षर किए।

मुश्किल
में
रूस
नाटो
के
सेक्रेटरी
जनरल
जेन्स
स्टोल्टेनबर्ग
ने
कहा
कि
तीनों
देशों
के
बीच
एक
समझौता
हो
गया
है।
उन्होंने
इसे
ऐतिहासिक
बताया।
बता
दें
कि,
यूक्रेन
पर
रूसी
आक्रमण
के
बाद
स्वीडन
और
फिनलैंड
जैसे
देश
गुटनिरपेक्ष
स्थिति
को
छोड़कर
नाटो
से
जुड़ने
के
लिए
मजबूर
हो
गए
हैं।
फिनलैंड
रूस
के
साथ
एक
लंबी
सीमा
साझा
करता
है।
नाटो
संधि
के
तहत
किसी
भी
सदस्य
देश
पर
हमले
को
सभी
सदस्य
देशों
के
खिलाफ
हमला
माना
जाएगा
और
पूरे
गठबंधन
द्वारा
हमले
का
जवाब
दिया
जाएगा।
इससे
आने
वाले
समय
में
रूस
को
काफी
परेशानियों
का
सामना
भी
करना
पड़
सकता
है।

NATO
कैसे
काम
करता
है,
जानें
नाटो
में
शामिल
देश
सबकी
सहमति
से
कोई
भी
काम
को
आगे
बढ़ाता
है,
इसका
मतलब
है
कि,
वह
सर्वसम्मति
से
संचालित
होता
है।
पहले
तुर्की
फिनलैंड
और
स्वीडन
को
नाटो
में
शामिल
नहीं
करना
चाहता
था,
वह
इसका
विरोध
कर
रहा
था।
ऐसी
स्थिति
में
तुर्की
की
सहमति
के
बगैर
ये
दोनों
देश
नाटो
के
सदस्य
नहीं
बन
सकते
थे।
तुर्की
को
लगता
था
कि,
फिनलैंड
और
स्वीडन
जैसे
देश
कुर्द
विद्रोही
समूहों
को
लेकर
अपना
रूख
बदलते
रहते
हैं,
जिन्हें
तुर्की
अपना
दुश्मन
और
उन्हें
आतंकवादी
मानता
है।
आखिरकार
तुर्की
मान
ही
गया
इस
मसले
पर
हफ्ते
भर
चली
बैठक
के
बाद
आखिरकार
तुर्की
मान
ही
गया।
हालांकि,
तीनों
देश
एक
संयुक्त
समझौते
पर
पहुंचे
है।
तुर्की
के
मुताबिक,
वह
फिनलैंड
और
स्वीडन
से
विद्रोहियों
के
खिलाफ
लड़ाई
में
पूर्ण
समर्थन
चाहता
है।
फिनलैंड
और
स्वीडन
ने
तुर्की
की
मांग
को
मान
लिया
है।
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