ट्रंप ने कोरोना के ख़तरे को जानबूझकर कम करके दिखाया, एक किताब का दावा
अमरीका में छपने वाली एक नई किताब के अनुसार राष्ट्रपति ट्रंप जानते थे कि कोरोना कितना ख़तरनाक है, फिर भी उन्होंने जानबूझकर इसके ख़तरे को कम करके दिखाया.
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस बात को जानते थे कि कोरोना वायरस फ़्लू की तुलना में ज़्यादा ख़तरनाक है, लेकिन उन्होंने जानबूझकर इस महामारी के प्रकोप को कम करके बताया.
अमरीका से छपने वाली एक नई किताब में ये दावा किया गया है.
किताब लिखने वाले हैं 70 के दशक में वाटरगेट स्कैंडल को उजागर करने वाले मशहूर पत्रकार और लेखक बॉब वुडवर्ड.
बॉब वुडवर्ड का दावा है कि उन्होंने दिसंबर 2019 से जुलाई 2020 तक ट्रंप का 18 बार इंटरव्यू किया है.
किताब में ट्रंप के हवाले से दावा किया गया है कि अमरीका में कोरोना से पहली मौत होने से पहले ही ट्रंप ने उन्हें बताया था कि कोरोना एक 'जानलेवा' बीमारी है.
इस किताब पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने कहा कि वो नहीं चाहते थे कि कोरोना को लेकर लोगों में अफ़रा-तफ़री मच जाए.
अमरीका में अब तक कोरोना से एक लाख 90 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं.
बुधवार को कुछ अमरीकी मीडिया ने ट्रंप और बॉब वुडवर्ड के बीच हुई बातचीत के कुछ अंशों को छापा जिसमें बताया गया है कि ट्रंप कोरोना महामारी, नस्लवाद और दूसरे मुद्दों पर क्या सोचते हैं.
बॉब वुडवर्ड की ये किताब 'रेज' 15 सितंबर को आधिकारिक रूप से बाज़ार में आएगी.
किताब में ट्रंप और कोरोना के बारे में क्या कहा गया है?
ट्रंप ने साफ़ इशारा किया था कि कोरोना कितना ख़तरनाक है इस बारे में वो अच्छे से जानते थे लेकिन वो सार्वजनिक रूप से कभी भी यह नहीं कहते थे.
फ़रवरी में हुई एक बातचीत के दौरान ट्रंप ने वुडवर्ड से कहा था कि कि कोरोना फ़्लू से ज़्यादा जानलेवा है.
ट्रंप ने सात फ़रवरी को बातचीत के दौरान कहा था, "यह हवा के ज़रिए फैलता है. आपको इसे छूने की भी ज़रूरत नहीं. आप सिर्फ़ सांस लें और यह आपतक आ जाएगा. यह फ़्लू से ज़्यादा ख़तरनाक और जानलेवा है."
फ़रवरी के ही महीने में ट्रंप ने कहा था कि वायरस पूरी तरह नियंत्रण में है और बहुत जल्द ही कोरोना संक्रमितों की संख्या शून्य के बराबर हो जाएगी. और उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि फ़्लू कोरोना से ज़्यादा ख़तरनाक है.
10 मार्च को उन्होंने राजधानी वाशिंगटन में कहा था, "आप बस शांत रहें. यह (कोरोना) चला जाएगा."
नौ दिनों के बाद जब तक अमरीका में कोरोना महामारी को राष्ट्रीय इमरजेंसी घोषित किया जा चुका था, ट्रंप ने वुडवर्ड से कहा था, "मैं हमेशा से ही इसे (कोरोना) को कम करके दिखाना चाहता था. मैं अभी भी इसे कम करके ही बताना चाहता हूं, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि लोगों में घबराहट और दहशत फैल जाए."
Donald Trump knew.
He lied to us for months.
And while a deadly disease ripped through our nation, he failed to do his job — on purpose.
It was a life or death betrayal of the American people. https://t.co/WDmVUvmmJk
— Joe Biden (@JoeBiden) September 9, 2020
व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया
बुधवार को पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा, "मैं नहीं चाहता कि लोग ख़ौफ़ज़दा हों, मैं नहीं चाहता कि अफ़रा-तफ़री मचे, और निश्चित तौर पर मैं इस देश और दुनिया के लोगों में उन्माद फैले. हमलोग आत्मविश्वास दिखाना चाहते हैं, अपनी ताक़त दिखाना चाहते हैं."
किताब की आलोचना करते हुए ट्रंप ने कहा, "वुडवर्ड की किताब राजनीतिक रूप से मेरे ऊपर हमला है."
किताब के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए ट्रंप की प्रेस सचिव केले मैकएनानी ने कहा, "राष्ट्रपति ने कभी भी कोरोना वायरस के ख़तरे को कम नहीं आंका. राष्ट्रपति लोगों का ढाढस बंधाना चाहते थे. राष्ट्रपति इसको लेकर काफ़ी गंभीर थे."
ट्रंप के चुनावी प्रतिद्वंद्वी जो बाइडन ने ट्वीट कर कहा, "जब एक जानलेवा वायरस हमारे देश को तबाह कर रहा था, राष्ट्रपति जानबूझकर अपना काम करने में नाकाम रहे हैं. यह अमरीकी लोगों के साथ धोखा है जो कि ज़िंदगी और मौत का सवाल है."
बाइडन ने कहा कि ट्रंप ने सिर्फ़ दो हफ़्ते पहले कार्रवाई की होती तो सिर्फ़ मार्च और अप्रैल में ही 54 हज़ार लोगों की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन राष्ट्रपति ने ख़तरे को कम दर्शाया और कार्रवाई करने से मना कर दिया, जिससे लोगों की जान गई और हमारी अर्थव्यवस्था को भी नुक़सान हुआ.
बाइडन के मुताबिक़ ये सरासर लापरवाही है जिसको कभी भी उचित नहीं ठहराया जा सकता.
किताब और क्या कहती है?
वुडवर्ड कहते हैं कि उन्होंने 19 जून को ट्रंप से हुई बातचीत में 'ब्लैक लाइव्स मैटर' आंदोलन का ज़िक्र किया था और कहा था कि उन जैसे लोगों को यह समझने की कोशिश करनी चाहिए कि अमरीका में काले लोग इस बारे में क्या महसूस कर रहे हैं. इस पर ट्रंप ने वुडवर्ड का मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा था, "आपने सचमुच में कूल-एड पी रखी है."
कूल-एड एक तरह का फ़्लेवर्ड जूस है जो अमरीका में बच्चों के बीच काफ़ी पसंद किया जाता है.
मई के महीने में जॉर्ड फ़्लॉयड नाम के एक काले अमरीकी की पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद पूरे अमरीका में पुलिस बर्बरता और नस्लभेद के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हो रहे थे.
वुडवर्ड के अनुसार ट्रंप बार-बार यही कहते रहे कि उन्होंने अब्राहम लिंकन के बाद किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति की तुलना में अफ़्रीकी-अमरीकी लोगों के लिए ज़्यादा किया है.
लिंकन ने अपने कार्यकाल में अमरीका से ग़ुलामी ख़त्म कर दी थी.
आठ जुलाई को ट्रंप ने एक बार फिर कहा था कि उन्होंने काले लोगों के लिए बहुत काम किया है लेकिन उन्हें उनकी तरफ़ से कोई प्यार का एहसास नहीं होता.
वाशिंगटन अख़बार में भी एक इंटरव्यू छपा है जिसमें वुडवर्ड ट्रंप से पूछते हैं कि क्या अमरीका में संस्थागत रूप से नस्लभेद है.
इस पर ट्रंप का जवाब था, "इस तरह की समस्याएं हर जगह होती हैं. मेरा मानना है कि दूसरी जगहों की तुलना में यहां कम है, कई जगहों से कम है."
ट्रंप ने इस बात को स्वीकार किया कि नस्लभेद ने अमरीकी लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित किया है और इसे उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण क़रार दिया था.
वुडवर्ड की किताब में ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन के बीच दर्जनों ख़त का भी ज़िक्र है. उन ख़तों में किम जोंग उन बहुत सम्मान के साथ ट्रंप को संबोधित करते हुए कहते हैं कि 'उनकी गहरी और विशेष दोस्ती एक मैजिक की तरह काम करेगी.'
अमरीकी मीडिया के अनुसार ट्रंप ने किम के साथ अपने संबंधों के बारे में वुडवर्ड से कहा था, "आप एक महिला से मिलते हैं. एक ही सेकंड में आपको पता चलजाता है कि बात आगे बढ़ने वाली है या नहीं. आपको दस मिनट या छह हफ़्ते नहीं लगते. एक सेकंड से भी कम समय में आपको पता चल जाता है."
ट्रंप ने वुडवर्ड से पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के बारे में कहा था कि उन्हें लगता है कि ओबामा को बहुत बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जाता है.
ट्रंप ने कहा था, मुझे नहीं लगता कि ओबामा स्मार्ट हैं और मुझे नहीं लगता कि वो एक महान स्पीकर हैं.
सीएनएन
के
अनुसार
ट्रंप
ने
वुडवर्ड
से
कहा
था
कि
उन्होंने
राष्ट्रपति
जॉर्ज
बुश
को
एक
'बेवक़ूफ़
व्यक्ति
बना
दिया
था
जो
कि
वो
सचमुच
में
थे.'