टॉप ब्रिटिश एक्सपर्ट बोले- भारत में मिले वेरिएंट के खिलाफ कोविड वैक्सीन लगभग कम प्रभावी
लंदन, 15 मई। ब्रिटेन के टीकाकरण कार्यक्रम को सलाह देने वाले शीर्ष वैज्ञानिक ने दावा किया है कि कोविड-19 से बचाव के लिए जो टीके लगाए जा रहे हैं वे बी1.617.2 वेरिएंट को संक्रमण को रोकने में "निश्चित रूप से लगभग कम प्रभावी" हैं। बी1.617.2 वेरिएंट सबसे पहले भारत में पहचाना गया था और इसे डबल म्यूटेंट वेरिएंट के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि भारत में फैली दूसरी लहर के पीछे यही वेरिएंट है। वर्तमान में इस वायरस से जुड़े केस 17 देशों में पाए गए हैं।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंथनी हार्डेन ने कहा कि इंग्लैंड में लॉकडाउन में ढील देते समय अंत्यंत सावधानी बरतना जरूरी था क्योंकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि भारत में पाया गया वेरिएंट कितना अधिक संक्रामक है। उन्होंने कहा कि अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि इस वेरिएंट के चलते बीमारी की गंभीरता बढ़ी है या फिर या खास म्यूटेशन वैक्सीन से बचने में सफल है।
बीबीसी के बातचीत में प्रोफेसर हार्डेन ने कहा "टीके हल्की बीमारी के खिलाफ कम प्रभावी हो सकते हैं लेकिन हमें नहीं लगता कि वे गंभीर बीमारी के खिलाफ कम प्रभावी हैं। हल्के रोग के खिलाफ कम प्रभावी होने के साथ ही वे संक्रमण को रोकने में लगभग निश्चित रूप से कम प्रभावी हैं।"
संक्रामकता
को
लेकर
दावा
नहीं
इंग्लैण्ड
में
सोमवार
से
लॉकडाउन
में
ढील
देने
के
बारे
में
बताते
हुए
उन्होंने
कहा
"हम
अभी
यह
नहीं
जानते
कि
यह
कितना
अधिक
संक्रामक
है।
अब
तक
के
अध्ययनों
में
जो
पता
चला
है
वह
यह
है
कि
इससे
बीमारी
की
गंभीरता
में
वृद्धि
या
टीके
से
बचने
का
कोई
सबूत
नहीं
है।
इसलिए
हम
सब
कुछ
समीक्षा
के
तहत
रखते
हुए
सही
से
काम
कर
रहे
हैं।"
प्रोफेसर हॉर्डेन का बयान प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन की डाउनिंग स्ट्रीट में प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद गया है जहां जॉनसन ने B1.617.2 वेरिएंट से जुड़ी अज्ञात चिंताओं पर पर ध्यान केंद्रित किया था।
जॉनसन ने कहा था "हमारा मानना है कि यह वेरिएंट पिछले स्ट्रेन के मुकाबले अधिक संक्रामक है, दूसरे शब्दों में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ज्यादा आसानी से फैलता है लेकिन हम नहीं जानते यह कितना ज्यादा है।"