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थियानमेन चौक नरसंहार की 33वीं बरसी आज, अपने कलंक को कैसे छिपाता है चीन? US ने साधा निशाना

चीन में माओ ने कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की और लोकतंत्र समर्थक लाखों लोगों की गोली मारकर हत्या करवा दी थी और फिर देश में क्रूर वामपंथी शासन की स्थापना की गई थी।

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बीजिंग, जून 04: चीन के माथे पर चस्पा वो कलंकित तस्वीर, जिसे थियानमेन नरसंहार कांड के नाम से जाना जाता है, उसकी आज 33वीं बरसी है और एक बार फिर से कम्युनिस्ट शासन की उस खूनी दिन को दुनिया याद कर रही है, जब सैकड़ों-हजारों छात्रों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने तोप से उड़ा दिया। थियानमेन नरसंहार की 33 बरसी पर अमेरिका ने कहा है कि, चीन उस इतिहास को मिटाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देता रहेगा।

थियानमेन की बरसी पर बोला अमेरिका

थियानमेन की बरसी पर बोला अमेरिका

अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने थियानमेन नरसंहार की 33वी बरसी पर एक बार फिर से शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को लोकतंत्र की मांग और बहादुरी भरा कदम बढ़या। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि, थियानमेन स्मारकों को हटाकर इतिहास के निशान हटाने की कोशिश की गई है। एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि, अमेरिका हटाए गये प्रदर्शनकारियों की स्मृति का सम्मान करता है और मानवाधिकारों को बरकरार रखने की बात करता है, भले ही कुछ लोगों द्वारा उनका उल्लंघन किया जाता है और उसके खिलाफ धमकी दी जाती है। ब्लिंकन ने ट्विटर पर लिखा कि, '33 साल बीत चुके हैं जब दुनिया ने बहादुर प्रदर्शनकारियों को शांतिपूर्वक थियानमेन स्क्वायर में लोकतंत्र की मांग करते देखा है। स्मारकों को हटाने और इतिहास को मिटाने के प्रयासों के बावजूद, हम जहां भी खतरा है, हम मानवाधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देकर उनकी स्मृति का सम्मान करते हैं।"

क्या था थियानमेन नरसंहार कांड?

क्या था थियानमेन नरसंहार कांड?

चीन में माओ ने कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की और लोकतंत्र समर्थक लाखों लोगों की गोली मारकर हत्या करवा दी थी और फिर देश में क्रूर वामपंथी शासन की स्थापना की गई थी। लेकिन, चीन का एक हिस्सा अभी भी देश में लोकतंत्र की स्थापना चाहता है और साल 1989 में चीन में हजारों लोकतंत्र समर्थकों ने लोकतंत्र की बहाली के लिए आंदोलन करना शुरू किया था और लोकतंत्र समर्थकों का हुजूम बढ़ता चला गया। ऐसा लगने लगा कि, ये आंदोलन पूरी तरह से देश में फैल जाएगा, लिहाजा कम्युनिस्ट पार्टी अंदर तक दहल गई। लोकतंत्र समर्थक एक लाख से ज्यादा छात्र चीन की राजधानी बीजिंग में स्थिति थियानमेन चौक पर जमा हुए थे और सरकार से देश में लोकतंत्र बहाल करने की मांग करने लगे।

क्यों किया जा रहा था प्रदर्शन?

क्यों किया जा रहा था प्रदर्शन?

राजधानी बीजिंग से शुरू हुआ यह विरोध प्रदर्शन चीन के बाकी शहरों जैसे शंघाई तक बढ़ गया था। चीन के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी पब्लिक प्रोटेस्‍ट के लिए बीजिंग में इस कदर भीड़ उमड़ी थी। चीन में यह प्रदर्शन कम्यूनिस्ट पार्टी के पू्र्व जनरल सेक्रेटरी और उदारवादी नेता हू याओबांग की मौत के बाद शुरू हुए थे। हू चीन के रुढ़िवादियों और सरकार की आर्थिक और राजनीतिक नीति के विरोध में थे और हारने के कारण उन्हें हटा दिया गया था। चीन के कई छात्रों ने उन्हीं की याद में मार्च आयोजित किया था। लेकिन देखते ही देखते यह मार्च एक हिंसक प्रदर्शन में तब्‍दील हो गया। कहते हैं कि चीन की सेना छात्रों पर टैक तक चढ़ाने से पीछे नहीं हटी थी।

लोकतंत्र समर्थकों का नरसंहार

लोकतंत्र समर्थकों का नरसंहार

4 जून 1989 को थियानमेन चौक पर एक लाख से ज्यादा लोकतंत्र समर्थक जमा हो गये, जिन्हें तितर-बितर करने के लिए क्रूर कम्युनिस्ट शासन ने पूरे देश में मॉर्शल लॉ लगा दिया और सैनिकों को आंदोलनकारियों को कुचलने का आदेश दे दिया और फिर पूरी दुनिया ने पहली बार देखा, जब निहत्थे छात्रों को हटाने के लिए चीन के सैनिक सैकड़ों तोप के साथ पहुंचे थे और फिर निहत्थे छात्रों को मारना शुरू किया। ऐसा अनुमान है कि, थियानमेन चौक पर कम से कम 10 हजार छात्रों को टैंक से कुचल कर मार दिया गया, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी ने ये आंकड़ा सिर्फ 300 दिखाया।

कम्युनिस्ट शासन की असली तस्वीर

कम्युनिस्ट शासन की असली तस्वीर

अगली सुबह थियानमेन चौक पूरी तरह से खाली था। घटना को कवर करने गये विदेशी पत्रकारों से कैमरे छीन लिए गये, ताकि तस्वीरें बाहर नहीं आ सके और थियानमेन नरसंहार की सिर्फ एक तस्वीर बाहर आई, जिसमें एक छात्र को एक टैंक के सामने खड़ा देखा जा रहा है...ये तस्वीर कम्युनिस्ट शासन की क्रूरता की कहानी बयां करता है। उन कम्युनिस्टों की, जो शासन में पारदर्शिता की बात करते हैं, जो हर देश में आजादी का नारा इंकलाब लगाते नजर आते हैं, लेकिन ये कम्युनिस्ट नेता, थियानमेन चौक के जिक्र पर खामोश हो जाते हैं। चीन की सरकार को आज तक उस घटना से इतनी घबराहट होती है कि उसने इंटरनेट पर भी इससे जुड़ी कोई भी जानकारी अपलोड नहीं होने दी है। चीन में इस विरोध प्रदर्शन से जुड़ी कई जानकारियां देने वाली वेबसाइट्स कोआज तक ब्‍लॉक किया हुआ है। आलम यह है कि चीन में थियानमेन स्‍क्‍वायर सर्च करते ही आपको इससे मिलते-जुलते शब्‍द भी नहीं मिलेंगे

इतिहास का सबसे काला अध्याय

इतिहास का सबसे काला अध्याय

चीन में तत्कालीन ब्रिटिश राजदूत एलन डोनाल्ड ने लंदन भेजे गए एक टेलीग्राम में कहा था, 'कम से कम दस हजार आम लोग मारे गए।' घटना के 28 साल से भी ज्यादा समय बाद पिछले वर्ष इस विरोध प्रदर्शन से जुड़े कुछ डॉक्‍यूमेंट्स सार्वजनिक किए गए थे। इन्‍हीं डॉक्‍यूमेंट्स में यह जानकारी दी गई थी। यह डॉक्‍यूमेंट्स ब्रिटेन के नेशनल आर्काइव्ज में आज भी मौजूद है। हांगकांग बैपटिस्ट यूनिवसिर्टी के प्रोफेसर ज्यां पीए काबेस्तन ने कहा कि ब्रिटिश आंकड़ा भरोसेमंद है और हाल में जारी किए गए अमेरिकी दस्तावेजों में भी ऐसा ही आकलन किया गया है।

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English summary
Today is the 33rd anniversary of the Tiananmen Square incident and America has said that China should try to erase its history, America will stand with democracy.
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