क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

चीन को ताक़तवर बनाने में ये बिल्ली और पक्षी दर्शन

चीन में माओत्से तुंग के बाद वहां आर्थिक क्रांति लाने का श्रेय डांग श्याओपिंग को दिया जाता है.

श्याओपिंग ने 1978 में जिस आर्थिक क्रांति की शुरुआत की थी उसके 2018 में 40 साल हो गए हैं. डांग श्याओपिंग इसे चीन की दूसरी क्रांति कहते थे.

इस आर्थिक सुधार के बाद ही चीन ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मज़बूत दस्तक दी.

 

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
चीन
Getty Images
चीन

चीन में माओत्से तुंग के बाद वहां आर्थिक क्रांति लाने का श्रेय डांग श्याओपिंग को दिया जाता है.

श्याओपिंग ने 1978 में जिस आर्थिक क्रांति की शुरुआत की थी उसके 2018 में 40 साल हो गए हैं. डांग श्याओपिंग इसे चीन की दूसरी क्रांति कहते थे.

इस आर्थिक सुधार के बाद ही चीन ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में मज़बूत दस्तक दी.

आज की तारीख़ में चीन दुनिया का वो देश है जिसके पास सबसे ज़्यादा विदेशी मुद्रा भंडार (3.12 ख़रब डॉलर) है.

जीडीपी (11 ख़रब डॉलर) के आकार के मामले में दूसरा सबसे बड़ा देश है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने में चीन दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है.

डांग श्याओपिंग ने जब आर्थिक सुधारों को 1978 में शुरू किया था तो चीन का दुनिया की अर्थव्यवस्था में हिस्सा महज 1.8 फ़ीसदी था जो 2017 में 18.2 फ़ीसदी हो गया.

चीन अब न केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है बल्कि वो अपने अतीत की उस ताक़त की ओर बढ़ है जब 15वीं और 16वीं शताब्दी में दुनिया की अर्थव्यवस्था में उसका हिस्सा 30 फ़ीसदी के आसपास होता था.

चीन को ताक़तवर बनाने में तीन नेताओं का नाम लिया जाता है- माओत्से तुंग, डांग श्याओपिंग और वर्तमान नेता शी जिनपिंग. श्याओपिंग की आर्थिक क्रांति के 40 सालों बाद एक बार फिर से चीन शी जिनपिंग जैसे मज़बूत नेता की अगुआई में आगे बढ़ रहा है.

माओत्से तुंग और डांग श्याओपिंग
Getty Images
माओत्से तुंग और डांग श्याओपिंग

शी जिनपिंग चीन की अर्थव्यवस्था को और प्रभावी बनाने के लिए मैन्युफ़ैक्चरिंग के मामले में सुपरपावर बनाना चाहते हैं. इसके लिए शी जिनपिंग डांग श्याओपिंग की नीतियों को ही आगे बढ़ा रहे हैं, जिनमें अर्थव्यवस्था को खोलना और आर्थिक सुधार जैसे क़दम शामिल हैं.

चीन की आर्थिक सफलता का जो मॉडल है और वहां जो कम्युनिस्ट राजनीति है उसके बीच टकराव की भी स्थिति बनी.

आख़िर चीन की अर्थव्यवस्था में ज़बर्दस्त उछाल के लिए सरकारी योजनाओं और निजी उद्यमियों के अलावा मुक्त बाज़ार में से किसको कितना श्रेय मिलना चाहिए?

शी जिनपिंग के हाथों में चीन पूरी राजनीतिक शक्ति है ऐसे में एक सवाल ये भी उठता है कि यहां के नेता अर्थव्यवस्था को किस हद तक नियंत्रण में रखना चाहते हैं?

चीन
Getty Images
चीन

डांग और चीनी अर्थव्यवस्था का कायापलट

चीन के उभार की कहानी महज दूसरे विश्व युद्ध के बाद एक देश के विकास की कहानी नहीं है बल्कि यह कहानी एक नियंत्रित अर्थव्यवस्था से मुक्त और मार्केट अर्थव्यवस्था में तब्दीली की है.

दुनिया के कई देशों ने चीन में इस बदलाव को अपनाया, लेकिन इसमें सिलसिलेवार तरीक़े से सफलता पाने के मामले में पोस्टर ब्वॉय चीन ही बना.

चीन ने घरेलू अर्थव्यवस्था में क्रमिक सुधार की प्रक्रिया शुरू की थी न कि उसने बाज़ार के भरोसे छोड़ दिया था. चीन अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पहले इस बात को तय किया कि कहां विदेशी निवेश लगाना है और कहां नहीं.

इसके लिए उसने विशेष आर्थिक क्षेत्र का निर्माण किया. विशेष आर्थिक क्षेत्र के लिए चीन ने दक्षिणी तटीय प्रांतों को चुना.

डांग श्याओपिंग ने कम्युनिस्ट समाजवादी राजनीतिक माहौल में ठोस बदलाव की नींव रखी. इसके लिए उन्होंने सबसे पहले सोवियत आर्थिक मॉडल के केंचुल को उतार फेंका और फिर चीन की अर्थव्यवस्था में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को चीन की ज़रूरतों और ताना बाना के हिसाब से समाजवाद के साथ शुरू किया.

डांग श्याओपिंग
Getty Images
डांग श्याओपिंग

चीनी लेखक यूकोन हुआंग ने अपनी किताब क्रैकिंग द चाइना कनन्ड्रम: व्हाई कन्वेन्शनल इकनॉमिक विजडम इज रॉन्ग में लिखा है, ''डांग न केवल एक महान सुधारक थे बल्कि वो बेसब्र भी थे.''

डांग ने जो सामाजिक आर्थिक सुधार शुरू किया था उसकी मिसाल मानवीय इतिहास में नहीं मिलती है. चीन की जीडीपी 1978 से 2016 के बीच 3,230 फ़ीसदी बढ़ी.

इसी दौरान 70 करोड़ लोगों को ग़रीबी रेखा से ऊपर लाया गया और 38.5 करोड़ लोग मध्य वर्ग में शामिल हुए.

चीन का विदेशी व्यापार 17,500 फ़ीसदी बढ़ा और 2015 तक चीन विदेशी व्यापार में दुनिया की अगुवा बनकर सामने आया. 1978 में चीन ने पूरे साल जितने व्यापार किया था अब वो उतना महज दो दिनों में करता है.

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के सामूहिक नेतृत्व के सहारे डांग ने चीन में समाजिक आर्थिक बदलाव की तेज़ प्रक्रिया शुरू की. 1960 और 70 के दशक में कई झटकों के बाद डांग माओ की शैली को लेकर सतर्क थे.

अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर डांग कुछ सिद्धांतों के साथ चलते थे. वो ख़ुद को लो प्रोफ़ाइल रखते थे. डांग का ध्यान पूरी तरह से चीनी अर्थव्यवस्था में तेज़ी लाने पर था.

चीन
Getty Images
चीन

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में सोशल साइंस के प्रोफ़ेसर रहे एज़रा वोजेल ने डांग श्याओपिंग की जीवनी लिखी है. उन्होंने डांग को ऐसा महान नेता बताया है जो हर तरह की उठापटक को रोक स्थायित्व लाने की क्षमता रखता है.

चीन में आर्थिक कायापलट से न केवल चीनी नागरिकों के बीच आर्थिक संपन्नता आई बल्कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की सत्ता पर पकड़ और मज़बूत हुई. डांग के आर्थिक उदारीकरण को चीन में राजनीतिक उदारीकरण भी कहा गया.

शी जिनपिंग और नए तेवर का चीन

डांग श्याओपिंग अक्सर टु-कैट थिअरी को कोट किया करते थे- जब तक बिल्ली चूहे को पकड़ती है तब तक कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि वो सफ़ेद है या काली.

इसी की तर्ज पर शी जिनपिंग ने चीनी तेवर में आद्योगिक विकास का प्रस्ताव रखा. इसके लिए शी जिनपिंग ने 'टु-बर्ड थिअर' दी. 2014 में 12वीं नेशनल कांग्रेस को संबोधित करते हुए शी जिनपिंग ने कहा था कि पिंजरे को खोलने की ज़रूरत है और उसमें बूढ़े पक्षियों (आख़िरी सांस ले रहे औद्योगिक संस्थान) को क़ैद करने की ज़रूरत है.

शी जिनपिंग ने कहा था कि इसी प्रक्रिया के तहत चीन निर्वाण तक पहुंचेगा. इन निर्वाण की प्रक्रिया में शी जिनपिंग का ज़ोर मौलिक तकनीक और पर्यावरण की रक्षा के साथ विकास पर रहा.

चीन में अब यह भी सवाल उठ रहा है कि कौन चीन का दूसरा नायक कौन बनेगा. पिछले साल मार्च में नेशनल पीपल्स कांग्रेस ने राष्ट्रपति के कार्यकाल की सीमा ख़त्म कर दी थी.

चीन
Getty Images
चीन

इसके साथ ही चीन में समाजवाद पर शी जिनपिंग थॉट की शुरुआत हुई और इसे चीन का नया युग कहा जा रहा है.

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी पर जिस शख़्स का नियंत्रण होता है उसी का नियंत्रण वहां की सारी ताक़तों पर होता है. शी जिनपिंग के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी में अपने विरोधियों को पूरी तरह से बेदख़ल कर दिया है.

शी जिनपिंग ने सरकारी उद्योगों पर शिकंजा कसा. मिसाल के तौर पर कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण से सरकारी कंपनियों को दूर किया और पूरी तरह से प्रबंधन के हाथों में यह ज़िम्मेदारी दी. शी के कार्यकाल में एनजीओ पर भी शिकंजा कसा गया. कई मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया गया.

कई लोगों का मानना था कि शी जिनपिंग अपने पिता की तरह उदार तासीर के होंगे. शी के पिता शी चोंगशुन 1978 में ग्वांगदोंग प्रांत के गर्वनर थे. वो डांग श्याओपिंग की आर्थिक क्रांति के अगुआ भी थे.

दिसंबर 2012 की शुरुआत में शी जिनपिंग ने पहला आधिकारिक दौरा ग्वांगदोंग में शेनचेन का किया था. इस दौरे से उन्होंने संदेश देने की कोशिश की थी कि डांग से सुधारों में कोई रुकावट नहीं आएगी. पिछले पांच सालों में शी ने ऐसा कर दिखाया भी है.

चीन
Getty Images
चीन

उदारीकरण की सीमा

चीन ने उदारीकरण के लिए पूरा खाका तैयार किया था. चीन के नेताओं ने केंद्रीय नियंत्रण वाले नेतृत्व पर ज़ोर दिया, लेकिन स्थानीय सरकार, निजी कंपनियां और विदेशी निवेशकों के बीच ग़ज़ब सामंजस्य बनाया.

विदेशी निवेशकों को चीन ने स्वायतत्ता दी. पहले के नेताओं की तुलना में शी जिनपिंग ने पब्लिक-प्राइवेट-पार्टनर्शिप पर ज़्यादा ज़ोर दिया.

2014 के बाद चीन में निजी निवेश बहुत तेज़ी से बढ़ा. शी जिनपिंग ने व्यापार का दायरा पूरी दुनिया में बढ़ाया. वन बेल्ट वन रोड परियोजना के ज़रिए इंफ़्रास्ट्रक्चर और ट्रेड नेटवर्क को एशिया, यूरोप, अफ़्रीका से जोड़ना है.

हाल के दिनों में तो चीन की मंशा पर ही सवाल उठ रहे हैं. मिसाल के तौर पर श्रीलंका चीन का क़र्ज़ भुगतान करने में नाकाम रहा तो उसने हम्बन्टोटा पोर्ट को 99 साल की लीज पर सौंप दिया.

इस कड़ी में जिबुती, पाकिस्तान और किर्गिस्तान भी शामिल हैं. चीन विश्व व्यापार संगठन का हिस्सा 2001 में बना. इसके बाद से चीन विदेशी व्यापार को सुगम बनाने के लिए सात हज़ार नियमों को ख़त्म कर चुका है. 2011 से चीन टैरिफ औसत 10 फ़ीसदी की कटौती कर चुका है.

क्या चीन भूटान को अगला तिब्बत बनाना चाहता है?

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
This cat and bird philosophy in China to make power
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X