वो इतिहासकार जिसने स्टालिन के 'क्रूर शासन' का सच दुनिया को बताया
ये इतिहासकार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नीतियों से भी ख़ुश नहीं. इनके ख़िलाफ़ कई मुक़दमे चल रहे हैं. आख़िर कैसे इन्होंने स्टालिन के दौर की सच्चाइयों को उजागर किया.
ये उस रूसी शख़्स की कहानी है जिसने सोवियत नेता जोसेफ़ स्टालिन के क्रूर शासन की सच्चाइयां दुनिया के सामने रखीं.
रूस के जाने-माने इतिहासकार यूरी दिमित्रिएव लंबे समय से स्टालिन शासन के स्याह इतिहास को सबके सामने ला रहे हैं.
इसमें गुलाग (श्रमिक शिविरों) में हज़ारों लोगों को क़ैद किए जाने से लेकर राजनीतिक हत्याओं आदि से जुड़ी तमाम जानकारी शामिल है.
लेकिन बीते सोमवार रूसी शहर पेत्राज़ावोद्स्क की एक अदालत ने यूरी दिमित्रिएव को यौन शोषण से जुड़े एक मामले में 15 साल की सज़ा सुनाई है.
हालांकि उनके समर्थक और परिजन इसे एक राजनीतिक साज़िश के रूप में देखते हैं ताकि उन्हें स्टालिन सरकार के अपराधों को उजागर करने से रोका जा सके.
साल 2016 में किए गए थे गिरफ़्तार
रूस की सरकारी एजेंसियों ने साल 2016 में दिमित्रिएव के घर पर छापे के दौरान एक कंप्यूटर ज़ब्त किया था. इसके बाद उनके ख़िलाफ़ "चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी" का मामला दर्ज किया गया था.
हालांकि, दिमित्रिएव और उनके परिवार का कहना है कि वे तस्वीरें उनकी गोद ली हुई बेटी की हैं.
दिमित्रिएव और उनके परिवार का कहना है कि उन्होंने एक कुपोषित बच्ची को गोद लिया था.
उनका कहना है कि ये तस्वीरें इसलिए ली गई थीं ताकि गोद लेने के बाद बच्ची की हालत के बारे में सरकारी एजेंसी को बताया जा सके.
विशेषज्ञों ने ये भी कहा है कि तस्वीरों में पोर्नोग्राफ़िक सामग्री नहीं थी जिसके बाद अदालत ने उनके ख़िलाफ़ लगे आरोपों को हटा लिया.
हालांकि, अभियोजन पक्ष की ओर से अपील किए जाने के बाद ये मामला दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. इसके बाद उन्हें 13 साल की सज़ा सुनाई गई, और इस महीने अभियोजन पक्ष की अपील पर सोमवार को उनकी सज़ा में 2 साल जोड़कर इसे 15 साल कर दिया गया.
रूस की पहली मानवाधिकार संस्था मेमोरियल ने ट्विटर पर लिखा, 'यूरी दिमित्रिएव ने अपने ख़िलाफ़ ताजा फ़ैसला सुना - 15 साल'
ये संस्था स्टालिन युग के क्रूरता भरे अपराधों को उजागर करने के लिए जानी जाती है और व्लादिमीर पुतिन की सरकार के हाथों प्रतिबंधित किए जाने के ख़तरे में है.
लेकिन आख़िर यूरी दिमित्रिएव कौन हैं और ये मामला इतना विवादित क्यों है?
कौन हैं दिमित्रिएव?
साल 1956 में फ़िनलैंड के क़रीब करेलिया गणराज्य के पेत्राज़ावोद्स्क शहर में जन्म लेने वाले यूरी दिमित्रिएव को सोवियत संघ के एक सैनिक ने गोद लिया था.
गुलाग (श्रमिक शिविर) की जन्मस्थली कहे जाने वाले सोलोवत्स्की द्वीप के पास स्थित इस क्षेत्र में लाखों क़ैदियों को मारा गया.
यही नहीं, इसी क्षेत्र में स्टालिन की पंचवर्षीय योजना के लिए तथाकथित व्हाइट सी चैनल खोदने में लोगों की जान गई.
आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक़, इस दौर में लगभग 7 लाख लोगों को मार दिया गया.
सोवियत संघ के पतन के बाद स्थानीय सरकार के लिए एक सलाहकार के रूप में काम करते हुए दिमित्रिएव को कई दस्तावेज़ मिले.
इनके आधार पर उन्होंने पहली सामूहिक क़ब्र का पता लगाया जिससे स्टालिन युग में गुलाग और सामूहिक हत्याओं से जुड़ी जानकारियां सामने आईं.
उनके काम की वजह से रूस में दो सबसे बड़े यातना शिविरों संदरमॉख और क्रांसी बोर के बारे में पता चला.
यूरी दिमित्रीएव ने यहां एक अनौपचारिक स्मारक बनाकर पीड़ितों की पहचान करने का काम शुरू किया.
रूस और दुनियाभर में यूरी दिमित्रिएव को उन इतिहासकारों में गिना जाता है जिन्होंने स्टालिन युग के मानवाधिकार उल्लंघनों और उत्पीड़न को दुनिया के सामने रखा.
लेकिन पुतिन के सत्ता में आने के बाद से दिमित्रिएव नई सरकार के आलोचक रहे हैं.
यही नहीं, पुतिन की योजनाओं को देखते हुए दिमित्रिएव ने उसकी तुलना स्टालिन के दौर वाले सोवियत संघ से की है.
उन्होंने रूस द्वारा क्रीमिया पर क़ब्ज़े की भी आलोचना की है और अपनी गिरफ़्तारी से ठीक पहले उन्होंने एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था जिसने रूस की ख़ुफ़िया पुलिस के बारे में जानकारी दी थी.
मेमोरियल के मुताबिक़, रूसी सरकार उनके इस क़दम की वजह से नाराज़ है जिसके चलते दिमित्रिएव जेल में हैं.
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उनके ख़िलाफ़ क्या मामले दर्ज हैं?
दिमित्रिएव को जिस मामले में सज़ा मिली है, उस पर क़रीब पांच साल से सुनवाई जारी है.
दिमित्रिएव को सबसे पहले साल 2016 के दिसंबर महीने में गिरफ़्तार किया गया था.
इसके बाद पुलिस ने उनके घर पर छापा मारकर एक कंप्यूटर बरामद किया जिसमें एक नाबालिग़ लड़की की नग्न तस्वीरें थीं.
इसके अगले साल दिमित्रिएव के ख़िलाफ़ बंदूक के पुर्ज़े को अवैध ढंग से रखने का मामला दर्ज किया गया था.
नग्न तस्वीरों के मामले में विशेषज्ञों ने कोर्ट को बताया कि इन तस्वीरों को बाल शोषण नहीं माना जा सकता.
इसके बाद कोर्ट ने दिमित्रिएव पर लगे सभी आरोपों को हटा दिया. हालांकि, उन पर अवैध ढंग से बंदूक़ रखने का आरोप बरकरार रहा.
इसके दो महीने बाद क्षेत्रीय अदालत ने इस मामले से जुड़े जांच अधिकारी और दिमित्रिएव की 12 साल की बेटी के बीच हुई बातचीत के आधार पर ये फ़ैसला पलट दिया.
इसके बाद ये केस वापस कोर्ट पहुंचा जिसमें 'अनुचित ढंग से छूने' से जुड़ा यौन शोषण का मामला भी जोड़ा गया. दिमित्रिएव ने इस आरोप का खंडन किया.
कई रूसी और विदेशी हस्तियों ने दिमित्रिएव को जेल में रखे जाने की निंदा की है.
इसके साथ ही दिमित्रिएव की सज़ा और उनके ख़िलाफ़ लगे मामलों को पुतिन सरकार द्वारा अलग-अलग मौक़ों पर विरोधियों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल की गई रणनीति का हिस्सा बताया है.
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स्टालिन की छवि में सुधार की कोशिश
सत्ता में आने के बाद से पुतिन ने स्टालिन की छवि को सुधारने की दिशा में काम किया है.
पुतिन स्टालिन को एक मज़बूत नेता के रूप में देखते हैं और हाल ही में उन्होंने सोवियत संघ के पतन को 20वीं सदी की सबसे भयावह त्रासदी बताया था.
हाल ही में रूस में कई जगहों पर स्टालिन से जुड़े स्मारक भी नज़र आने लगे हैं. पिछले साल रूस के सबसे बेहतरीन नेताओं को लेकर हुए एक पोल में स्टालिन पहले पायदान पर नज़र आए हैं.
यही नहीं, पिछले साल रूसी स्टेट मीडिया ने ऐतिहासिक आधार के बिना संदरमॉख के मृतकों को 'फ़िनलैंड द्वारा मारे गए सोवियत सैनिक' के रूप में परिभाषित करना शुरू कर दिया है.
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