थम नहीं रही है सूरज पर उठी सुनामी, पृथ्वी की तरफ बढ़े तीन विशालकाय आग के गोले, तबाही का डर?
सूरज पर उठा तूफान अभी तक नहीं थमा है और पिछले एक हफ्ते में तीन बार कोरोनल मास इजेक्शन हो चुका है, जिससे धरती पर कई तरह के प्रभाव पड़ने की आशंका है।
वॉशिंगटन, नवंबर 05: हमारी धरती को जीवन देने वाले सूरज के ऊपर लगातार तीन विस्फोट होने के बाद आग की भीषण लपटें लगातार बाहर निकल रही हैं और सूरज के ऊपर जो भयानक तूफान उठा हुआ है, वो अभी तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। करीब 8 दिन पहले सूरज के ऊपर ये भयानक तूफान उठा था, जो अभी तक नहीं थमा है, जिसके बाद वैज्ञानिकों को अब पृथ्वी पर भी तबाही फैलने की आशंका लगने लगी है।
8 दिनों से नहीं थमा है तूफान
वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक नवंबर से 5 नवंबर के बीच सूरज पर एक के बाद एक तीन भयानक विस्फोट हो चुके हैं, जिसकी वजह से बहुत बड़े बड़े आग के गोले सूरज से निकलकर बाहर आ गये। इस घटना को कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने आशंका जताते हुए कहा है कि, अब धरती की कक्षा में चक्कर काट रहे सैटेलाइट्स और धरती पर मौजूद पावर ग्रिड को गंभीर खतरा पहुंच सकता है। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, सूरज के उस हिस्से में पिछले एक हफ्ते में एक के बाद एक तीन विस्फोट हुए हैं, जिसका एंगल पृथ्वी की तरफ ही है, लिहाजा पृथ्वी से जो आग की लपटें निकली हैं, वो पृथ्वी की तरफ ही फेंकी गई है।
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क्या होता है कोरोनल मास इजेक्शन?
कोरोनल मास इजेक्शन यानि, सीएमई गैस और चुंबकीय क्षेत्र के विशालकाय गोले होते हैं, जिन्हें सूर्य के धब्बों द्वारा अंतरिक्ष में बाहर फेंक दिया जाता है, जो सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में फंस जाते हैं। इनमें से दो विस्फोट 1 और 2 नवंबर को सनस्पॉट AR2887 के कारण हुए थे। बाद में उस दिन 2 नवंबर को AR2891 नामक एक दूसरे सनस्पॉट पर भी तीसरे धमाके को वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड किया है। SpaceWeather.com मॉनिटर के अनुसार, सूरज के ऊपर जो तीसरा विस्फोट हुआ है, उसे वैज्ञानिकों ने 'नरभक्षी' नाम दिया है, जो पहले के दो विस्फोट के दौरान निकले आग के गोलों की तुलना में तेजी से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है और इस वक्त ये तीसरा गोला, पहले गोले और दूसरे गोले के बीच पहुंच चुका है।
भू-चुंबकीय तूफान उठने का खतरा
स्पेसवेदर.कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों को पता चला है कि, सूरज से निकले ये तीनों विशालकाय आग के गोले पृथ्वी की तरफ ही आ रहे हैं और वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि, उसकी वजह से गुरुवार तक भू-चुंबकीय तूफान शुरू हो सकते हैं। नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी), जो सीएमई और इसी तरह की अन्य घटनाओं पर नजर रखता है, उसने बुधवार और गुरवार के लिए एक मामूली भू-चुंबकीय तूफान की चेतावनी जारी की है। वैज्ञानिकों ने कहा कि, सूरज से निकली आग की लपटों की वजह से न्यूयॉर्क, विस्कॉन्सिन और वाशिंगटन में रात में आसमान में दिवाली जैसा नजारा दिख सकता है।
सैटेलाइट पर होगा असर
अमेरिकी एजेंसी एनओएए ने अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि, इस तेज रफ्तार सौर तूफान की वजह से कई सैटेलाइट भी खराब हो सकते हैं और कई तरह की गलत जानकारियां दे सकते हैं। जिसका मतलब ये हुआ कि, उन सैटेलाइट्स पर फिर से नियंत्रण हासिल करना होगा और उन्हें ठीक करना होगा। अमेरिकी एजेंसी ने कहा है कि, तूफान का असर बढ़ने की संभावना है और ये बढ़कर जी-2 की श्रेणी में पहुंच सकता है, जो एनओएए एजेंसी के मुताबिक, थोड़ा मजबूत होता है।
क्या है सौर तूफान
आपको बता दें कि, सौर तूफान को लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निंया की वैज्ञानिक संगीता अब्दू ज्योति ने पिछले दिनों बताया था कि, आने वाल भविष्य में धरती को बड़े सौर तूफान का सामना करना पड़ सकता है। सौर तूफान का मतलब सूरज से निकलने वाला कोरोनल मास है, जो बेहद नुकसानदायक और प्रयलकारी साबित हो सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक इस सौर तूफान के कारण धरती पर इंटरनेट सर्विस ठप हो सकती है लया कई दिनों तक बंद हो सकती है। इसका असर बिजली आपूर्ति पर भी पड़ सकता है। कई देशों में पावर ग्रिड फेल हो सकते हैं, जिसके कारण उन्हें कई दिनों तक अंधेरे में रहना पड़ सकता है। संगीता ने सिगकॉम 2021 डेटा कम्यूनिकेशन कॉन्फ्रेंस में अपनी स्टडी वैज्ञानिकों को दिखाई , जिसके बाद स वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ गई है।
क्या कहता है वैज्ञानिकों का रिसर्च
संगीता ने अपनी रिसर्च में कहा है कि सौर तूफान के कारण स्थानीय इंटरनट प्रणाली पर कम असर होगा, लेकिन दुनियाभर के समुद्रों में फैली इंटरनेट केबल पर इसका असर पड़ सकता है। शोध के मुताबिक इंटरनेट के फाइबर ऑप्टिक्स पर सौर तूफान के दौरान निकली जियोमैग्नेटिक करंट का सीधा असर नहीं होगा, लेकिन दुनिया के देशों को जोड़ने वाली समुद्री इंटरनेट केबल इससे प्रभावित होगी और जिन देशों ने इन केबल को अपने ऑप्टिक्स से जोड़ा है, वहां कई दिनों तक इंटरनेट सेवा बाधित रह सकती है।
सौर तूफान पर जानकारी कम
शोधकर्ता के मुताबिक सौर तूफान को लेकर हमारी जानकारी कम है और हमारे पास इससे संबंधित डेटा की कमी है, जिसक कारण इसका नुकसान अधिक हो सकता है। शोध के मुताबिक सौर तूफान पावर ग्रिड्स को नुकसान पहुंचाता है। धरती पर आने वाले सौर तूफान की आशंका को देखते हुए दुनिया के कई देशों में ब्लैकआउट का खतरा मंडराने लगा है। दुनिया के कई देश अंधेरे में डूब सकते हैं। इंटरनेट सर्विस को नुकसान पहुंच सकता है। इसका असर नविगेशन, सैटलाइट्स पर पड़ सकता है।
इंटरनेट सर्विस को नुकसान
संगीता ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दुनिया के देशों को जोड़ने के लिए समुद्री केबल में करंट के बहाव को बनाए रखने के लिए रिपीटर्स लगाए जाते हैं, जो सौर तूफान के लिए काफी सेंसिटिव होता है, यानी अगर सौर तूफान आता है तो ये रिपीटर्स खराब हो सकते हैं और केबल की सप्लाई बाधित हो सकती है। अगर इंटरनेट सर्विस बंद होती है तो हाहाकार मच सकता है। इकोनॉमी धड़ाम हो सकती है। कई देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो सकती है।
टेलीकॉम सेक्टर्स पर भी असर
उन्होंने कहा कि, अगर तेज सौर तूफान उठता है, तो टेलीकॉम सेक्टर ठप हो सकता है, डिफेंस सेक्टर, आईटी, बैंकिंग सर्विसेस बंद हो सकती है। शोध के मुताबिक सौर तूफान को लेकर कम जानकारी के कारण इसका असर और भी भयानक हो सकता है। संगीता के मुताबिक दुनिया इस सौर तूफान के लिए बिल्कुल तैयार नहीं है, जिसके कारण इसका असर और प्रलरकारी हो सकता है। हम इस बात का अंदाजा भी नहीं लगा सकते है कि अगर इंटरनेट सेवा ठप हुई तो क्या असर होने वाला है। कई देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो सकती है।
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